नर्मदा का सरदार सरोवर बांध पर बना एक ओर गुजरात के किसानों के लिए मृगतृष्णा बना हुआ है तो वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश के पीड़ितों के लिए आफत बनी हुई है। काउंटरव्यू न्यूज वेब की एक रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात सरकार भले ही नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध को पूर्ण जलाशय स्तर (FRL) तक भरने के लिए सभी प्रयास कर रही है, किन्तु किसान अधिकारों के लिए काम करने वाले एक वरिष्ठ नेता का कहना कि विशाल जलाशय आज भी एक गुजरात के किसानों के लिए एक “मृगतृष्णा” बना हुआ है।
Gujarat's 'incomplete' canals? Narmada dam filled up, yet benefits 'won't reach' farmers https://t.co/dGbnF0GOVk pic.twitter.com/gTOxOlMrkf
— Rajiv J Shah (@rajivspeak) September 7, 2019
खेड़ूत एकता मंच (KEM) के सागर राबारी ने एक बयान में कहा है- हालांकि बांध का जलाशय भरा जा रहा है, लेकिन नहर का नेटवर्क पूरा नहीं है। नवीनतम सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए, वह कहते हैं, इस बीच, बांध का कमान्ड क्षेत्र 18,45,000 हेक्टेयर (हेक्टेयर) से घटकर 17,92,000 हेक्टेयर रह गया है।
जबकि पिछले शुक्रवार को अपडेट किए गए “सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड की वेबसाइट के अनुसार, 458 किलोमीटर लंबी मुख्य नहर पूरी हो गई है, 2731 किलोमीटर की प्रस्तावित लंबाई में से 144 किमी लंबी रैंच नहरें अधूरी हैं। जबकि, निर्धारित 4569 किमी डिस्ट्रिब्युटरीज (वितरणियों) के विपरीत 4347किमी का निर्माण किया गया है, जबकि 222 किलोमीटर का काम अभी भी बाकी है। और 15,670 किमी छोटी नहरों में, 13,889 किमी तक का काम पूरा हो गया है, जबकि 1,781 किलोमीटर का काम अभी लंबित है। इसके अलावा निर्धारित 48,320 किमी की अति लघु नहरों में से 39,448 किमी तक का काम पूरा हो चुका है, जबकि 8,872 किमी का काम अभी भी लंबित है।
गुजरात सरकार के इस दावे पर कि नर्मदा कमान्ड क्षेत्र का 14,88,588 हेक्टेयर सिंचित हो गया है, टिप्पणी करते हुए सागर राबरी कहते हैं, “अंतिम वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, नर्मदा के पानी से वास्तविक सिंचित क्षेत्र 18,45,000 हेक्टेयर में से 6,73,000 हेक्टेयर था।”
वो सरकार पर बांध में जल स्तर बढ़ाकर मध्य प्रदेश के किसानों को डूबने के कगार पर खड़ा करने का आरोप लगाते हुए कहते हैं कि नहर का नेटवर्क अधूरा है और गुजरात के किसानों को इसका लाभ मिलने की संभावना नहीं है।
गुजरात में सरदार सरोवर बांध का जलस्तर 134 मीटर, नदियां उफान पर
सरदार सरोवर बांध का जलस्तर पहली बार 134 मीटर पहुंचने के बाद बांध के 20 दरवाजे खोले गए हैं, साथ ही वडोदरा, नर्मदा व भरुच जिलों को अलर्ट कर दिया है।
सरदार सरोवर नर्मदा बांध का जलस्तर 134 मीटर की ऊंचाई को पार कर गया है। बांध के पानी का जलस्तर पहली बार इस लेवल तक पहुंचा है। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त को ट्वीट कर बांध का फोटो शेयर करते हुए खुशी जताई थी।
News that will make you thrilled!
Happy to share that the water levels at the Sardar Sarovar Dam have reached a historic 134.00 m.
Sharing some pictures of the breathtaking view, with the hope that you will go visit this iconic place and see the ‘Statue of Unity.' pic.twitter.com/nfH67KcrHR
— Narendra Modi (@narendramodi) August 28, 2019
बता दें कि सरदार सरोवर बांध व नर्मदा नहर परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते बांध की ऊंचाई बढ़ाने को लेकर मोदी 2005 में 51 घंटे तक उपवास पर भी बैठ गए थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने चंद दिनों में ही बांध पर 16-16 मीटर के दरवाजे लगाने की मंजूरी दिला दी थी, जिससे अब बांध को उच्चतम स्तर 138,5 मीटर तक भरा जा सकता है।
मध्य प्रदेश के पीड़ित प्रभावितों की चिंता
मध्य प्रदेश सरकार के नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) के एक अधिकारी ने बताया कि नर्मदा तट से करीब चार किलोमीटर दूर स्थित निसरपुर में सरदार सरोवर बांध का बैकवॉटर 133 मीटर का स्तर पार कर गया जो खतरे के निशान के मुकाबले करीब 6.5 मीटर ज्यादा है।
Ranjana Bai, resident of village Khaparkhera, tehsil Kukshi, dist Dhar, refuses to leave her house, the house where she lived her whole life, now fully submerged due to the Sardar Sarovar Dam pic.twitter.com/0EObjfHHoH
— #iStandWithFarmers (@suresh_ediga) September 6, 2019
पीड़ितों की मांग है कि बांध के गेट खोलकर जलस्तर 130 मीटर तक कम कर 32 हजार प्रभावितों के पुनर्वास की प्रक्रिया तुरंत प्रारंभ की जाए। आंदोलनकारियों का कहना है कि बिना पुनर्वास के बांध में 138.68 मीटर तक पानी भरना एक जीती-जागती सभ्यता की जल हत्या होगी, जो प्रभावितों के संवैधानिक अधिकारों के हनन के साथ नर्मदा ट्रिब्यूनल के फैसले, न्यायालयी आदेशों और पुनर्वास नीति का खुला उल्लंघन होगा।
हिंदुस्तान की एक खबर के मुताबिक गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध में पानी के बढ़ते स्तर के कारण माध्य प्रदेश के 10 हजार की अबादी वाले निसरपुर गांव पर डूबने का खतरा मंडराने लगा है। मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के पास के पेड़-पौधे और घर-मकान डूबने लगे हैं।धार जिले में 10 हजार की आबादी वाले निसरपुर गांव में पानी तेजी से बढ़ रहा है जिसके कारण लोग पलायन करने को मजबूर हैं। अब तक सैकड़ों लोग गांव से पलायन कर चुके हैं।
मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव ने नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (NCA) को मई में जो पत्र भेजा है उसके मुताबिक 76 गांवों में 6000 परिवार डूब क्षेत्र में रहते हैं, जबकि 8500 अर्जियां, 2952 खेती या 60 लाख की पात्रता के लिए लंबित हैं जबकि नर्मदा बचाओ आंदोलन के मुताबिक इन इलाकों में 32000 परिवार रहते हैं।
If the plan to fill the Sardar Sarovar dam to its brim by mid-October without rehabilitating the affected was not harrowing enough for Madhya Pradesh, it is being done by Gujarat at a menacing pace https://t.co/Nqbb9GIlVd
— The Hindu (@the_hindu) September 5, 2019
नर्मदा चुनौती सत्याग्रह
वहीं दूसरी ओर तमाम पीड़ितों के साथ सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर ने“नर्मदा चुनौती सत्याग्रह” आंदोलन किया। मध्यप्रदेश के गृहमंत्री बाला बच्चन ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया। आंदोलनकारियों का आरोप है कि केंद्र और गुजरात सरकार 192 गांवों और एक नगर को बिना पुनर्वास डुबाने की साजिश रच रहा है, जबकि वहां आज भी 32,000 परिवार रहते हैं। इस स्थिति में बांध में 138.68 मीटर पानी भरने से 192 गांव और एक नगर की जल हत्या होगी।
नर्मदा चुनौती सत्याग्रह: अनशन के चौथे दिन MP के गृहमंत्री ने किया मेधा पाटकर का समर्थन
134 मीटर पानी भरने से कई गांव जलमग्न हो गए हैं और हजारों हेक्टेयर जमीन डूब गई। गांववालों का आरोप है कि सर्वोच्च अदालत के फैसले के बावजूद कई विस्थापितों को अभी तक 60 लाख रुपये नहीं मिले, कई घरों का भू-अर्जन भी नहीं हुआ। आंदोलनकारियों ने मांग दोहराई कि पूर्व की राज्य सरकार ने जो भी किया उसे सामने लाकर मध्यप्रदेश सरकार को गुजरात और केंद्र सरकार से बात करके बांध के गेट खुलवाना चाहिए और पुनर्वास का काम तत्काल करना चाहिए।
गुजरात सरकार के खिलाफ मेधा पाटकर का अनशन MP के मुख्यमंत्री के आश्वासन पर खत्म
आंदोलनकारियों की मांग है कि मध्य प्रदेश सरकार प्रभावितों के अधिकारों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय में जारी याचिकाओं को वापस ले ताकि प्रभावितों की दशकों से जारी प्रताड़ना पर रोक लगे। उन्होंने यह भी मांग की कि पुनर्वास का सारा खर्च गुजरात सरकार को वहन करना है इसलिए गुजरात सरकार से पुनर्वास, वैकल्पिक वनीकरण आदि का खर्च वसूल करे. प्रभावितों को किए गए भुगतान की सूचियां वेबसाइट पर सार्वजनिक की जाएं।