चुनाव चर्चा: आन्ध्र के चुनावी पनघट पर पानीदार क्षत्रप और प्यासी बीजेपी-काँग्रेस

चंद्र प्रकाश झा 

 

आंध्र प्रदेश की 15 वीं विधान सभा के नए चुनाव नई लोकसभा चुनाव के साथ ही मई 2019 के पहले होने हैं। केंद्र में सत्तारूढ़ , राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ( एनडीए ) का नेतृत्व करने वाली भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा ) और विपक्षी कांग्रेस राज्य में नए चुनाव अपने ही बलबूते पर लड़ने की घोषणा कर चुकी है। दूसरी तरफ मोदी सरकार और एनडीए से भी गत मार्च में अलग हो चुकी , राज्य की सत्तारूढ़ तेलगू देशम पार्टी ( टीडीपी ) ने कहा है कि सभी क्षेत्रीय पार्टियां संग मिल कर आगामी चुनाव लड़ेगी। क्षेत्रीय पार्टियां ही यह तय करेंगी कि केंद्र में अगली सरकार किसकी बनेगी।

टीडीपी और भाजपा ने पिछले चुनाव में गठबंधन किया था। मौजूदा लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ पेश अविश्वास प्रस्ताव पर गत जुलाई में हुई बहस में टीडीपी सांसद जयदेव गाला ने यहां तक कह दिया था , ” प्रधानमंत्री जी, यह धमकी नहीं, श्राप है, आंध्र में भाजपा का भी कांग्रेस की तरह सूपड़ा साफ हो जाएगा जाएगी क्योंकि इस सरकार के कार्यकाल में आंध्र प्रदेश के लिए किये गए वादे खोखले वादों की कहानी है. टीडीपी , आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद विजयवाड़ा नगर के पास अमरावती में बसाई जा रही नई राजधानी के लिए वित्तीय सहायता देने और इस प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करती रही है.

मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू ने दो टूक कह दिया है कि भाजपा अगर 2019 के आम चुनाव के लिए संपर्क करेगी तो भी उनकी पार्टी , एनडीए में फिर शामिल नहीं होगी. नायडू के अनुसार ‘ टीडीपी राज्य के लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की खातिर 2014 में एनडीए में शामिल हुई थी। उन्होंने कहा है , ‘ हम सत्ता के भूखे नहीं है. हमने आंध्र प्रदेश के लिए न्याय के वास्ते भाजपा की सरकार के क़दमों का चार बरस इंतज़ार किया। उसने राज्य के लोगों को धोखा दिया। हम कैसे यकीन कर लें वह फिर धोखा नहीं देगी।’

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आंध्र प्रदेश के नेताओं के साथ 21 जून को एक बैठक में कहा कि कांग्रेस राज्य में अकेले ही लड़ेगी। दरअसल , भाजपा और कांग्रेस के अकेले ही चुनाव लड़ने का विकल्प खुला लगता है।

वायएसआर कांग्रेस पार्टी

इसमें संदेह है कि राज्य विधान सभा में मौजूदा मुख्य विपक्षी दल , ‘ युवजन श्रमिक रायथू ( वायएसआर ) कांग्रेस पार्टी ‘ चुनाव में किसके संग रहेगी। वायएसआर कांग्रेस पार्टी का गठन अविभाजित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे , डॉक्टर येदुगुड़ी संदिंती राजशेखर रेड्डी के 2009 में गुजर जाने के बाद उनके पुत्र , वाय एस जगनमोहन रेड्डी ने किया । जगनमोहन रेड्डी , पिछले बरस नवम्बर में ही चुनावी अभियान शुरू करके दो हज़ार किलोमीटर की पदयात्रा कर चुके हैं। चुनाव से पहले उनकी और एक हज़ार किलोमीटर की पदयात्रा करने की योजना है। मोदी सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की नोटिस इस बरस के बजट सत्र में सबसे पहले वायएसआर कांग्रेस पार्टी ने ही दी थी। बाद में टीडीपी , कांग्रेस और अन्य दलों ने भी ऐसी नोटिसें दी। इन नोटिसों पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने मानसून सत्र में ही बहस कराई। बहस के उपरान्त मतदान में अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया।

पवन कल्याण

आंध्र में चुनावी मैदान में फिल्म अभिनेता से राजनीतिज्ञ बने पवन कल्याण की ‘ जन सेना पार्टी ‘ ने भी उतरने की घोषणा कर रखी है। इस नई पार्टी का उत्तर आंध्रा क्षेत्र में समर्थन बढ़ने की खबरें हैं। आंध्र प्रदेश और दक्षिण भारत के सभी राज्यों में फिल्मी कलाकारों के राजनीति में आने की परपरा रही है। जहां एनटीआर ने आंध्र प्रदेश में शासन की भी बागडोर संभाली , तमिलनाडू में द्रविड़ मुनेत्र कषगम के एम करूणानिधि ( हाल में दिवंगत ) मुख्यमंत्री रहे। द्रमुक से अलग होकर गठित ,अन्ना द्रमुक के दिवंगत एम जी रामचंद्रन ( एमजीआर ) और दिवंगत जे जयललिता भी फिल्मों से ही राजनीति में आये। दोनों मुख्य मंत्री भी रहे। कर्नाटक और केरल में भी फिल्मी कलाकारों के राजनीति में आने की परम्परा रही है।

विभाजन

वाय राजशेखर रेड्डी के निधन के उपरान्त नए मुख्यमंत्री बने एन किरण कुमार रेड्डी ने , केंद्र में यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस ( यूपीए ) की सरकार के द्वितीय शासन काल में आंध्र प्रदेश के विभाजन के लिए ‘ आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम ‘ लाने के कदम के विरोध में फरवरी 2014 में कांग्रेस से इस्तीफा देकर अलग पार्टी बना ली थी। उनके इस्तीफा के बाद आंध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। राष्ट्रपति शासन के दौरान ही आंध्र प्रदेश का विभाजन किया गया। फिर दो जून को आंध्र प्रदेश का विभाजन विधिवत प्रभावी हो गया। इसके दो राज्य , तेलंगाना और सीमांध्र (शेष आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्र) बने। पूर्ववर्ती आंध्र प्रदेश के तीन क्षेत्रों , तेलंगाना, तटीय आंध्र और रायलसीमा में से तेलंगाना को भारत संघ -गणराज्य का 29 वाँ राज्य बना दिया गया. तेलंगाना में आंध्र प्रदेश के 10 उत्तर पश्चिमी जिलों को शामिल किया गया। प्रदेश की राजधानी हैदराबाद को दस साल के लिए तेलंगाना और आंध्र-प्रदेश की संयुक्त राजधानी बनाया गया। 2 जून 2014 को राष्ट्रपति शासन समाप्त होने के बाद नए राज्य तेलंगाना और शेष आंध्र प्रदेश , दोनों में संविधान के तहत विधानसभाओं का गठन किया गया। बाद में दोनों की अलग- अलग विधान सभा के लिए चुनाव कराये गए। मीडिया विजिल के चुनाव चर्चा स्तम्भ के अगस्त 2018 के अंक में तेलंगाना के आगामी चुनाव का विस्तार से जिक्र किया जा चुका है।

आंध्र प्रदेश के पिछले विधान सभा चुनाव में टीडीपी ने आशातीत रूप से 117 सीटें जीती थीं। सदन में स्पष्ट बहुमत हासिल करने के लिए उसके 88 सदस्यों के ही समर्थन की दरकार है। पहले भी मुख्य मंत्री रहे चंद्रा बाबू नायडू फिर मुख्य मंत्री बने। वह टीडीपी के संस्थापक एवं दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री एन टी रामाराव ( एनटीआर) के दामाद हैं। एनटीआर , तेलुगु फिल्मों के लोकप्रिय नायक रहे थे। वाई.एस आर कांग्रेस पार्टी के वाई एस जगनमोहन रेड्डी को सदन में विपक्ष के नेता का दर्जा मिला. कांग्रेस 21 सीटें ही जीत सकी। टीडीपी के साथ चुनावी गठबंधन करने वाली भाजपा को 9 सीट मिली। निर्दलीय और अन्य ने 14 सीटें जीती।

चुनावी उपाय

आंध्र के आगामी चुनाव में मतदाताओं को रिझाने के राज्य की टीडीपी सरकार ने जो उपाय किये हैं उनमें राज्य के बेरोजगार स्नातक युवाओं को यथाशीघ्र 1,000 रुपये प्रति माह भत्ता देने की गत एक जून को की गई घोषणा भी शामिल है। टीडीपी ने अपने 2014 के अपने पिछले चुनावी घोषणापत्र में इसका वादा किया था.

बताया जाता है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आंध्र के कांग्रेसी नेताओं के साथ बैठक में यह भी कहा कि उनकी पार्टी अगर केंद्र की सत्ता में लौटती है तो तत्काल प्रभाव से आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाएगा। पूर्व मुख्य मंत्री एन किरण कुमार रेड्डी हाल में अपने दल -बल संग फिर कांग्रेस में लौट आये हैं .

राज्य की मौजूदा विधान सभा की कुल 176 सीटों में से एक मनोनीत सदस्य भी शामिल हैं। आंध्र प्रदेश के नवनिर्मित विधान सभा भवन में 2016 के बजट सत्र से कामकाज शुरू हो चुका है। इसके अतिउन्नत भवन में नवीनतम तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध है। इनमें सदन में दिए जाने वाले भाषणों की स्वचालित अनुवाद की व्यवस्था , मतदान की स्वत: संचालित रिकॉर्डिंग व्यवस्था भी हैं। यह भवन आन्ध्र प्रदेश के विजयवाडा नगर के निकट बसाई गई नई राजधानी अमरावती में है।

 



( मीडियाविजिल के लिए यह विशेष श्रृंखला वरिष्ठ पत्रकार चंद्र प्रकाश झा लिख रहे हैं, जिन्हें मीडिया हल्कों में सिर्फ ‘सी.पी’ कहते हैं। सीपी को 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण, फोटो आदि देने का 40 बरस का लम्बा अनुभव है।)



 

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