‘चीनम शरणं गच्छामि’ हुए स्वदेशी लाला रामदेव !

यह समझौता चीन के हार्वे प्रोवेंस के नबडागंग में नबडागंग औद्योगिक पार्क की प्रशासनिक समिति और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड तथा और नेपाल की एक संस्था के बीच किया गया है

गिरीश मालवीय

लीजिए अब लाला रामदेव की पूर्णस्वदेशी- पूर्ण स्वदेशी की रट भी झूठी निकली, ……बाबा खुद ‘चीनम शरणम गच्छामि’ हो गए ……………कल पतंजलि आयुर्वेद के चेयरमैन बालकृष्ण ने फेसबुक पर साइन किया हुआ एमओयू और एसीएनआईपी शेयर किया। बालकृष्ण ने फेसबुक पर लिखा कि-

 “भारतवर्ष एवं भारतीय संस्कृति के लिए गौरव का क्षण” 

‘चीन के हेबेई प्रांत के नबडागंग में एडमिनिस्ट्रेटिव कमेटी ऑफ नबडागंग इंडस्ट्रियल पार्क व पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, भारत व दो अन्य संस्थाओं के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत यहाँ की सरकार ने भारत वर्ष की हर तरह की कला,संस्कृति, परंपरा,योग,आयुर्वेद अनुसंधान, जड़ी-बूटी अन्वेषण, योग- केंद्र , पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी, शिक्षा, मीडिया आदि गतिविधियों के लिए कार्य करने हेतु स्वीकृति दी तथा सभी संसाधन उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया।’

अब इसे भारतीय कला संस्कृति से जोड़ा जा रहा है जबकि ऐसा होता तो ऐसे समझौते सरकारी स्तर पर किये जाते हैं यहाँ सरकार की कोई बात नही है एमओयू दो प्राइवेट संस्थाओं के बीच है

आचार्य बालकृष्ण कह रहे हैं कि यह एमओयू भारतीय संस्कृति, परम्परा तथा विभिन्न कलाओं के प्रचार-प्रसार में सहायक होगा। यदि कोई भारतीय संस्था, कम्पनी, सरकारी या गैर सरकारी संगठन यहां कार्य करना चाहे तो इस समझौते के अनुसार उन्हें यहां पूरा सहयोग मिलेगा ……………….. लेकिन समझने लायक बात यह है कि यह समझौता चीन के हार्वे प्रोवेंस के नबडागंग में नबडागंग औद्योगिक पार्क की प्रशासनिक समिति और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड तथा और नेपाल की एक संस्था के बीच किया गया है

अब चाइना की SEZ यानी एक इंडस्ट्रियल इस्टेट से उनके संसाधनों को उपलब्ध कराने की बात करने का मतलब क्या होता है यह समझना मुश्किल नही है इंडस्ट्री से जुड़ा कोई भी आदमी इस समझौते का अर्थ अच्छी तरह से समझ सकता है।


लेखक आर्थिक मामलोें के जानकार हैं।

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