छात्रा के साथ बदसलूकी का मामला पहुँचा हाईकोर्ट, मुआवज़े और दंड की माँग

इन दिनों एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें एक पुलिसवाला बेहद आपत्तिजनक तरीक़े से एक छात्रा को भींचे हुए है। तस्वीर 17 सितंबर को बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ लखनऊ में हुए प्रदर्शन की है। यह पीएम मोदी का जन्मदिन था जब देश भर में राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस मनाकर युवाओं ने प्रतिवाद जताया।

इस तस्वीर में जिस तरह से पुलिसवाले ने लड़की को पकड़ा है, उसके ख़िलाफ़ लोगों का गुस्सा स्वाभाविक था। ऊपर की तस्वीर में मशहूर पत्रकार राकेश पाठक की फ़ेसबुक टिप्पणी पढ़ सकते हैं जिसमें ग़ुस्से के साथ तक़लीफ़ झलक रही है। मामला बढ़ता देख, यूपी पुलिस ने सफ़ाई दी कि ऐसा ग़लती से हुआ, यानी लड़की को लड़का समझ लिया गया। पर जो पुलिसवाला लड़की के वक्ष को भींचे हुए है, वह फ़र्क़ नहीं समझ सकता, इस पर कौन यक़ीन करेगा। ज़ाहिर है, यह पुलिस की वह मर्दवादी मानसकिता है जिसका नज़ारा उसके कार्यकलापों में रोज़ नज़र आता है।

बहरहाल, यह मामला अब इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुँच गया है। हाईकोर्ट के वक़ीलों के अधिवक्ता मंच ने इस संबंध में एक ऑनलाइन याचिका दायर की है और सरकार को लड़की को मुआवज़ा देने और दोषी को दंडित करने का निर्देश देने की माँग की है।

अधिवक्ता मंच की याचिका में कहा गया है कि 17 सितंबर को बेरोज़गारी के सवाल पर राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन के दौरान लखनऊ विश्वविद्यालय के गेट पर एक छात्र को पुलिस के सब इंस्पेक्टर ने बेहद आपत्तिजनक ढंग से पकड़ा। लड़की असहाय नज़र आ रही थी। यह न सिर्फ़ मानवीय गरिमा बल्कि पुलिस एक्ट, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के तमाम फ़ैसलों, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा पुलिस को दिये गये तमाम निर्देशों के ख़िलाफ़ है।

अधिवक्ता मंच ने माँग की है कि हाईकोर्ट-

राष्ट्रीय या राज्य महिला आयोग को मामले की जाँच के साथ अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश करने का निर्देश दे।
यूपी के पुलिस महानिदेशक से इस मामले में आरोपी सब इंस्पेक्टर के खिलाफ की गयी कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी जाये।
सरकार को निर्देश दिया जाये कि वह पीड़ित लड़की को सुरक्षा और मुआवज़ा दे।

अधिवक्ता मंच की ओर से  वरिष्ठ वकील के.के.रॉय, राजवेंद्र सिंह, मो.सईद सिद्दिकी और प्रबल प्रताप ने यह ऑनलाइन याचिका दायर की है।

 



 

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