नई दिल्ली। स्वाधीनता संग्राम के प्रतिनिधि अखिल भारतीय संगठन ‘राष्ट्रीय आन्दोलन फ्रंट’ का पहला वार्षिक अधिवेशन अहमदाबाद, गुजरात में संपन्न हुआ। बीते 10 और 11 अगस्त 2019 को हुए इस दो दिवसीय अधिवेशन में दर्जन भर से ज्यादा राज्यों से संगठन के कस्टोडियन ने हिस्सा लिया। कस्टोडियन संगठन की उच्चतम सदस्यता प्राप्त सदस्य होते हैं। कस्टोडियन का अर्थ है- विरासत को संजोने वाले लोग। संगठन के यही कस्टोडियन सदस्य अधिवेशन में अगले एक साल किस तरह काम करना है, इसकी योजना बनाने के लिए इकट्ठा हुए।
राष्ट्रीय आन्दोलन फ्रंट की स्थापना वर्ष 2015 में स्वाधीनता संग्राम की विचारधारा और मूल्यों के प्रचार-प्रसार के लिए हुई थी। स्वाधीनता संघर्ष से प्रेरित यह स्वयंसेवी संगठन सेवा और रचनात्मक कार्यक्रम के माध्यम से लोगों तक आजादी की लडाई को पहुंचाने के लिए प्रयासरत है। महज चार साल में देश के दर्जन भर से अधिक राज्यों में संगठन का विस्तार है।
इस दो दिवसीय अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में देश के जाने-माने विद्वानों ने अपनी बात रखी। इसमें आधुनिक भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार प्रोफेसर सलिल मिश्र, जाने-माने अर्थशास्त्री प्रोफेसर हेमंत कुमार शाह, वरिष्ठ लेखक/पत्रकार प्रकाश शाह आदि वक्ता शामिल रहे। इसके अतिरिक्त संगठन की राष्ट्रीय संयोजिका और गांधीवादी लेखिका सुजाता चौधरी और संगठन के संयोजक सौरभ बाजपेयी ने भी उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। गुजरात लोक समिति की संयोजिका नीता महादेव ने अधिवेशन की अध्यक्षता की।
इसके अतिरिक्त पहले दिन भोजनावकाश के बाद पहले शिक्षण सत्र में ‘इतिहास: दुष्प्रचार और सत्य’ के अंतर्गत ‘गांधी और सुभाष’, ‘गांधी और भगत सिंह’, ‘भारत विभाजन और गांधी’ तथा ‘क्या गांधी कांग्रेस को भंग करना चाहते थे’ विषय पर चर्चा हुई। दूसरा शिक्षण सत्र ‘सामाजिक, राजनीतिक आंदोलनों के अनुभव: गुजरात के विशेष सन्दर्भ में’ विषय पर केन्द्रित था, जिसके अंतर्गत ‘विकास के इस मॉडल की कीमत क्या है’, ‘हमारे दौर की पर्यावरणीय चिंताएं’, ‘शिक्षा की वर्तमान प्रणाली और भारत की आम जनता का भविष्य’ तथा ‘सामाजिक विभाजन की चुनौतियां’ विषय पर चर्चा की गयी।। शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ अधिवेशन के प्रथम दिन का समापन हुआ।
गुजरात की प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और ‘राष्ट्रीय आन्दोलन फ्रंट’ की गुजरात संयोजिका मुदिता विद्रोही और आयोजन समिति के सदस्य स्नेह भावसार ने बताया कि गुजरात विद्यापीठ में होने वाले इस ऐतिहासिक आयोजन के दूसरे दिन की शुरुआत गुजरात विद्यापीठ से साबरमती आश्रम तक पदयात्रा ‘बापू के पदचिन्हों पर’ से हुई। तत्पश्चात ‘राष्ट्रीय आन्दोलन फ्रंट’ के सांगठनिक मामलों से संबंधित तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया, जिसमें सांगठनिक कामकाज की समीक्षा और भविष्य की योजनाओं पर विचार किया गया।