हाँ, बेंच फ़िक्सिंग एक हक़ीक़त है! सुप्रीम कोर्ट ज्वालामुखी पर बैठा है: इंदिरा जयसिंह

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में देश के जानी-मानी वक़ील इंदिरा जयसिंह ने एक सनसनीख़ेज़ बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की स्थिति ज्वालामुखी की तरह है।

रूल ऑफ लॉ- जस्टिस इन दि डॉक’ शीर्षक से आयोजित इस सत्र में वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई, इंदिरा जयसिंह से न्यायपालिका संबंधी से जुड़े सवाल पूछ रहे थे।

राजदीप ने इंदिरा जयसिंह से पूछा कि क्या देश की न्यायपालिका में बेंच फिक्सिंग हो सकती है? जवाब में इंदिरा जयसिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार केवल पैसे का नहीं होता, हम ऐसे देश में रहते हैं जहाँ न्यायपालिका और कार्यपालिका अलग-अलग कार्य करते हैं, बिना किसी की सीमा में हस्तक्षेप किये हुए। रोस्टर प्रक्रिया के तहत के तहत पर्दे के पीछे निश्चित किया जाना कि कौन सा केस कौन सा जज सुनेगा, यह भी भ्रष्टाचार के तहत ही आता है।  “हां बेंच फिक्सिंग हकीकत है” और इसके जरिए कोर्ट के फैसलों को प्रभावित करने की कोशिश की जाती है, उन्होंने कहा।

(नीचे दिए गए वीडियो के अंत में यह संवाद सुन सकते हैं)

न्यायपालिका के राजनीतिकरण पर पूछे गए सवाल के जवाब में इंदिरा जयसिंह ने कहा कि जजों की नियुक्त करते समय ही राजनीति की जाती है और ऐसे लोगों को जज बनाया जा सकता है जिनके तहत मामलों में फैसलों को अपने पक्ष में प्रभावित किया जा सके।

इंदिरा जयसिंह ने सरकार से पूछा की जस्टिस के.एम. जोसेफ के प्रमोशन को रोककर क्यों बैठी हुई है? जस्टिस के.एम. जोसफ को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत करने की सिफारिश कॉलेजियम ने की थी, कॉलेजियम जजों को नियुक्ति करने वाली न्यापालिका की आंतरिक व्यवस्था है जिसके अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश होते हैं। न्यायमूर्ति के.एम जोसेफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं जिनको पदोन्नति देकर सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया जाना है।

सवालों का जवाब देते हुए इंदिरा जयसिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की स्थिति एक ज्वालामुखी की तरह है। देश की सबसे बड़ी कोर्ट के चार जज जनता के सामने जाकर कह रहे हैं कि न्याय व्यवस्था में सब कुछ ठीक नहीं है। स्वतन्त्र प्रेस और स्वतंत्र न्यायपालिका के बिना देश को सुरक्षित नहीं रखा जा सकता। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र न्यायपालिका और स्वतंत्र प्रेस को बचाए रखने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं नहीं तो देश में लोकतंत्र नहीं बचेगा।



 

First Published on:
Exit mobile version