नर्मदा चुनौती सत्याग्रह: अनशन के चौथे दिन MP के गृहमंत्री ने किया मेधा पाटकर का समर्थन

“नर्मदा चुनौती सत्याग्रह” स्‍थल पर राज्‍य सरकार के प्रतिनिधि के रुप प्रदेश के गृहमंत्री बाला बच्‍चन ने आंदोलन का समर्थन करते हुए पिछले 4 दिनों से अनशनरत सुश्री पाटकर के स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति चिंता जाहिर की। उन्‍होंने आंदोलन की मांगों को मुख्‍यमंत्री के समक्ष रखकर उनका निराकरण करवाने का आश्‍वासन दिया।

उल्‍लेखनीय है कि गैरकानूनी डूब के खिलाफ बड़वानी जिले के ऐतिहासिक गांव छोटा बड़दा में 25 अगस्‍त 2019 से “नर्मदा चुनौती सत्याग्रह” जारी है। सत्‍याग्रहियों की मांग है कि बांध के गेट खोल कर जलस्‍तर 130 मीटर तक कम कर 32 हजार प्रभावितों के पुनर्वास की प्रक्रिया तुरंत प्रारंभ किया जाए। बिना पुनर्वास के बांध में 138.68 मीटर तक पानी भरना एक जीती-जागती सभ्‍यता की जल हत्या होगी, जो प्रभावितों के संवैधानिक अधिकारों के हनन के साथ नर्मदा ट्रिब्यूनल के फैसले, न्यायालयीन आदेशों और पुनर्वास नीति का खुला उल्‍लंघन होगा हमें मंजूर नहीं है।

प्रदेश सरकार बांध में पानी भरने के समयपत्रक को एक साल से आगे धकेला जाये ताकि प्रभावितों के पुनर्वास का समय मिल सके | इसके लिए सरकार सर्वदलीय प्रयास करें। शिकायत निवारण प्राधिकरण के आदेशों का पालन करें। प्रदेश सरकार द्वारा प्रभावितों के अधिका‍रो के खिलाफ सर्वोच्‍च न्‍यायालय और उच्‍च न्‍यायालय में जारी याचिकाओं को वापस लिया जाए ताकि प्रभावितों की दशकों से जारी प्रताड़ना पर रोक लगे।

पुनर्वास का सारा खर्च गुजरात सरकार को वहन करना है इसलिए गुजरात सरकार से पुनर्वास, वैकल्पिक वनीकरण आदि का खर्च वसूल करे। प्रभावितों को किए गए भुगतान की सूचियां वेबसाईट पर सार्वजनिक की जाए।

प्रभावितों ने बताया कि सरकार सबसे पहले गैरकानूनी डूब रोकें तथा गांव-गांव में शिविर लगाकर सभी प्रभावितों के पुनर्वास की प्रक्रिया प्रारंभ करें। सरकार ने अभी तक सिर्फ राजघाट और जांगरवा में तब शिविर लगाए जब इन गांवों में प्रशासनिक दादागिरी से प्रभावितों की मौत हो गई। उल्‍लेखनीय है कि प्रशासन द्वारा जबरन हटाने के दौरान राजघाट में 2 तथा जांगरवा में एक प्रभावित की मौत हो चुकी है। राजघाट में शिविर को 2 सप्‍ताह बीत गए हैं लेकिन प्रभावितों की समस्‍याओं पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

सरकार के ही अनुसार शिकायत निवारण प्राधिकरण में 8500 अर्जियां तथा लंबित है जिनमें 2952 खेती या 60 लाख की पात्रता वाले हैं। हजारों परिवारों को 5 लाख 80 हजार अनुदान और आवासीय भूखण्‍ड मिलना बाकी है। ऐसे में डूब लाना अस्‍वीकार्य है।

मध्‍यप्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण NCA को भेजे पत्र दिनांक 27.05.2019 में 76 गांवों में 6000 परिवारों को डूब क्षेत्र में निवासरत बताया है। सरकार का यह आंकलन आधारहीन तथा व़ास्‍तविकता से बहुत कम है।

नघाविप्रा के भ्रष्‍ट अधिकारियों जिनमें संचालक श्री खरे भी शामिल हैं को पुनर्वास की प्रक्रिया से दूर रखने की मांग की ताकि आगे के भ्रष्‍टाचार पर रोक लगाई जा सके।

प्रभावितों ने पूर्व में सरकार को प्रस्‍तुत 33 बिंदुओं के मांग पत्र पर तुरंत कार्रवाई की मांग की। साथ ही संकल्‍प व्‍यक्‍त किया कि जब तक सरकार प्रभावितों की न्‍यायपूर्ण और वैधानिक मांगों को नहीं मानती सत्‍याग्रह जारी रहेगा।

भागीरथ धनगर, नरेंद्र यादव, रेहमत मंसूरी, हुकुम जाट, देवीसिंह तोमर, महेंद्र तोमर, सनोबर बी मंसूरी, पेमल बहन, कमला यादव, मेधा पाटकर


विज्ञप्ति : नर्मदा बचाओ आन्दोलन द्वारा जारी

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