लक्षद्वीप में जारी विरोध-प्रदर्शनों के बीच, राहुल गांधी की पीएम को चिट्ठी

लक्षद्वीप में सरकार की ओर से नियुक्त प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के कई सारे फैसलों के वहां की जनता के द्वारा हो रहे व्यापक विरोध के बीच – कांग्रेस नेता और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख कर इस मामले में दखल देने और लोगों की बात सुनने का आग्रह किया है। इस चिट्ठी में राहुल गांधी ने पीएम को याद दिलाया है कि लक्षद्वीप अपनी सांस्कृतिक विविधता-विरासत और प्राकृतिक सुंदरता के लिए दुनिया भर में मशहूर है और इसको बचाने के लिए यहां के लोगों के विरोध को सुना जाना चाहिए। चिट्ठी में प्रशासक प्रफुल्ल पटेल की नीतियों को जनविरोधी और विविधता के लिए ख़तरा बताया है। उन्होंने चिट्ठी में लिखा है,

“प्रिय प्रधानमंत्री,
आशा करता हूं कि आप अच्छे से होंगे। पीढ़ियों से लक्षद्वीप की निश्छल प्राकृतिक सुंदरता और इसकी अद्वितीय सांस्कृतिक विविधता ने लोगों को अपनी ओर खींचा है। वहां की विरासत के रक्षक, इन द्वीपसमूहों को अगली पीढ़ी के लिए बचाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन लक्षद्वीप के प्रशासक श्री प्रफुल्ल खोड़ा पटेल द्वारा घोषित जन विरोधी नीतियों के कारण उनका भविष्य ख़तरे में आ गया है। वहां के प्रशासक ने अपनी ओर से, वहां पर आमूलचूल परिवर्तन शुरू कर गिए हैं, जिसके लिए वहां के जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि से कोई सलाह नहीं की गई। लक्षद्वीप के लोग, इस कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं।” 

क्या हो रहा है लक्षद्वीप में?

 

लक्षद्वीप में पिछले कई दिनों से वहां के निवासियों की ओर से प्रशासक के कई फ़ैसलों का विरोध हो रहा है। इनमें बीफ़ बैन, कुछ नए क़ानून और पंचायत चुनाव के नियमों में किए जाने वाले बदलाव शामिल हैं। अगर ग़ौर से देखा जाए तो वाकई ये सारे प्रस्तावित नियम अगर क़ानून में बदल जाते हैं तो लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।

हालांकि लक्षद्वीप प्रशासक प्रफुल पटेल का कहना है कि सब कुछ नियमों के मुताबिक़ ही है और विरोध करने वाले केरल से हैं। उनके मुताबिक लक्षद्वीप में में भी उनके प्रस्तावों के विरोधी किसी निहित स्वार्थ के कारण ऐसा कर रहे हैं।

दरअसल लक्षद्वीप एक केंद्र शासित प्रदेश है, यहाँ पर विधानसभा नहीं होती है और राज्य को राष्ट्रपति की ओर से नियुक्त

प्रशासक नियंत्रण करता है। हालांकि ये लोकसभा सीट है और यहां के सांसद मोहम्मद फ़ैज़ल भी प्रशासक के फैसलों के विरोध में हैं।

इस बीच सरकार ने नए नियमों की ड्रॉफ़्ट नोटिफ़िकेशन जारी कर दी है। जिसके बाद यहां विरोध और तेज़ हो गया है। नागरिकों, पंचायत और सांसद मानते हैं कि ये सब कुछ नियमों को दरकिनार कर और बिना निर्वाचित प्रतिनिधियों की सलाह कर के किया गया है।

इन नए प्रस्तावित क़ानूनों में बीफ़ बैन, पंचायत चुनाव में उन लोगों के लड़ने पर पाबंदी, जिनके दो से अधिक बच्चे हैं, लोगों की गिरफ़्तारी और भूमि अधिग्रहण से जुड़े नए नियम शामिल हैं।

राहुल गांधी की चिट्ठी

राहुल गांधी ने अपनी चिट्ठी में इन सारे मामलों को लेकर, प्रधानमंत्री से इसमें दखल देने की मांग की है। राहुल गांधी ने मांग की है कि इन प्रस्तावित क़ानूनों को तत्काल प्रभाव से सरकार को वापस लेना चाहिए। राहुल गांधी ने ये भी कहा है कि इन क़ानूनों का लोगों की ज़िंदगी और आजीविका – दोनों पर ही असर पड़ेगा। ख़ासकरह सांस्कृतिक विविधता नष्ट होगी, कुदरत का विकास के नाम पर नुकसान होगा और वहां की सबसे बड़ी आबादी – मछुआरों की आजीविका पर ख़तरा आ जाएगा। 

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