दिल्ली के कान्स्टीट्यूशन क्लब में 19 अगस्त को शाम 3 बजे से ‘तर्कशीलता और वैज्ञानिकता के पक्ष में अंधविश्वास, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और मीडिया की भूमिका’ विषय पर तर्कशास्त्री नरेंद्र दाभोलकर की याद में ‘अंधविश्वास विरोधी मंच’ के बैनर तले एक गोष्ठी आयोजित की जा रही है। यह आयोजन जनपक्षधर समाचार साइट जनज्वार डॉट कॉम, युवा संवाद, इंसाफ/पीस और संभव प्रकाशन के सौजन्य से आयोजित किया जा रहा है।
कार्यक्रम में बतौर वक्ता जेएनयू की प्रोफेसर मृदुला मुखर्जी (वैज्ञानिक तेवर और आजादी का आंदोलन), सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश (धार्मिकता और तार्किकता), डीयू के पैट्रिक दासगुप्ता (ग्रह-नक्षत्रों का ज्योतिषीय सच), गौहर रजा (अंधविश्वास और वैज्ञानिकता), अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति, महाराष्ट्र की डाॅ सविता शेटे (जमीनी संघर्ष और चुनौतियां), डीयू में प्रोफेसर अपूर्वानंद (राजनीति में अंधविश्वास का इस्तेमाल), पूर्व राजदूत अनूप मुदगल (तर्कशीलता और समाज), लेखक सिद्धार्थ (जाति के तहखाने में अंधविश्वास), वरिष्ठ लेखक प्रेमपाल शर्मा (शिक्षा और तर्कशीलता), सामाजिक कार्यकर्ता विक्रम प्रताप (युवा और अंधविश्वास), डॉ. रघुनंदन (सामाजिक आंदोलनों में अंधविश्वास के रोड़े), प्रो. शम्सुल इस्लाम (इतिहास और वैज्ञानिक समाज), वैज्ञानिक सुरजीत (अंधविश्वास और वैज्ञानिक चिंतन) और पत्रकार अजय प्रकाश (मीडिया और अंधविश्वास) विषय पर अपनी बात रखेंगे।
कार्यक्रम का संचालन जनस्वास्थ्य के प्रबल पक्षधर जनस्वास्थ्य चिकित्सक एके अरुण करेंगे। कार्यक्रम के संयोजक प्रेमपाल शर्मा और सह-संयोजक राजीव रंजन हैं।
कार्यक्रम में अरविंद गौड़ के निर्देशन में संचालित ‘अस्मिता थिएटर’ की जननाट्य मंडली द्वारा अंधविश्वास के खिलाफ एक नाटक आयोजित किया जाएगा। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति, महाराष्ट्र द्वारा चमत्कार का डिमोस्ट्रेशन किया जाएगा तो प्रो. शम्सुल इस्लाम के निशांत ग्रुप द्वारा गीतों की प्रस्तुति की जाएगी।
इसकी अगली कड़ी में नरेंद्र दाभोलकर सप्ताह के अंतर्गत 23 अगस्त को अंधविश्वास विरोधी मंच द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के शाहदरा स्थित श्यामलाल कॉलेज में छात्रों के बीच आयोजन किया जाएगा।
आज देश में आए दिन तांत्रिकों, बाबाओं के टोना-टोटकों द्वारा अपराधों के दर्जनों मामले रोज मीडिया में छाये रहते हैं। तथाकथित डिग्रीधारी, सफेदपोश भी धर्म, आस्था की आड़ में इन अंधविश्वासों के इतने ही शिकार है, मगर गरीब, वंचित समुदायों का तो आर्थिक सामाजिक शोषण हो रहा है। कारण- अंधविश्वास, अज्ञानता, जानकारी का अभाव।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई कोई भी धर्म, समुदाय इन बुराइयों से अछूता नहीं है। 21वीं सदी में दिल्ली जैसे शहर में इन कुकृत्यों की दास्तानों से सिर शर्म से झुक जाता है। दिल्ली में एक साथ ही परिवार के ग्यारह लोगों द्वारा आत्महत्यायें इसी अंधविश्वास का अंजाम थीं।
पांच वर्ष पहले 20 अगस्त, 2013 को अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले पूना के डॉक्टर नरेन्द्र दाभोलकर की अंधभक्तों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। तर्कशीलता के पक्ष में खड़े दाभोलकर के अलावा धर्म, जाति, संप्रदाय और अंधभक्ति फैलाकर समाज को बांटने वाले इन लोगों ने तर्कवादी डॉक्टर एमएम कलबुर्गी, गोविंद पानसरे और पत्रकार गौरी लंकेश की भी हत्या इसलिए कर दी क्योंंकि ये अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे।
आमजन में जागरुकता फैलाने के लिए अंधविश्वास विरोधी मंच ने यह पहल ली है, जिसमें अलग-अलग क्षेत्रों के एक्सपर्ट और वैज्ञानिक, पत्रकार, डॉक्टर, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद जुड़े हुए हैं।
अंधविश्वास विरोधी मंच के आयोजक मंडल में पूर्व आईपीएस विकास नारायण राय, जनस्वास्थ्य से जुड़े ए.के.अरुण, पत्रकार पीयूष पंत, लेखक प्रेमपाल शर्मा, वैज्ञानिक सुरजीत, राजदूत अनूप मुद्गल, वैज्ञानिक पी.वी.एस.कुमार, उपन्यासकार संजीव, वैज्ञानिक सुबोध मोहंती, प्रोफेसर शम्सुल इस्लाम, संभव प्रकाशन से शिक्षक विक्रम प्रताप, पत्रकार अजय प्रकाश, लेखक सिद्धार्थ, राजीव रंजन, विष्णु शर्मा समेत कई विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे अनेक लोग शामिल हैं।
प्रेस विज्ञप्ति