शाहीन बाग: क्या एक और “रक्तरंजित इतवार” की भूमिका तैयार की जा रही है?

दिल्ली के उपराज्यपाल की सहमति से गृह (पुलिस-II) विभाग को 19 जनवरी से राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत जरूरत के अनुसार बल प्रयोग करने और एनएसए लगाने के अधिकार का आदेश जारी हो चुका है। इसका मतलब है कि 19 जनवरी से पुलिस के पास विशेषाधिकार होगा कि वह किसी को भी 12 माह के लिए हिरासत में ले सकेगी और उसे ज़मानत के लिए हाइकोर्ट जाना होगा। रासुका की यह अवधि तीन माह के लिए है जिसका व्यावहारिक मतलब यह है कि दिल्ली मे अगले तीन माह के लिए इमरजेंसी जैसी स्थिति लागू होगी।

 

दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में महीने भर से प्रदर्शन चल रहा है और हर दिन हजारों लोग इकट्ठा हो रहे हैं। इाके चलते दिल्ली से उत्तर प्रदेश जाने वाला पूरा ट्रैफिक बारापुला फ्लाइओवर और डीएनडी के लिए डायवर्ट कर दिया गया है जिसके कारण घंटों जाम लग रहा है। शुक्रवार को दिल्ली पुलिस को अगले तीन माह के लिए रासुका का अधिकार मिलने से पहले दिल्ली हाइकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को कालिंदी कुंज-शाहीन बाग मार्ग पर यातायात सुगम बनाने और इस समस्या से समयबद्ध तरीके से कानून के अनुसार निपटने को कहा था।

इस आदेश के बाद दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार, 17 जनवरी को प्रदर्शन कर रहे लोगों से अपील करते हुए कहा था- ‘हम आंदोलनकारियों से रोड नंबर 13 ए शाहीन बाग में अपील करते हैं कि दिल्ली और एनसीआर के निवासियों, वरिष्ठ नागरिकों, रोगियों और स्कूल जाने वाले बच्चों को होने वाले कष्टों को समझें. ये मामला माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष भी आया है। हम फिर से प्रदर्शनकारियों से आग्रह करते हैं कि वे बड़े जनहित में सहयोग करें और सड़कों को साफ करें।’

इस अपील के बाद भी लोग नहीं हटे और धरने पर डटे हुए हैं। इस बीच एक धमकी भरा वीडियो तमाम जगह सर्कुलेट हो रहा है जिसमें कोई वेद नागर नामक व्यक्ति जो खुद को गौरक्षक हिन्दू दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष बता रहा है, शाहीन बाग़ के प्रदर्शंकरियों के लिए अपशब्दों का प्रयोग करते हुए प्रदर्शनस्थल को खाली कराने के लिए दिल्ली पुलिस को चेतावनी दे रहा है। मीडियाविजिल को वह वीडियो प्राप्त हुआ है लेकिन सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के चलते वह वीडियो यहां नहीं डाला जा रहा।

उसने 16 जनवरी को एक वीडियो जारी कर के पुलिस से कहा है कि वह अगले तीन दिन यानी 19 जनवरी तक उस जगह को खाली करवाए वरना वे और उनकी सेना (लोग) उस जगह को खाली करवाएंगे। इस वीडियो में आपत्तिजनक शब्दों के साथ बार-बार प्रदर्शनकारियों को धमकी भरी चेतावनी दी गई है और कहा गया है कि प्रदर्शनकारी जैसी और जहां “आज़ादी” चाहेंगे, उन्हें वह देने को तैयार है।

इधर शाहीन बाग़ में प्रदर्शन आयोजकों/संयोजकों की ओर से कहा गया है कि कोई किसी को यहां पैसा देता है तो वो हमारा आदमी नहीं है। इस अपील में महिलाओं से विशेष तौर पर निवेदन किया गया है कि वे किसी से कोई पैसा न लें और सावधान रहें, क्योंकि कुछ मीडिया चैनल के लोग स्टिंग करने के लिए ऐसी हरकतें करने पर उतारू हैं ताकि इस आन्दोलन को बदनाम किया जा सके।

दिलचस्प बात है कि एक अनजान से हिंदूवादी संगठन का मुखिया दिल्ली पुलिस को जिस तारीख का अल्टीमेटम देता है, उसी तारीख से दिल्ली पुलिस को रासुका लगाने के अधिकार गृह विभाग द्वारा दे दिए जाते हैं। सवाल उठता है कि 19 जनवरी को क्या कुछ होने वाला है?

पिछले दो दिनों से इस बात की आशंका जतायी जा रही है कि शाहीन बाग को खाली काने के लिए बलप्रयोग ओर हिंसा का सहारा लिया जा सकता है। महीने भर से संकल्परत प्रदर्शनकारियों को हौसला अब तक नहीं टूटा है, जबकि उन्हें बदनाम करने की पुरजोर कोशिशें की जा चुकी हैं। किसी भी किस्म की अवांछित घटना से बचने के लिए प्रदर्शनकारी अपने स्तर से बहुत सतर्क हैं। 18 जनवरी की रात शाहीन बाग में जो मंच लगा था उसे बैरिकेड से घेर दिया गया था और आने जाने वालों की स्थानीय लोग पड़ताल कर रहे थे।

गौरतलब है कि जामिया मिलिया के भीतर घुस कर पुलिस ने छात्रों पर जो बर्बर हमला किया था, उस दिन इतवार था। जेएनयू में जिस दिन नकाबपोशाें ने हमला किया, वह भी इतवार का ही दिन था। जामिया में हमले की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट का शीर्षक था “ब्लडी सन्डे”। क्या पिछली दो घटनाएं और हाल के घटनाक्रम आगामी इतवार यानी 19 जनवरी को शाहीन बाग में किसी अनिष्ट की ओर इशारा कर रहे हैं?



 

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