संयुक्त किसान मोर्चा की मंगलवार को कुंडली बॉर्डर पर दोपहर तीन बजे अहम बैठक हुई है। किसानों के आंदोलन को एक साल पूरा होने से पहले हुई इस बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए हैं। इस बैठक में सरकार को घेरने की योजना बनाई गई है। संयुक्त किसान मोर्चा ने फैसला किया है कि 26 नवंबर को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान से लेकर दिल्ली तक सभी मोर्चों पर भारी भीड़ जुटेगी और वहां बड़ी सभाएं भी होंगी।
किसान प्रतिदिन ट्रैक्टर ट्रालियों में संसद भवन जाएंगे..
बैठक में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने फैसला किया है कि 28 नवंबर को मुंबई के आज़ाद मैदान में एक विशाल किसान-मजदूर महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। संयुक्त शेतकारी कामगार मोर्चा (एसएसकेएम) के बैनर तले महाराष्ट्र के 100 से अधिक संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। वहीं, मोर्चा नेताओं ने बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए यह भी बताया कि 29 नवंबर से दिल्ली में संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। इसके मद्देनज़र मोर्चा ने फैसला किया कि 29 नवंबर से संसद सत्र के अंत तक 500 चयनित किसान प्रतिदिन ट्रैक्टर ट्रालियों में संसद भवन जाएंगे।
मोर्चा के सदस्य ने सरकार को झुकाने के लिए किसानों द्वारा संघर्ष तेज़ करने पर ज़ोर दिया..
मोर्चा के सदस्य मंजीत राय ने बैठक के पहले कहा कि सरकार को झुकाने के लिए जरूरी है कि कुछ खास निर्णय लिए जाएं। जिसके बाद बैठक में यह निर्णय लिए गए है। उन्होंने कहा था कि किसान कृषि कानूनों को रद्द कराने व एमएसपी की गारंटी के लिए 26 नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर लगातार आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 22 जनवरी तक किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी थी। इसके बाद 26 जनवरी को लाल किले की घटना के बाद से सरकार और किसानों के बीच जो गतिरोध पैदा हुआ था, वह आज तक खत्म नहीं हुआ है। सरकार की ओर से बातचीत के लिए कोई आमंत्रण नहीं आया है। जिससे अब किसान आक्रोशित हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सरकार को झुकाने के लिए अब किसानों को अपना संघर्ष तेज करना होगा।