कृषि क़ानूनों की वापसी की माँग को लेकर जारी किसानों का आंदोलन 1 अप्रैल को 126वें दिन भी जारी रहा। किसानों द्वारा भाजपा व इसके सहयोगी दलों के नेताओ का शांतिपूर्वक सामाजिक बहिष्कार जारी है। आज हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का हिसार पहुंचने पर किसानों द्वारा जमकर विरोध हुआ। किसानों ने किसान विरोधी दुष्यन्त चौटाला को एयरपोर्ट से निकलने न दिया। वे हेलीकाप्टर से ही आठ किलोमीटर दूर विश्वविद्यालय के लिए गये।
राजस्थान के हनुमानगढ़ में डबली टोल प्लाजा पर किसानों ने पीलीबंगा के विधायक धर्मेंद्र सिंह को घेरा। किसानों का यह कहना था कि वे वोट के समय तो किसानों मजदूरों के हितैषी बनते है पर आज जब किसान संघर्ष कर रहा है तो उसके खिलाफ खड़े हुए है।
पंजाब के 32 किसान संगठनों और संयुक्त किसान मोर्चा ने फैसला किया है कि किसान आंदोलन को तेज करने के लिए लखा सिदाना व उसके साथियो के साथ मिलकर आगे बढ़ा जाएगा। हम सभी संगठनों, नेताओं, सिख विचारकों, खिलाड़ियों, कलाकार समुदाय को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने किसान संघर्ष को मजबूत करने के लिए इस मुद्दे को हल किया है।
भाजपा व उसके सहयोगी दलों के सासंद व अन्य चुने हुए प्रतिनिधियों को हम किसान आन्दोलन का समर्थन करने का आग्रह करते है। सयुंक्त किसान मोर्चा इन नेताओं से अपील करता है कि वे इस्तीफे से लेकर किसी भी तरह से किसान आंदोलन का समर्थन कर सकते है।
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आने वाली 5 अप्रैल को FCI बचाओ दिवस मनाया जाएगा। इसके तहत देशभर में FCI के दफ्तरों का सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक घेराव किया जाएगा। हम किसानों व आम जनता से अपील करते है कि यह अन्न पैदा करने वालो और अन्न खाने वालों दोनों के भविष्य की बात है इसलिए इस दिन इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लें। किसानों की मांग है कि सभी किसानों की सभी फसलों की सरकारी खरीद की गारंटी हो और राशन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाया जाए।
30 मार्च को यात्रा की 2 टुकड़ियाँ, पहली, गुजरात के दांडी से निकल कर, गुजरात के अन्य गांव व शहर से होते हुये 1 अप्रैल को राजस्थान के डूंगरपुर के बिछीवाड़ा पहुंची और दूसरी मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में शुरू की गई, जो रतलाम, नीमुच होकर 1 अप्रैल की सुबह को बिछीवाड़ा पहुंची, जहाँ आदिवासी किसानों के बीच सभा रखी गई|
यात्रा के दौरान राजस्थान के सीकर होते हुए पंजाब के मानसा व सुनाम की ऐतिहासिक भूमि से मिट्टी इक्कठी की जायेगी। इसके बाद जींद होते हरियाणा के अन्य गावों शहरों से होते हुए दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर चल रहे किसानो के धरनास्थलों पर पहुँचेगी। यहाँ सभी बॉर्डर पर शहीद स्मारक बनाये जायेंगे।
– डॉ दर्शन पाल
सयुंक्त किसान मोर्चा