सरदार सरोवर के महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश (अलिराजपुर जिला) के आदिवासी गांवों के सभी लोगों को पुनर्वासित कर दिया, यह झूठा दावा पूर्ववर्ती मध्य प्रदेश सरकार के बाद अब वर्तमान म.प्र. सरकार और उसके अधिकारी भी दे रहे हैं। सभी पुनर्वास समितियों को पुनर्गठित करने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन कहाँ हैं ये पुनर्गठित समितियां? कहाँ हैं प्रभावितों के पक्ष में बयान देने वाले विधायक, सांसद और मंत्री? आदिवासियों पर अत्याचार की हद यह है कि मणिबेली के 75 साल के वृद्ध मणिलाल गोपाल तडवी और उनकी पत्नी जड़ी काकी, जिनके घर द्वार 1993 में ही डूब चुके थे और उनके द्वारा गुजरात में चाहा गया सम्पूर्ण पुनर्वास उन्हें तथा उन जैसे कई तडवी परिवारों का आज तक नहीं मिला, के डूबते घर और घरेलू सामन को हटाने के लिए एक बार भी महाराष्ट्र सरकार से कोई सहायता उपलब्ध नहीं करायी है।
भिताडा गाँव को 2008 में अलिराजपुर का आदर्श ग्राम घोषित करने के बाद अब डूबने के लिए छोड़ दिया गया है। भिताड़ा के रायाभाई को, जो बूढ़े नार सिंह भाई के साथ लाई जा रही सरदार सरोवर की अवैध डूब के कारण प्रभावित होने वाले पात्र परिवारों को आवासीय भूखण्ड आवंटन की मांग करने गए थे, को सोण्डवा के तहसीलदार ने जवाब दिया “डूब मरो”। तहसीलदार ने उन्हें नोटिस देकर कहा कि तुम्हारा घर(नीचे फोटो देखें) पहले ही डूब चूका है और तुम्हें सब कुछ मिल चुका है! तुमने डूब क्षेत्र में फिर से घर बना लिया है। यह सफेद झूठ है।
जब इंदौर में बहस हुयी तब आयुक्त कितनी आसानी से बोले कि हमने NCA को “76 गाँव़ों के 6000 परिवारों का पुनर्वास बाकी होने” जो आंकड़े भेजे थे, उसमें अलिराजपुर के के परिवार शामिल नहीं थे। वहां का पुनर्वास पूरा होने का दावा था। लेकिन अब फिर पुनर्परीक्षण के लिए कहा है।
यहां भिताडा में, जहाँ हमारी जीवनशाला भी है, डूब में परिवारों की खेती-घर उनके पीढ़ियों के प्रकृति धन हैं। मिटटी के सुन्दर मकान, खेती के लिए भिताड़ा गाँव ने वर्षों से चलायी पहाड़ी नहरें (पाट सिस्टम) बनाकर स्थाई जलनियोजन किया था। सब कुछ ख़त्म करने वाली सरकार केवल संवाद करेगी बिना संवेदना, बिना मैदानी सच्चाई के तो कौन मानेगा उसे?
सालों से जमें भ्रष्ट मकना पटवारी, जिसने इंदौर तक के अधिकारियों के आशीर्वाद से कई आदिवासियों को लूटा, कुछ को गुजरात में फंसाया ….वह आज भी खुला घूम रहा है। तीन/चार कलेक्टरों को बताने के बाद भी।
अलिराजपुर के तो एक भी गाँव के लिए पुनर्वास स्थल मध्य प्रदेश सरकार ने नहीं बनाया है फिर भी 17 परिवारों को घर बनाने का रु. 5.80 लाख का अनुदान भुगतान कर दिया है। ऐसे प्रभावित अपने घर कहां बनाएं?
भादल का पटेल पाडा इस साल डूब गया ….सरकार है कहाँ? विस्थापन बिना विकास, यही है आगे की तमन्ना और दिशा।
जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) द्वारा जारी