राष्‍ट्रवाद पर अंतर-संवाद करने के लिए चंडीगढ़ में इस महीने जुटेंगे देश भर के लेखक

विभिन्‍न भारतीय भाषाओं के लेखकों द्वारा साहित्‍य-संस्‍कृति के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी पुरस्‍कारों की वापसी के व्‍यापक अभियान के करीब दो साल बाद एक बार फिर से लेखक-साहित्‍यकार जागे हैं। इस महीने के आखिर में देश भर के अलग-अलग भाषाओं के लेखक-संस्‍कृतिकर्मी चंडीगढ़ में दो दिन के लिए डेरा डालेंगे और राष्‍ट्रवाद पर बात करेंगे।

प्रगतिशील लेखक संघ और पंजाब कला परिषद की ओर से आयोजित इस राष्‍ट्रीय परिसंवाद में जनवादी लेखक संघ, जन संस्‍कृति मंच, इप्‍टा और केंद्रीय पंजाबी लेखक सभा की भी सक्रिय भागीदारी है। ऐसा बहुत दिनों बाद हो रहा है कि हिंदी और दूसरी भाषाओं के लेखक संगठन किसी विषय को लेकर एक मंच पर अंतर-संवाद के लिए जुट रहे हैं।

आगामी 28-29 अक्‍टूबर को चंडीगढ़ के रंधावा सभागार में आयोजित होने वाली इस राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी का विषय है ”राष्‍ट्रवाद और संस्‍कृति: एक अंतर-संवाद”। 28 अक्‍टूबर की सुबह उद्घाटन सत्र में उद्घाटन व्‍याख्‍यान पूर्व उपराष्‍ट्रपति हामिद अंसारी का होगा। पहला सत्र ”फासीवाद को चुनौती, राष्‍ट्रवाद और लोकतंत्र” विषय पर केंद्रित है। दूसरा सत्र है ”राष्‍ट्रवाद, साहित्‍य और समाज”। पहले दिन की शाम को काव्‍य गोष्‍ठी होगी जिसकी अध्‍यक्षता अशोक वाजपेयी और सुरजीत पातर करेंगे। इसमें हिंदी और पंजाबी के कवि काव्‍यपाठ करेंगे।

अगले दिन का पहला सत्र है ”राष्‍ट्रवाद और हाशिये का समाज” तथा दूसरा सत्र है ”राष्‍ट्रवाद, मीडिया और फिल्‍म”। इस सत्र के वक्‍ताओं में में सबा दीवान का नाम भी शामिल है जिन्‍होंने सबसे पहले ”नॉट इन माइ नेम” नामक अभियान का आवाहन किया था।

 

आयोजन में शामिल होने के लिए डेलीगेट शुल्‍क 200 रुपया रखा गया है। अपना शामिल करवाने के लिए लेखक परिसंवाद के राष्‍ट्रीय संयोजक सुखदेव सिंह सिरसा से संपर्क कर सकते हैं।

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