मज़दूर-किसान के वास्ते, लाल हुए संसद के रास्ते!

Delhi

 

देश के कोने-कोने से दिल्ली पहुँचे किसानों और मज़दूरों की रैली से आज संसद मार्ग लाल हो गया। काफ़ी लंबे क़ाफ़िले मे लालझंडा लिए किसान और मज़दूर मोदी सरकार को जनविरोधी बताते हुए नारे लगा रहे थे। रामलीला मैदान से शुरू हुई ये रैली संसद मार्ग पहुँचकर एक जनसभा में तब्दील होग गई। रैली में महिलाओं की भी भारी तादाद नज़र ।

किसान-मज़दूर संघर्ष रैली का आयोजन मुख्य रूप से अखिल भारतीय किसान सभा, अखिल भारतीय खेत मज़दूर सभा और  सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) ने किया था। ये सभी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े संगठन हैं।

लगातार हो रही बूँदाबाँदी के बीच कल से ही देश भर से किसानो और मज़दूरों की टोलियाँ रामलीला मैदान पहुँचने लगी थीं। उनका साफ़ कहना था कि सरकार ने किसानों के लिए स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने के वादे के साथ धोखा किया है। साथ ही रोज़गार और मज़दूरी के मोर्चे पर भी सरकार पूरी तरह फेल रही है। अच्छे दिन का नारा पूरी तरह जुमला साबित हुआ है। 2019 में मोदी सरकार को जाना ही होगा।

रैली के दौरान जो माँगपत्र वितरित किया गया उसमें कहा गया था कि कीमतों पर लगाम लगाई जाए। खाद्य वितरण प्रणाली को दुरुस्त किय जाए, युवाओं को रोज़गार दिया जाए और न्यूनतम मजदूरी 18000 रुपये प्रतिमाह किया जाए। सके अलावा खेत मजदूरों और किसानों के कर्ज माफ़ करने की भी माँग की गई थी। साथ ही भूमि अधिग्रहण के नाम पर किसानों की ज़मीन छीनने का कड़ा विरोध किया गया था।

कई वाम नेताओं ने इस रैली को सिर्फ एक ट्रेलर बताया। उनके मुताबिक 28, 29, 30 नवंबर को देश के 201 किसान संगठन हर राज्य से दिल्ली की ओर कूच करेंगे।

 

 



 

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