कारवाँ पर मानहानि का केस या एनएसए-पुत्र के फ़र्ज़ीवाड़े की ख़बर रोकने की साज़िश !

क्या नैतिकता का तकाजा नहीं है कि डोभाल खुद इसपर बोलें! या ये सिर्फ चुनाव के पहले केमैन आईलैंड की खबरों पर रोक लगाने की कोशिश है।

संजय कुमार सिंह

मानहानि का मामला तो कोर्ट देखेगी खबर पर मेरा कहना है कि जयराम रमेश ने मांग की थी कि भारतीय रिजर्व बैंक अजीत डोभाल की उस सिफारिश को पूरी करे जिसमें उन्होंने टैक्स हैवन वाली कंपनियों पर सख्ती करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि अब जब कारवां की यह रिपोर्ट आई है तो रिजर्व बैंक को एफडीआई में एक साल में आए 8000 करोड़ रुपए से ज्यादा की डीटेल सार्वजनिक करना चाहिए और रिजर्व बैंक में एस गुरुमूर्ति हैं जो उस सिफारिश पर दूसरे हस्ताक्षरकर्ता हैं। इसलिए जयराम रमेश को लपेटना या तो राजनीति है या कारवां की रिपोर्ट पर बोलने वालों को डराने की कोशिश। यह चोर की दाढ़ी में तिनका भी हो सकता है।

विकीपीडिया के मुताबिक अजीत डोवाल ने 2009 और 2011 में, “इंडियन ब्लैक मनी अब्रोड इन सीक्रेट बैंक्स एंड टैक्स हैवेन्स” पर रिपोर्ट लिखी है। उनके बेटे पर टैक्स हैवेन में फर्म होने का आरोप है। क्या नैतिकता का तकाजा नहीं है कि वे खुद इसपर बोलें। अगर वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नहीं होते तो अलग बात थी। क्या रिजर्व बैंक के डायरेक्टर बनाए गए एस गुरुमूर्ति को इसपर नहीं बोलना चाहिए। क्या एएनआई को इसपर खबरें नहीं करनी चाहिए? क्या एडिटर्स गिल्ड को बताना पड़ेगा कि एएनआई कौन सी खबरें कर सकता है। या यह संपादकीय स्वतंत्रता का मामला है।

विकीपीडिया पर अजीत डोभाल का पन्ना खोलिए। संदर्भों में 22 नंबर पर “इंडियन ब्लैक मनी अब्रोड इन सीक्रेट बैंक्स एंड टैक्स हैवेन्स” पर अजीत डोभाल और एस गुरुमूर्ति की रिपोर्ट की पीडीएफ कॉपी है। वहीं से डाउनलोड कर सकते हैं। फिर देखिए अजीत डोभाल के बेटे ने क्या केस किया है और क्या मानहानि का मामला है।

वैसे, रिजर्व बैंक को नाम उजागर करने में क्या दिक्कत हो सकती है। सरकार इस बारे में क्यों नहीं बताती? पता है, वित्त मंत्री छुट्टी पर हैं। ये कैसी विडंबना है कि प्रधानमंत्री छुट्टी नहीं लेते। वित्त मंत्री बीमार हैं और एमजे अकबर इस्तीफा देने के बाद भी प्रवासी भारतीयों के बीच बांटे जाने वाले बुकलेट के कवर पर मुस्कुरा रहे हैं। ईमानदारी और पारदर्शिता का भर्ता बनाना इसी को कहते हैं। चुनाव से पहले केमैन आईलैंड की खबरों पर रोक लग जाए और रविशंकर जी के शब्दों में एक छक्का और हो जाएगा।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं

First Published on:
Exit mobile version