कोबरा पोस्ट: चुनाव आयोग में 10 कैबिनेट मंत्रियों समेत 194 नेताओं ने दी PAN की ग़लत जानकारी!

 

कोबरापोस्ट ने भारतीय राजनीति के परिपेक्ष में चुनाव आयोग की वैबसाइट पर मौजूद एफिडेविट्स का विश्लेषण किया, जिसमें सामने आया कि कुछ पूर्व मुख्यमंत्री, मौजूदा मंत्री और विधायकों ने चुनाव आयोग को अपनी आय का ब्यौरा देते समय अपने पैन की गलत जानकारी दी। ऐसा करने वाले 194 नेताओं में 06 पूर्व मुख्यमंत्री, 10 कैबिनेट मंत्री और 8 पूर्व मंत्रियों के नाम शामिल हैं। इनमें से कांग्रेस के 72 और बीजेपी के 41 नेताओं के नाम हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि टैक्स से बचने के लिए और अपकी आय और संपत्ति की सही जानकारी को छिपाने के लिए अक्सर लोग पैन की गलत जानकारियां दर्ज कराते हैं।

नई दिल्ली,(शुक्रवार, 5 अक्टूबर): कोबरापोस्ट ने एक विश्लेषण के जरिए इस बात का पता लगाया कि देशभर में अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के 194 नेताओं ने भी अपने पैन की गलत जानकारियां दी हैं। इन नेताओं में बड़ी-बड़ी पार्टियों के नामी-गिरामी चेहरे भी शामिल हैं। भारतीय चुनाव आयोग में दर्ज एफिडेविट्स के विश्लेषण से कोबरापोस्ट को पता चला है कि देश के नेताओं ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा देते वक्त एफिडेविट में अपने पैन की गलत जानकारियां चुनाव आयोग को दी हैं।

·  Representation of People Act 1951 के सेक्शन 125(A)(3) के मुताबिक पैन का गलत विवरण देने पर इलेक्शन में चुने गए उम्मीदवार की सदस्यता तक रद्द हो सकती है। ·         भारतीय कानून के तहत, चुनाव से पहले एक उम्मीदवार को उसकी वित्तीय स्थिति (financial status) और उसके खिलाफ आपराधिक मामलों का ब्यौरा देना अनिवार्य है। ·         IT Act के section 139A के मुताबिक अगर किसी शख्स को एक PAN allot कर दिया गया हो तो किसी correction की वजह से वह पैन नंबर नहीं बदला जाता। ·         इसके अलावा IT Act के section 272B के मुताबिक अगर कोई शख्स जानबूझ कर अपने पैन की गलत जानकारियां देता है तो उसपर 10,000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान भी है।

चुनाव आयोग को अपने पैन की गलत जानकारियां देने वाले कुल 194 नेताओं में छह पूर्व मुख्यमंत्री, 10 कैबिनेट मंत्री, 8 पूर्व मंत्री और 54 मौजूदा विधायक, 102 पूर्व विधायक, 1 पूर्व डिप्टी स्पीकर, 01 पूर्व स्पीकर, 01 पूर्व सांसद और 1 उपमुख्यमंत्री शामिल हैं। ये नेता देश की छोटी-बड़ी 29 राजनीतिक पार्टियों से ताल्लुक रखते हैं। बीजेपी, कांग्रेस, सपा, बसपा, जेडीयू, एनसीपी और हिंदुस्तान अवामी मोर्चा (एम) जैसी पार्टियों के नेता इसमें शामिल हैं। चुनाव आयोग में पैन की गलत जानकारियां देने वाले नेताओं में बीजेपी के 41 नेता है। जिनमें 13 मौजूदा विधायक, 15 पूर्व विधायक, 9 मंत्री, 01 पूर्व स्पीकर, 01 पूर्व मंत्री, 01 पूर्व मुख्यमंत्री और 01 गवर्नर शामिल हैं। वहीं ऐसा करने वालों में कांग्रेस के 72 नेता शामिल हैं। जिनमें 13 विधायक, 48 पूर्व विधायक, 01 मंत्री, 05 पूर्व मंत्री, 4 पूर्व मुख्यमंत्री और 01 पूर्व डिप्टी स्पीकर शामिल हैं। इसी फेहरिस्त में समाजवादी पार्टी के 1 विधायक और 11 पूर्व विधायक भी शुमार हैं।  वहीं बसपा के एक विधायक और 7 पूर्व विधायक भी इसी सूचि में शामिल हैं। जेडीयू के 3 विधायक, 01 पूर्व विधायक, 01 पूर्व मंत्री और 1 पूर्व सांसद का नाम है।

कोबरापोस्ट द्वारा इक्ट्ठे किए गए डेटा और उसके विश्लेषण के दौरान कई बड़े नाम सामने आए हैं। इनमें असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई और भूमिधर बरमान, जीतन राम मांझी और वीरभद्र सिंह शामिल हैं। इन सभी नेताओं के अलावा राज्य और केंद्र सरकार के कई मौजूदा मंत्रियों के नाम भी शामिल हैं। जिनमें राजस्थान में मंत्री बीना काक, बिहार में कैबिनेट मंत्री नंद किशोर यादव, महाराष्ट्र के लोक निर्माण विभाग (पीडब्लूडी) मंत्री देशमुख विजयकुमार, हरियाणा की महिला एवं बाल विकास मंत्री कविता जैन और हिमाचल के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री किशन कपूर ने भी चुनाव आयोग को दिए अपनी आय और सम्पत्ति के ब्यौरे में पैन की गलत जानकारियों का इस्तेमाल किया है।

कोबरापोस्ट ने 23 राज्यों के नेताओं द्वारा दाखिल करीब 2000 हलफनामों यानी एफिडेविट्स का विश्लेषण कर इस सच्चाई का पता लगाया है। विश्लेषण में ये बात सामने आई कि साल 2006 और 2016 के बीच इन नेताओं ने भारत के निर्वाचन आयोग के सामने शपथ ली थी और चुनाव आयोग में अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा दिया।  कोबरापोस्ट ने विश्लेषण में पाया है कि इनमें से 194 पैन गलत है। इन गलत पैन का इस्तेमाल लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने चुनाव आयोग में अपनी आय और संपत्ति की घोषणा करने के लिए किया था।

Central board of Direct Taxes यानी CBDT 98 विधायकों और 7 लोकसभा सांसदों की घोषित संपत्ति और असल संपत्ति के बीच फर्क के लिए जांच कर रही है। पिछले साल सीबीडीटी ने अदालत के सामने दायर याचिका के जवाब में सुप्रीम कोर्ट को 42 विधायकों और 9 राज्यसभा सांसदों की संपत्ति में अपनी जांच के बारे में बताया था।

इस याचिका में जिन नेताओं का नाम है उन्होंने पिछले चुनाव में नामांकन के समय दिखाए गए कार्यों से उनकी आय और संपत्तियों में 500 फीसदी तक की वृद्धि देखी है। आंकड़ों से पता चला है कि अलग-अलग करदाताओं के 10.52 लाख “फर्जी” पैन हैं जिनके बारे में अदालत ने कहा था कि “ये एक मामूली संख्या नहीं है”।

संबंधित अधिकारियों ने अब तक 11.35 लाख डुप्लिकेट और फर्जी पैन का पता लगाया है। इसपर शीर्ष अदालत का कहना है, “यह अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है और देश पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।” पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बेंच के सामने स्वीकार करते हुए कहा कि इन फर्जी पैन कार्ड्स का इस्तेमाल शेल कंपनियों द्वारा कैश को ठिकाने लगाने के लिए किया जाता है।

कोबरापोस्ट टीम

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