कल ईद थी। इस बार की ईद जुनैद और उसके जैसे कई निर्दोषों की हत्याओं के चलते खास बन गई थी। देश भर में तमाम लोगों ने हिंसा की इस संस्कृति के खिलाफ बांह पर काली पट्टी बांध कर ईद मनाई। एक ओर जहां आधी दुनिया ईद मना रही थी, वहीं बाकी दुनिया यातना के शिकार लोगों के समर्थन में कार्यक्रम कर रही थी। बस भारत ही ऐसा देश था जहां के मीडिया को, अखबारों को और नेताओं को यह याद नहीं रहा कि 26 जून का दिन अंतरराष्ट्रीय यातना विरोधी दिवस होता है जबकि इस दिवस की प्रासंगिकता भारत में आज से ज्यादा शायद कभी नहीं हो सकती थी।
ऐसे में बनारस से एक अच्छी ख़बर आई है कि वहां ईद समेत अंतर्राष्ट्रीय यातना विरोधी दिवस के अवसर पर यातना पीडितो के संघर्ष के लिए एक ‘सम्मान समारोह’ का आयोजन किया गया। यातना विरोधी दिवस के उपलक्ष में मानवाधिकार जननिगरानी समिति (PVCHR)/ जनमित्र न्यास/ United Nations Voluntary Fund for Victims of Torture (UNVFVT)/ संग्राम-झारखण्ड और जीवन ज्योति सेवा संस्थान अम्बेडकरनगर के संयुक्त तत्वाधान में यातना पीडितो के संघर्ष के लिए आयोजित सम्मान समारोह में पुलिस यातना के पीडितो द्वारा अपनी व्यथा कथा रखी गयी, साथ ही उनके संघर्षो में उनकी हौसला अफजाई के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया।
इसमें पुलिस यातना के शिकार चार व्यक्तियों को सम्मानित किया गया जो अम्बेडकरनगर, अलीगढ़ और झारखण्ड के बड़कागाँव से आये थे। इसमें मुख्य रूप से अलीगढ के श्यामू सिंह के केस को भी रखा गया जिसको पुलिस ने कस्टडी में यातना देकर मार दिया था। उसके भाई रामू ने इस केस में लगातार संस्था के साथ मिलकर पैरवी की और न्यायालय सहित मानवाधिकार आयोग में भी जीत हासिल की थी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुआवजे के रूप में उसे एक लाख रुपये देने की घोषणा भी की है।
रामू के इस हौसले को सलाम करते हुए उन्हें “जनमित्र सम्मान” से भी नवाज़ा गया | साथ ही लोगों नें मुआवजे की राशि को रुपये पांच लाख करने के लिए आयोग को सामूहिक हस्ताक्षरयुक्त पत्र भेजा।
इस कार्यक्रम में अन्य पीडितो द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र यातना विरोधी कन्वेंशन (UNCAT) के अनुमोदन के मद्देनजर राज्यसभा में लंबित यातना विरोधी विधेयक-2010 (CAT) को अविलम्ब पारित कराने के लिए हस्ताक्षरयुक्त मांग पत्र भेजा गया।|
पटना के मनेर में एकतरफा प्रेम के मामले में एक मासूम नाबालिग लड़की के ऊपर एक लड़के ने एसिड फेंक दिया था जिससे वह बुरी तरह झुलस गई थी और उसकी आंखों की रोशनी चली गयी थी और कान से सुनाई देना बंद हो गया था। इसने जिल्लत भरी जिंदगी जीने पर इंसाफ की लड़ाई शुरू की, लेकिन लेकिन दिलों में हजारों गम लिए उसने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। इस यातना पीड़ित युवती के लिए सभा में दो मिनट का मौन रखकर उसको श्रदांजलि दी गयी।
कार्यक्रम में ईद के मौके पर सभी ने सिवइयां खा कर एक दूसरे को बधाई दी और साथ ही यह संकल्प लिया कि अपने आसपास होने वाली किसी भी तरह की यातना का पुरजोर विरोध किया जाएगा और ज्यादा से ज्यादा लोगों को उनके अधिकारों के लिए जागरूक किया जाएगा।