ओम थानवी
इतना ही नहीं, सड़क पार गांधी स्मृति दर्शन एवं दर्शन समिति में भी आम आदमी का प्रवेश बंद है। वहाँ गांधीजी से संबंधित अनेक चीज़ें प्रदर्शित हैं, वह वाहन भी जिसमें राष्ट्रपिता की शवयात्रा निकली और राजघाट तक आई।
मगर राजघाट पर आवाजाही की इस अपूर्व रोक का सबब क्या है?
दरअसल, गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के परिसर में विश्व हिंदू परिषद की दो दिनों की बैठक चल रही है, जो रविवार को शुरू हुई है। सोमवार को बैठक ख़त्म होगी तो राजघाट भी खुल जाएगा।
राजघाट बस्ती में कोई आधी सदी से रह रहे भवानी बाबू/अनुपम मिश्र के परिवार के अनुसार किसी प्राइवेट आयोजन के चलते राजघाट के दरवाज़े बंद करने की घटना उन्होंने पहले नहीं देखी-सुनी।
विहिप की इस बैठक का एजेंडा है राम मंदिर निर्माण और कश्मीर के मुद्दे पर पर ‘अहम’ चर्चा। साथ में गाय संरक्षण के लिए अलग मंत्रालय और म्यांमार व बांग्लादेश से आने वाले हिंदुओं के पुनर्वास व्यवस्था पर गुफ़्तगू। ‘जागरण’ की एक ख़बर के मुताबिक़ इस बैठक में “देश-दुनिया से करीब 250 प्रतिनिधि” भाग लेने वाले थे। आए कितने, पता नहीं।
मगर विश्व हिंदू परिषद के लिए क्या गांधीजी के रास्ते क्यों बंद किए जाने लगे? ग़ौर करने की बात है कि गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति निकाय भारत सरकार के संस्कृति विभाग के अंतर्गत काम करता है, प्रधानमंत्री उसके अध्यक्ष हैं।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह टिप्पणी और तस्वीरें उनकी फ़ेसबुक दीवार से साभार प्रकाशित.