महामारी के बीच एम.पी. में आटा घोटाला, 10 K.G पैकेट में एक से चार किलो कम !

फ़िलहाल अकेले ही सरकार चला रहे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राज्य से एक नए घोटाले का उदय हुआ है। राज्य में प्रशासन द्वारा राशन की दुकानों से गरीबों को दिए जाने वाले आटे के पैकेट में 1 से चार किलो तक आटा कम पाया गया है। कोरोना संक्रमण के चलते देशव्यापी लॉकडाउन होने के बाद हर कोई अपने घरों में बंद है। जिनके पास सुविधाएँ हैं वो घरों में बैठ कर छुट्टियों के रूप में इस लॉकडाउन का आनंद ले रहे हैं लेकिन जो दिहाड़ी मजदूर हैं, गरीब हैं और रोज कमाने खाने वालों की श्रेणी में आते हैं, उनका जीवन इस लॉकडाउन की वजह से गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। उनके सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गयी है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर इन लोगों की मदद कर रही हैं। इनकी ज़रूरतों को पूरा करने का दावा किया जा रहा है लेकिन इन्हीं दावों के बीच शिवराज सिंह चौहान के राज्य में कोरोना महामारी के दौरान इस घोटाले के सामने आने के बाद तमाम सवाल उठ रहे हैं।

कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने घोटाले की खोली पोल 

मध्यप्रदेश कांग्रेस के ट्विटर से साभार

ग्वालियर दक्षिण से कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे पत्र को मध्य प्रदेश कांग्रेस ने ट्वीट करते हुए इस घोटाले से पर्दा उठाया है। साथ ही मध्य प्रदेश कांग्रेस ने एक फ़ोटो भी ट्वीट की है। जिसमें 10 किलो आटे के पैकेट में सिर्फ़ 6 किलो 452 ग्राम वजन दिखाई दे रहा है। इस कड़ी में भ्रष्टाचार की एक अन्य वीडियो भी सामने आई है जिसमें 10 किलो के आटे के पैकेट में 8 किलो 800 ग्राम तक ही वजन दिख रहा है। कांग्रेस के विधायक प्रवीण पाठक ने अपने पत्र में बताया है कि कुल 70 लाख पैकेट आटा बांटा जाना है और हर पैकेट में 1 से चार किलो तक कम आटा दिया जा रहा है। इसका मतलब ये अरबों का घोटाला है। विधायक ने इस घोटाले को नाम देते हुए लिखा है कि “ये निर्धन निवाला घोटाला है।” सनद रहे कि गरीबों की आह ने बड़े से बड़े साम्राज्यों को धूल में मिला दिया है। आपको याद होगा कि इसके पहले भी मध्य प्रदेश में हुए व्यापम घोटाले की गूँज लंबे समय तक बनी रही थी।

कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक का पत्र

जिन पर व्यवस्था की ज़िम्मेदारी, वो ही बन रहे गैर ज़िम्मेदार 

कुछ समय पहले ही अल्पकाल के लिए आयी कमलनाथ सरकार के गिरने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। कोरोना संक्रमण को फ़ैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग के आग्रह के बाद भी शिवराज सिंह चौहान के शपथ ग्रहण कार्यकम में भीड़ जुटी थी। एक दूसरे का हाथ पकड़ के फ़ोटो खिंचवाई जा रही थी। और अब मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस की महामारी में गरीबों का राशन भी नहीं बख्शा जा रहा है। वर्तमान समय में चल रही कोरोना महामारी के दौरान जनता को सरकार और अधिकारियों की मदद और साथ की सबसे ज्यादा ज़रूरत है उस समय इस तरह के घोटाले सरकार की छवि पर बट्टा लगा रहे हैं। आप को बता दें कि जिस स्वास्थ्य मंत्रालय के ऊपर मध्य प्रदेश के लोगों के इलाज की ज़िम्मेदारी है, वहां कोई स्वास्थ्य मंत्री नहीं है और तो और स्वास्थ्य विभाग के अधिकतर अधिकारी कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं और अब ये अमानवीय भ्रष्टाचार सामने आ गया है।


 

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