गाँधी जेल में मिलने पहुँचे तो नज़रें क्यों चुरा लीं गोडसे ने !

असग़र वजाहत का लिखा हुआ और टॉम आल्टर के ग्रुप द्वारा खेला गया नाटक देखा।

नेहरु की भूमिका सरदार फिल्म में नेहरु बने बेंजामिन गिलानी ने ही निभाई।

मेरे साथ बैठे एक युवा मित्र ने कहा, यह तो बिल्कुल असली नेहरु लगते हैं ! मैंने उनको बताया कि सरदार फिल्म में नेहरु के रूप में आप सब ने इन्ही को देखा है इस लिये आप को ये नेहरु ही लगते हैं ।

नाटक एक काल्पनिक स्थिति से शुरू होता है कि गांधी को लगी हुई तीनो गोलियाँ निकाल दी गयी हैं अब वे खतरे से बाहर हैं।

गांधी नाथूराम गोडसे से मिलने की जिद करते हैं ! मिलने पर गांधी गोडसे से पूछते हैं कि तुमने मुझ पर गोली क्यों चलाई ?

गोडसे कहता है कि तुम लगातार हिंदुओं के हितों की अवहेलना कर कर रहे थे ।

इसलिये मुझे यह सिद्ध करना था कि हिंदू कायर नहीं है ।

मैं फांसी पर चढूंगा और ये बात् साबित कर दूंगा ।

गांधी कहते हैं कि मैं नहीं चाहता कि तुम्हें फांसी हो ।

गांधी कहते हैं मैं अदालत में तुम्हारे विरुद्ध बयान भी नहीं दूंगा ।

इस पर नाथूराम परेशान हो जाता है ! नाथूराम चीखता है कि यह गांधी बहुत चालाक आदमी है ।

आगे दिखाया गया है कि गांधी ने नेहरु पटेल और मौलाना को बुलाया है ।

पर सिर्फ नेहरु और मौलाना आज़ाद आते हैं ।

गांधी कहते हैं कि जवाहर, कांग्रेस तो आज़ादी की लड़ाई का एक मंच था ।

कांग्रेस में अनेकों विचारधाराओं के लोग हैं।

और तुम्हें लोगों ने आजादी की लड़ाई लड़ने के लिये चुना था ।

अब देश आज़ाद हो गया है ! इसलिये चुनाव लड़ने के लिये तुम लोग अब अपनी पार्टी बनाओ ।

कांग्रेस अब गांव में जाकर लोगों की सेवा करेगी ।

नेहरु कहते हैं मैं बात कर के बताऊंगा ।

आवाज़ गूंजती है कि पहली बार कांग्रेस ने गांधी का प्रस्ताव रद्द कर दिया ।

कहानी के अनुसार गांधी एक आदिवासी गांव में चले जाते हैं ,

और आश्रम बना कर रहने लगते हैं ।

गांव में कलेक्टर आकर कहता है कि हम दो हेंड पम्प लगाएंगे,

गांधी पूछते हैं कि क्या आपने लोगों को समझाया है कि हेंड पम्प की मरम्मत कौन करेगा ?

कलेक्टर गांधी से कहता है कि कानूनन विकास के लिये लोगों की सहमति की ज़रूरत नहीं है ।

कुछ समय के बाद नेहरु अपना पत्र लेकर प्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री को गांधी के पास भेजते हैं ।

जिसमे नेहरु, गांधी से कहते हैं कि चुनाव आ रहे हैं और गांधी जी चुनाव में कांग्रेस की मदद करें ।

गांधी उस मुख्यमंत्री से कहते हैं कि यहाँ तो गांव वालों ने अपनी सरकार बना ली है ।

देखो गांव की सरकार के मंत्री कुआँ खोद रहे हैं ।

नेहरु से कहना कि मैं चाहता हूं कि कांग्रेस इन गांव वालों को अपना समर्थन दे ।

मुख्यमंत्री कहते हैं कि एक देश में दो सरकारें कैसे चल सकती हैं ?

गांधी कहते हैं कि सरकारे तो सेवा के लिये बनाई जाती हैं और सेवा करने में कैसी लड़ाई ?

गृह मंत्रालय सरकार को रिपोर्ट देता है कि गांधी आदिवासियों को राष्ट्र के विरुद्ध भड़का रहा है ।

अन्त में नेहरु ने गांधी को राजद्रोह के आरोप में जेल में डाल दिया ।

नाटक में आगे दिखाया गया है कि गांधी जिद करते हैं कि मुझे गोडसे के कमरे में रखा जाये ।

गोडसे गांधी से कहता है कि मैंने राष्ट्र के लिये तुम्हारा वध किया है।

गांधी गोडसे से पूछते हैं कि क्या तुमने इस देश को देखा है ?

गोडसे नज़रें चुराता है,

गांधी कहते हैं यह देश तो एक दुनिया है,

और तुम जिस हिंदू राष्ट्र का नक्शा मुझे दिखा रहे हो वह तो ब्रिटिश इंडिया का नक्शा है,

इसमें अफगानिस्तान और आर्यों के मूलस्थान भी नहीं हैं ?

जेल मे गांधी एक नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद स्वरूप गीता देते हैं,

गोडसे गीता देख कर विचलित हो जाता है और पूछता है क्या तुम गीता को मानते हो ?

गोडसे चिल्लाता है कि गीता मेरा ग्रन्थ है,

गांधी कहते हैं कि जिस गीता से तुमने प्रार्थना करते एक निहत्थे बूढ़े की हत्या करना सीखा उसी गीता से मैंने खुद पर हमला करने वाले को भी क्षमा करना सीखा है,

नाटक के अनुसार गांधी और गोडसे को एक साथ रिहा कर दिया गया।

गांधी बिछड़ते समय गोडसे से कहते हैं कि मैं जानता हूं तुम वही करते रहोगे जो तुम सही मानते हो,

इसी तरह मैं भी वही करता रहूँगा जिसे मैं सही मानता हूं  ।

नाटक का नाम –गोडसे@गांधी.कॉम।

हिमाँशु कुमार

(लेखक प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं।)

नोट-यह नाटक आप यहाँ पढ़ भी सकते हैं।

 

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