भाजपा के फर्ज़ी राष्ट्रवाद से निपटने के लिए कांग्रेस को भी सपने बेचने होंगे-सलमान ख़ुर्शीद

 

सलमान खुर्शीद ने एक किताब लिखी है, स्पेक्ट्रम पॉलिटिक्स: अनवेलिंग दि डिफेंस (स्पेक्ट्रम राजनीति : बचाव की बातें ) — इसमें उन आरोपों की चर्चा की गई है जो 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले को लेकर कांग्रेस पर लगाए गए हैं।

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी ने देश की राजनीतिक व्यवस्था में एक फर्जी धार्मिकता और राष्ट्रवाद की भावना घुसा दी है और कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि पार्टी के आदर्शों से समझौता किए बगैर इससे कैसे निपटा जाए। जाने-माने कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने यह बात कही है।

दि न्यू इंडियन एक्सप्रेस से खुर्शीद ने कहा, “ऐसा नहीं है कि भाजपा इन मुद्दों की चर्चा पहले नहीं करती थी। पर उन लोगों ने इसे व्यवस्था में घुसेड़ने का सही मौका पा लिया और आज यह उसमें है। यहां हम इस मुद्दे से निपटने की कोशिश करेंगे। अपने आदर्शों से समझौता किए बगैर हम इस मामले से कैसे निपटें यह सबसे बड़ी समस्या है।

कांग्रेस के समक्ष मौजूद अन्य चुनौतियों की चर्चा करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पार्टी को यह रणनीतिक निर्णय लेना है कि वह देसी राजनीति की संभावनाओं को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से दूर कर दे या उनका सीधा मुकाबला करे।

खुर्शीद ने कहा, भाजपा एक व्यक्ति, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर केंद्रित है और इसकी कुछ खासियतें हैं, अच्छी या बुरी मैं उसमें नहीं पड़ रहा। आपको तय करना है कि राजनीति की संभवानाओं को एक व्यक्ति से अलग कर दिया जाए या उससे सीधे भिड़ जाया जाए। दोनों संभंव है पर यह एक रणनीतिक निर्णय है जो पार्टी को लेना है।”

इस तथ्य को स्वीकारते हुए कि पूर्व की बातों का लाभ उठाना कांग्रेस के लिए अच्छा है खुर्शीद ने कहा कि पार्टी को भी भविष्य से संबंधित सपने बेचने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, “माहौल बदलने के लिए हमें लोकतांत्रिक उपायों की आवश्यकता है। हमें लोगों में विश्वास रखना होगा और वे कार्रवाई करेंगे।”
खुर्शीद की पुस्तक, स्पेक्ट्रम पॉलिटिक्स: अनवेलिंग दि डिफेंस – में उन आरोपों की चर्चा की है जो 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले को लेकर कांग्रेस पर लगाए गए थे। उन्होंने जोर दिया कि विपक्ष को चाहिए कि समकालीन चुनौतियों का जवाब दें।

पूर्व विधि मंत्री ने कहा कि उन्होंने इस पुस्तक पर एक साल का किया है और महसूस किया है कि सार्वजनिक जीवन में लोगों में गलत समझ के आधार पर कई गलतफहमियां हैं और ये टूजी विवाद में क्या गलत हुआ से संबंधित हैं।

यूपीए के दिनों को याद करते हुए खुर्शीद ने कहा, “यह एक अच्छा निर्णय़ था पर हम लोगों को यह नहीं बता पाए हमें जो किया उसमें कुछ गलत नहीं खा …. हम सुप्रीम कोर्ट में भी ऐसा नहीं कर पाए। स्थिति यह हो गई कि इससे हमारी छवि खराब हो रही थी और ऐसी बन रही थी जैसे हमें इसकी परवाह ही न हो।

उन्होंने कहा कि अभी यह तय होना है कि पार्टी प्रबंधकों ने सही सीख ली है कि नहीं क्योंकि पिछले कछ वर्षों में वैसी नहीं स्थिति हीं बनी है। “मैं उम्मीद करता हूं कुछ पाठ पढ़ लिए गए हैं और कुछ इस पुस्तक को पढ़ने के बाद सीख लिए जाएंगे।”

हिन्दुस्तान टाइम्स ने लिखा है कि, लोकार्पण के मौके पर सलमान खुर्शीद के साथ पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और जनतादल (यूनाइटेड) के महासचिव पवन वर्मा तथा दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण के पूर्व चेयरमैन राहुल खुल्लर भी मौजूद थे और इसके बाद एक पैनल डिसकशन भी हुआ जिसे पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने मॉडरेट किया। इसमें कहा गया कि कथित 2जी घोटाले में कुछ गलत नहीं था और यह समझ का मामला था वरना यह कैसे संभव है कि 1500 पेज के अपने फैसले में जज को आपराधिकता का कोई मामला नहीं मिला। और अगर ऐसा है तो हमलोगों ने कोई गलती नहीं की।

160 पेज की अपनी किताब में सलमान खुर्शीद ने 2011 की न्यायमूर्ति शिवराज पाटिल की एक रिपोर्ट, 2013 की संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट और 21 दिसंबर 2017 को दिए गए विशेष जज औपी सैनी के फैसले का उल्लेख किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि इनमें से किसी ने भी ए राजा के संचार मंत्री रहते स्पेक्ट्रम आवंटन में कोई आपराधिकता नहीं पाई।

पी चिदंबरम ने कहा कि हमें सरकार में निर्णय़ लेने की हिम्मत को वापस लाना है। वर्मा ने जवाहरलाल नेहरू का उल्लेख किया और कहा, भ्रष्टाचार से ज्यादा खतरनाक भ्रष्टाचार की लोककथाएं हैं। पैनल में इस बात पर चर्चा हुई कि 2जी आवंटन घोटाले की एक समझ भर थी। सदस्य इस बात पर सहमत थे कि बाद में किसी आर्थिक नीति पर आरोप लगाया जाए तो देश को नुकसान होगा क्योकि नौकरशाह भविष्य की जांच से बचने के लिए निर्णय़ ही नहीं लेंगे।

अमित अग्निहोत्री, एक्सप्रेस न्यूज सर्विस की खबर का अनुवाद जो मूल रूप से अंग्रेजी में है। अंग्रेजी की मूल खबर का लिंक यहाँ है।

अनुवाद कम्युनिकेशन से साभार।

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