मीडियाविजिल डेस्क
दिल्ली के कालकाजी स्थित बचपन बचाओ आंदोलन के दफ्तर में आज भी ‘कामरेड’ कहे जाने वाले नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी आज विजयादशमी के पर्व पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सालाना जलसे में सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ मुख्य अतिथि के बतौर रेशमीबाग को सुशोभित कर रहे हैं। आयोजन शुरू होने से ठीक पहले ट्विटर पर आरएसएस ने मोहन भागवत के साथ कैलाश सत्यार्थी की तस्वीर जारी की है।
लंबे समय से कैलाश सत्यार्थी को इस अवसर की प्रतीक्षा थी कि कब उन्हें राष्ट्रीय राजनीति की मुख्यधारा में मंच पर सुशोभित किया जाए। आज का यह मौका शायद नोबेल पुरस्कार के मुकाबले भी उनके लिए अहम होगा क्योंकि सनातन धर्म के जिन मूल्यों को लेकर वे मध्यप्रदेश के छोटे से जिले से ‘सत्यार्थी’ बनकर समाजकार्य करने निकले थे, उन्हीं मूल्यों का वहन करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी संस्था आरएसएस ने उन्हें पहली बार आधिकारिक और औपचारिक तौर पर अपना मुख्य अतिथि बनाया है।
‘’मैं दुनिया में जगह-जगह वेद मंत्रों को कई बार बोलता हूं। लोग सुनते हैं, समझते हैं और आत्मसात करने की बात करते हैं। लेकिन, मेरा मानना है कि हमारी जो आध्यात्मिक बुनियाद है और वह जिन मूल्यों पर खड़ी है, उन मूल्यों की सही ढंग से व्याख्या, पालन और लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रचार का काम नगण्य हुआ है। कई देशों में नौजवानों की संख्या बहुत ज्यादा है। भारत भी उनमें से एक है। हमारे पास जो आध्यात्मिक ज्ञान है उस पर ज्यादा गर्व होना चाहिए, क्योंकि यह ज्ञान दुनिया में सिर्फ हमारे पास है। मैं संप्रदायों, मतों और पंथों को धर्म नहीं मानता। धर्म एक ही है संसार में। मनुस्मृति में कहा गया है धार्यते इति धर्म:। यानि मनुष्य के लिए धारण करने वाले जो गुण होते हैं वही धर्म हैं। मनुस्मृति में ही इसकी व्याख्या है-
धृति: क्षमा दमोस्तेयं, शौचमिन्द्रिय निग्रह।
धीर्विद्या सत्यमक्रोध:, दशैकं धर्म लक्षणं।
क्षमा, सत्य, अक्रोध, करुणा, आत्म नियंत्रण आदि दस मानवीय गुणों का जो पालन करता है वही धार्मिक है। इसके अलावा कोई धर्म नहीं है।‘’
कैलाश सत्यार्थी को प्रेरित करने वाले व्यक्तित्वों में हिंदुस्तान समाचार के संस्थापक और आरएसएस के प्रचारक बालेश्वर अग्रवाल भी थे, जिन्हें वह ‘पिता समान’ मानते हैं। वे कहते हैं, ‘’हिंदुस्तान समाचार के संस्थापक और रा.स्व.संघ के प्रचारक बालेश्वर अग्रवाल जी हमारे पिता समान थे। मेरी पत्नी उनकी दत्तक पुत्री समान थीं। वह हमारी सगाई करवाने विदिशा भी आए थे। मेरे उनके संबंध बहुत अच्छे थे। वह मुझे दामाद मानते थे।‘’
कैलाश सत्यार्थी की संस्था बचपन बचाओ आंदोलन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच एक और तकनीकी समानता यह है कि दोनों ही अपंजीकृत संस्थाएं हैं। दिलचस्प है कि एक अपंजीकृत संस्था के नाम पर काम करने वाले कैलाश सत्यार्थी को नोबल पुरस्कार मिल गया और आज तक सार्वजनिक दायरे में यह सवाल कभी नहीं उठा, हालांकि एक मुकदमे के सिलसिले में दिल्ली की एक अदालत ने पिछले दिनों बचपन बचाओ आंदोलन से कानूनी कागजात जमा कराने को कहा था जिसमें वह नाकाम रहा।
बचपन बचाओ आंदोलन दरअसल पंजीकृत संस्था असोसिएशन फॉर वॉलन्टरी ऐक्शन (आवा) के तले एक अपंजीकृत ‘अभियान’ है जिसके नाम से कैलाश सत्यार्थी सामाजिक काम करते रहे हैं।
आरएसएस के विजयादशमी जलसे को यहां लाइव देखा जा सकता है: