बिहार: आशा कार्यकर्ताओं का बकाया दबा गये सुशासन बाबू, प्रदर्शन

कोरोना वॉरियर्स और घर घर की स्वास्थ्य कार्यकर्ता आशाओं की उपेक्षा के खिलाफ आज पूरे बिहार में सिविल सर्जन के कार्यालयों पर आशा कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रही हैं। इसके पहले मंगलवार को राज्य के अधिकांश प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आशाओं ने अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।

आशा कार्यकर्ता मासिक मानदेय की घोषणा, पूर्व के समझौता का क्रियान्वयन, कोरोना भत्ता और पूर्व के बकाया का भुगतान की मांग कर रही हैं। दरअसल जनवरी 2019 में सरकार ने हड़ताली आशाओं से जो समझौता किया था, आजतक उस समझौते के तहत भुगतान नहीं हुआ है। कोरोना काल में कई आशाओं की मौत हुई है लेकिन सरकार द्वारा घोषित विशेष कोरोना भत्ता का लाभ पीड़ित परिजनों को नहीं मिला है!

कर्मचारी महासंघ गोप गुट/एक्टू से सम्बद्ध बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ के आह्वान पर दो दिवसीय आंदोलन की घोषणा हुई है। मंगलवार को पीएचसी पर प्रदर्शन था और आज सभी जिलों के सिविल सर्जन कार्यालयों के समक्ष प्रदर्शनकर मांगें रखी जा रही हैं।

आशा कार्यकर्ता संघ की राज्य अध्यक्ष शशि यादव ने कहा है कि दिल्ली और पटना की सरकारें कोरोना वारियर्स और घर घर की स्वास्थ्य कार्यकर्ता के साथ नाइंसाफी कर रही हैं। पीएम ने आशाओं को नियमित मासिक मानदेय न देकर जहां विश्वासघात की है, वहीं नीतीश सरकार कोरोना भत्ता नहीं देकर नाइंसाफी कर रही है। उन्होंने कहा है कि आशाएं ‘बदला लो, बदल डालो’ नारे के तहत नाइंसाफी का बदला लेंगी। हम आशाओं के न्यायपूर्ण सवालों को चुनाव का सवाल बनाएंगे।

आशा कार्यकर्ताओं ने रोहतास, कैमूर, पटना, अरवल, जहानाबाद, नालंदा, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर, खगड़िया, मुज़फ़्फ़रपुर, मधेपुरा, भागलपुर, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, गोपालगंज, सिवान, मुंगेर, सुपौल आदि जिलों के 200 से ज्यादा पीएचसी पर विरोध प्रदर्शन कर अपनी मांगों को रखा।

आशा कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन को विद्यावती, कुसुम कुमारी, सबया पांडे, कविता, सीता पाल, रिंकू, अनुराधा, अनिता, फैजी, संगीता संगम, सुनैना, उषा सिन्हा, चन्द्रकला आदि ने संयोजित व नेतृत्व किया।


 

First Published on:
Exit mobile version