इस साल 20 नवंबर से गोवा में शुरू हो रहे भारत के अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आइएफएफआइ) और फिल्म बाज़ार में सरकार ने तय किया है किसी भी पत्रकार को आमंत्रित नहीं किया जाएगा। यह सूचना वरिष्ठ फिल्म समीक्षक गौतमन भास्करन ने अपने एक ट्वीट में दी है। इसकी आधिकारिक पुष्टि सूचना और प्रसारण मंत्रालय या आइएफएफआइ की वेबसाइट से अब तक नहीं हो सकी है।
Am told no journalist is to be invited to either IFFI or Film Bazaar at Goa this year.
So will give the annual event a miss this year after almost 30 years of non-stop
visits and coverage.— Gautaman Bhaskaran (@gautamanb) November 13, 2017
तीन दशक तक कॉन फिल्म महोत्सव से लेकर दुनिया भर के तमाम फिल्म फेस्टिव कवर करने वाले गौतमन का कहना है कि आइएफएफआइ के नए निदेशक सुनित टंडन और एनएफडीसी द्वारा आयोजित किए जाने वाले फिल्म बाज़ार के प्रमुख राजा चिनाइ से उनकी फोन पर बात हुई है, जिसमें इन्होंने गौतमन को बताया है कि इस साल दोनों आयोजनों में किसी भी पत्रकार को नहीं बुलाने का फैसला किया गया है। गौतमन कहते हैं कि क्या यह आदेश ऊपर से आया है, इस बारे में टंडन और चिनाइ ने कुछ साफ़ नहीं बताया। ये बातें उन्होंने न्यूज़18 पर लिखे अपने एक लेख में कही हैं।
आइएफएफआइ गोवा के पणजी में 20 नवंबर से शुरू हो रहा है जो 28 नवंबर तक चलेगा जबकि इसी अवधि में 20 से 24 नवंबर के बीच एनएफडीसी वहां फिल्म बाजार का आयोजन करेगा। इस बार का फिल्म महोत्सव दो फिल्मों के चलते काफी विवादों में आ गया है। ‘न्यूड’ और ‘एस दुर्गा’ नाम की इन दो फिल्मों को खुद सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा चुनी गई निर्णय समिति ने महोत्सव में प्रदर्शन के लिए चुना था, जिसके अध्यक्ष फिल्म निर्देशक सुजॉय घोष थे। मंत्रालय ने बाद में इन दोनों फिल्मों को प्रदर्शित होने वाली सूची से निकाल दिया जिसके विरोध में घोष ने इस्तीफ़ा दे दिया।
IFFI 2017: Jury member Gyan Correa also resigns after Sujoy Ghosh, Apurva Asrani; Ravi Jadhav plans to move court – Mumbai Mirror https://t.co/URN3qiAOzS
— nikhil wagle (@waglenikhil) November 15, 2017
गौतमन का आकलन है कि इस विवाद से बचने के लिए ही मंत्रालय ने शायद पत्रकारों को बुलाने से परहेज़ किया हो ताकि सच्चाई छुपी रह सके। इस बीच पैनोरामा में प्रदर्शित होने वाली नौ मराठी फिल्मों के निर्देशक रवि जाधव की ‘न्यूड’ को हटाए जाने के विरोध में महोत्सव का बहिष्कार करने की योजना बना रहे हैं जबकि ‘एस दुर्गा’ के निर्देशक सनल शशिधरन फैसले को अदालत में चुनौती दे चुके हैं।
‘एस दुर्गा’ का मूल नाम ‘सेक्सी दुर्गा’ था जिसे सेंसर के दबाव में निर्देशक को बदलना पड़ा। फिल्म का लेना-देना देवी दुर्गा से नहीं है, लेकिन भ्रम में कुछ लोगों ने इसके नाम को लेकर प्रदर्शन कर दिया था जिसके बाद सेंसर ने कठोर रुख़ अपनाया। आखिरकार नाम बदलने के बावजूद मंत्रालय ने फिल्म का प्रदर्शन रोक दिया। दूसरी ओर ‘न्यूड’ के निर्देशक ने मंत्रालय को पत्र लिखकर पूछा है कि उनकी फिल्म को सूची में से क्यों हटाया गया। मंत्रालय का अब तक कोई जवाब नहीं आया है।