कश्मीर पर किताबों की कमी नहीं है, लेकिन अब एक किताब ऐसी भी आई है जिसमें शब्द नहीं तस्वीरें बोलती हैं। इन तस्वीरों के ज़रिये आप 1986-2016 के बीच धरती के स्वर्ग में आए उन बदलावों को क़रीब से महसूस कर सकते हैं जिन पर बात करते हुए दिल दहलता है। नौ फोटोपत्रकारों की करीब 200 तस्वीरों से सजी यह किताब अपने आप में मुकम्मल दस्तावेज़ है।
15 फरवरी को दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में शाम को लोकर्पित की गई इस किताब का नाम ‘विटनेस’ है। इस शब्द का अर्थ गवाह भी हो सकता और गवाही भी।
जिन फ़ोटोकारों की तस्वीरें इसमें हैं वे या तो पत्रकारिता से जुड़े हैं या फिर अपने काम को डाक्यूमेंट्री के अंदाज़ में करते हैं। उम्रदराज़ से लेकर बिलकुल नई उम्र के फ़ोटोग्राफ़र इसमें शामिल हैं।
तीस साल के काम को सहेज कर ऐतिहासिक क्रम में सहेजना आसान काम नहीं था, लेकिन संजय काक ने यह काम बखू़बी किया है। संजय काक यानी इस किताब के संपादक।
संजय ने कश्मीर पर ‘जश्ने आज़ादी’ जैसी महत्वपूर्ण डाक्यूमेंट्री बनाई है। वे सजग और प्रतिबद्ध फ़िल्मकार बतौर
आयोजन के दौरान फ़िज़ा में नॉास्टेलजिया पसरा था। दिल्ली में रह रहे तमाम कश्मीरी वहाँ मौजूद थे। सबकी अपनी यादें और बातें थीं। स्मृतियों में दर्ज कश्मीर के तमाम रंग उभर रहे थे। तस्वीर खींचने को जिंदगी बना चुके कई फोटो पत्रकारों को शायद पहली बार लगा कि उनका काम महज़ रोज़ी-रोटी कमाने का ज़रिया नहीं है, वे जाने-अनजाने ऐसा दस्तावेज़ तैयार कर रहे हैं जो सदियों बाद भी इतिहास का प्रामाणिक स्रोत रहेगा। उनकी तस्वीरें अख़बारों के पन्नों के साथ बदरंग ना हो जाएँगी, बल्कि उनसे सजी एक किताब होगी जो दुनिया की तमाम लाइब्रेरियों में किसी खोजी यायावर का इंतज़ार करेंगी।
मौके पर बड़ी तादाद में लोग मौजूद थे जिन्होंने ख़ूब सवाल किए। शहर के फोटोपत्रकारों के लिए भी यह एक विशेष अवसर था। फोटो खींचने
आमतौर पर होता नहीं कि किताब के विमोचन के वक़्त, किताब डिज़ायन करने वालों को भी सुना जाए। लेकिन संचालन कर रहे संजय काक ने पूरी टीम से ना सिर्फ़ परिचय कराया बल्कि उन्होंने बेबाकी से अपनी बातें भी रखीं। यह सिर्फ किताब छापने का मामला नहीं था,कश्मीर को समझने का भी मामला था जिसमें पूरी टीम डूबी थी। वरना यह कहाँ होता है कि कश्मीर पर किताब की छपाई से मतलब रखने वाले कश्मीर जाकर वहाँ की हवा अपने फेफड़े मे भरें और फिर काम शुरू करें।
अगर आप यह किताब पाना चाहते हैं तो kaksanjay@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं।