19 सितंबर को बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ की ग्यारवीं बरसी पर रिहाई मंच ने संवैधानिक अधिकारों पर बढ़ते हमलों के खिलाफ यूपी प्रेस क्लब, लखनऊ में सेमिनार किया। सेमिनार बड़े पैमाने पर संविधान में किए जा रहे बदलावों के सवाल पर केंद्रित रहा। कहा गया कि आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए मौजूदा सरकार ने राज्यसभा में 35 दिनों में 32 बिल पास करके पूरे देश में डर का माहौल पैदा कर दिया।
पूर्व न्यायधीश बी.डी. नक़वी ने कहा कि मौजूदा सियासत टारगेटिंग पर भरोसा करती है। एनआरसी इसीलिए लाया गया हालांकि यह अलग बात है कि असम में यह इरादा फेल हो गया। मसला असमिया बनाम बंगाली प्रभुत्व का था जिसे हिंदू–मुस्लिम में बदलने की कोशिश हुई। अनुच्छेद 370 और 35A के पीछे भी यही इरादा है। इसमें राहत की बात यह है कि सर्वोच्च न्यायालय कश्मीर के हालात को लेकर संजीदा लगता है। लेकिन फिलहाल बुनियादी सुविधाओं और मानव अधिकारों की बहाली अभी बाकी है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार इस कदर फैला हुआ है कि तमाम वायदों के बावजूद कहीं कुछ अच्छा नहीं दिखता। इस मोर्चे पर पूरी दुनिया में देश की छवि अच्छी नहीं है। आरक्षण का सवाल पहले से ज़्यादा जटिल हो गया है। चीज़ें संभाले नहीं संभल रहीं लेकिन हिंदी को पूरे देश की भाषा बनाए जाने का शगूफा छोड़ दिया गया है।
मानव अधिकारों को लेकर भाजपा और कांग्रेस में कोई बुनियादी फर्क नहीं है। उन्होंने कहा कि तीन क़दम उठाए जाने बेहद ज़रूरी हैं। पहला कि ट्रायल जल्दी और सीमित समय में पूरे हों। दूसरा, आरोप साबित न होने पर जेल में बिताई गई अवधि और प्रतिष्ठा के नुकसान की भरपाई के लिए अनिवार्य रूप से मुआवज़ा मिले। तीसरा, सत्तासीन नेताओं और सरकारी कर्मचारियों को मुकदमों के मामले में अधिकारिक संरक्षण प्राप्त न हो।
पूर्व आई जी एसआर दारापुरी ने कहा कि असम में एनआरसी की सुनवाई कर रहे अधिकारियों में जिन्होंने अधिक संख्या में एक खास वर्ग के लोगों को नागरिक रजिस्टर में शामिल किया उनका कार्यकाल नहीं बढ़ाया गया। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि एनआरसी प्रमुख प्रतीक हजेला चार साल तक एक ही पद पर विराजमान रहे औैर अपने करीबी अयोग्य लोगों को उसका सदस्य बनाए रखा।
उन्होंने आरोप लगाया कि 3500 से अधिक एनकाउंटरों का दावा करने वाली योगी सरकार में मारे गए तकरीबन 83, घायल 1059 और 8000 से अधिक गिरफ्तार लोगों में आखिर अधिकतर दलित, आबीसी और मुस्लिम ही क्यों? उन्होंने सरकार पर मनुवादी एजेंडे पर चलने का आरोप लगाते हुए कहा कि 15629 के खिलाफ गुंडा एक्ट, 6010 के खिलाफ ऐंटी रोमियो स्क्वैड ने कार्रवाई की, 55 के खिलाफ रासुका और बड़े पैमाने पर गैंगेस्टर लगाने के दावे मीडिया के माध्यम से सरकार कर रही है। जब योगी सरकार कह रही है कि तकरीबन 13866 लोग डर से ज़मानत रद्द करवा कर जेलों में कैद हैं फिर बीते चुनाव के बाद जिन पचास से अधिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या हुई वह किसने करवाई?
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ से पहले 2008 में होने वाले जयपुर, अहमदाबाद, दिल्ली धमाकों और उत्तर प्रदेश में 2006-07 की घटनाओं में इंडियन मुजाहिदीन में नाम पर आज़मगढ़ के युवकों को गिरफ्तार किया गया था। जयपुर में जुलाई मध्य में ही मुकदमें की कार्यवाही पूरी हो चुकी है लेकिन अभी तक फैसला नहीं आया है। अहमदाबाद में में इसी साल के अंत तक फैसला आने की संभावना है जबकि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अभियोजन के हलफनामें के अनुसार पिछले वर्ष अगस्त में फैसला आ जाना चाहिए था।
दिल्ली पुलिस की कहानी पर ‘बाटला हाउस’ फिल्म के माध्यम से जनमत तैयार करने का मामला हो या 15 अगस्त 2019 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर स्थानीय पुलिस का सीआरपीएफ के हथियारबंद जवानों के साथ संजरपुर, गांव में आरोपी युवकों के घरों तक मार्च करके भय का माहौल उत्पन्न करने की बात हो, इस पूरे मामले को उसी नज़रिए से देखने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ और गिरफ्तारियों के बाद मीडिया के दुष्प्रचार अभियान के चलते आरोपियों के परिजनों की सदमें से मौत, बच्चों और महिलाओं में डिप्रेशन जैसे मानसिक रोगों से पीड़ित होने के कई मामले सामने आए हैं। अब कुछ स्थानों पर फैसलों का समय निकट आने पर जिस तरह से माहौल बनाने का प्रयास हो रहा है उससे न केवल फैसले प्रभावित हो सकते हैं बल्कि इस तरह के संकट के और बढ़ने का खतरा भी पैदा हो जाता है।
सम्मेलन में अरुंधती धुरु,सृजन योगी आदियोग,आलोक अनवर,नाहिद अकील,जैद अहमद फारूकी,शीवाजी राय,केके शुक्ला,राम कृष्ण,हाजी फहीम,ज़हीर आलम फलाही, फैज़ान मुसन्ना, शाहआलम शेरवानी, मो0 सलीम, पीसी कुरील, केके वत्स, नीति सक्सेना, बलवंत यादव,डा.मज़हर,गुफरान सिद्दीकी,शबरोज़ मोहम्मदी,शम्स तबरेज़,शंकर सिंह, रूबीना, जैनब,ममता,रोबिन वर्मा, रविश आलम,बांकेलाल यादव,प्रदीप पांडेय,शाहरुख़ अहमद,मो.इश्तियाक़,हफीज़ लश्करी,वीरेंद्र कुमार गुप्ता,मंदाकिनी राय,गौरव सिंह, लालचंद्र,बृजेश सिंह,मुकेश गौतम,ऐनुल हसन,आरती,कीर्ति, परवेज़ सिद्दीक़ी,नरेश कश्यप, इनामुल्लाह खां,गोलू यादव,प्रिया सिंह, मो.अबरार, झब्बू लाल,पुष्पा,नेहा,रोशनी,आशीष,विक्रम सिंह,आफाक़,आनंद सिंह, मो.मसूद, महेश पाल,नैयर आज़म आदि शामिल रहे।