मप्र में नया कानून लाने की तैयारी: सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से वसूलेंगे जुर्माना!

मध्य प्रदेश में भी अब यूपी की तरह किसी आंदोलन या प्रदर्शन में सरकारी या निजी संपत्ति पर किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने वाले व्यक्ति से हर्जाना वसूली का कानून बनाने की तैयारी की जा रही है। प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस बात की पुष्टि करते हुए बुधवार को कहा कि राज्य में सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान की रोकथाम और नुकसान की वसूली अधिनियम (Prevention of Loss of Public and Private Property and Recovery of Damage Act) जल्द ही लाया जा रहा है।

ट्रिब्यूनल का गठन कर तय होगा हर्जाना..

गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि इस कानून के तहत सरकारी या निजी संपत्ति पर पथराव कर किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने वाले व्यक्ति से हर्जाना वसूल किया जाएगा। अगर कोई भी व्यक्ति किसी भी संपत्ति को नुकसान पहुंचाएगा तो उसपर जो जुर्माना लगेगा वह घटना स्थल के आधार पर तय किया जाएगा। मिश्रा के अनुसार, कानून के तहत एक न्यायाधिकरण (tribunal) का गठन किया जाएगा, जो हर्जाना तय करेगा। इसमें पुलिस महानिदेशक रैंक के एक अधिकारी, आईजी रैंक के एक अधिकारी और एक सेवानिवृत्त सचिव होंगे।

ट्रिब्यूनल के पास सिविल कोर्ट जैसे अधिकार..

बता दें कि मिश्रा ने संवाददाताओं से बताया कि इस ट्रिब्यूनल के पास सिविल कोर्ट की तरह शक्तियां होंगी। कलेक्टर इस ट्रिब्यूनल को सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान की जानकारी देंगे। शिकायत के बाद क्लेम कमिश्नर मौके पर जाकर फोटोग्राफ और नुकसान की रिपोर्ट ट्रिब्यूनल को सौंपेगा। इसी आधार पर ट्रिब्यूनल फैसला देगा। वहीं, अगर किसी की निजी संपत्ति को नुकसान होता है, तो वह भी ट्रिब्यूनल से संपर्क कर सकेगा। उन्हें संपर्क कर नुकसान की रिपोर्ट ट्रिब्यूनल को देनी होगी। मध्य प्रदेश में दंगाइयों, पथराव करने वालों और दूसरों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन के इंतज़ाम किए जा रहे हैं।

एक माह के अंदर मामलों का निस्तारण करेगा ट्रिब्यूनल..

गृह मंत्री के मुताबिक, इस ट्रिब्यूनल के पास लैंड रेवेन्यू कोड के समान ही अधिकार होंगे। एक माह के अंदर मामलों का निस्तारण कर दिया जाएगा। इस ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ सीधे हाईकोर्ट में जाया जाएगा। इस अधिनियम पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है। प्रस्ताव तैयार होने के बाद इसे कैबिनेट में लाया जाएगा, जिसके बाद इस कानून को विधानसभा में लाकर लागू किया जा सकता है।

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