चुनाव और उसका प्रचार दो बिल्कुल अलग चीजें हैं, लेकिन एक दूसरे के बिना बिल्कुल अधूरे हैं। दो दशक पहले तक चुनाव खूब धूम-धड़ाके के साथ हुआ करते थे जिसमें खूब शोरगुल, हो-हल्ला हुआ करता था। अब ऐसा नहीं है। चुनाव का हाल पूछने के लिये बात शुरू करो तो सामने वाला कहता है, कैसा चुनाव? कैसा चुनाव से उसका मतलब होता है चुनावी माहौल से।
चुनाव आयोग और तकनीकी के सहारे होने वाले चुनाव में अब वो बात नहीं रही जैसे पहले होती थी। लोग बताते हैं कि पहले के चुनावों में नाच-गाना, कई तरह के नारे, रंग बिरंगी ड्रेस बहुत महत्वपूर्ण होती थी। इस मामले में पीछे रह गये प्रत्याशी को कमजोर मान लिया जाता था। तकनीकी और प्रचार के नये तरीके सामने आने के बाद भी हाल कमोबेश वैसा ही है। वोटर की धारणाएं भी वैसी ही हैं। केवल तरीका बदला है।
दिल्ली विधानसभा के लिये होने जा रहे चुनाव के लिये गुरुवार का दिन आखिरी था। अब बस इंतजार है तो वोटिंग का। प्रचार के आखिरी दिन सभी दलों ने अलग अलग तरीके से ज्यादा से ज्यादा से वोटरों तक पहुंचने की कोशिश की। ऐसा ही तरीका निकाला महरौली विधानसभा की बीजेपी उम्मीदवार कुसुम खत्री ने। खत्री ने अपने क्षेत्र के वोटर से संपर्क साधने के लिए और वोटर को अपनी उम्मीदवारी की याद बनाए रखने के लिए क्षेत्र के लोगों के बीच कुछ प्रचार सामग्री का वितरण करवाया।
पैकेट मिलने के बाद प्रचार की आखिरी शाम ही सही, चुनावी माहौल में थोड़ी गर्मी आती दिखाई दी। अचानक से आई गर्मी का कारण पैकेट की सामग्री थी जिसमें पॉकेट डायरी, कीरिंग, बैज के अलावा सबसे जरूरी चीज थी एक अदद इंची टेप।
पान की दुकान चलाने वाले बीरू चौरसिया प्रचार सामग्री पाने वालों में से एक हैं। वे कहते हैं, “बेवकूफ़ बना दिया, इससे अच्छा तो न ही देता।” वे कहते हैं कि डायरी इतनी पतली है कि उसमें एक दिन की उधारी भी नहीं लिख पाएंगे। इंची टेप पर वे कहते हैं कि “अपनी छाती नापकर देखूंगा 56 इंच हुई या नहीं। मोदी जी इतना अच्छा काम कर रहे हैं कुछ तो फर्क पड़ना चाहिए।”
… लेकिन 56 इंच की छाती तो मोदी जी की है? इस पर वे कहते हैं, “ओकरा कौन नापेगा, हमारी आपकी औकात ही नहीं है कि उसकी नाप सकें।”
असमंजस का यही हाल राजू चाय वाले की दुकान पर बैठे लोगों का है। सब एक दूसरे से पूछ रहे हैं कि इस इंची टेप का क्या करें? मनोहर कहते हैं, “देखिए, हम लोग न दर्जी हैं, और न ही कोई ऐसा काम करते हैं जिसमें इंची टेप का काम हो।”
सन्नी कहते हैं, “आप शर्त लगा लीजिए इस इंची टेप की लम्बाई मेरे कमरे के बाथरूम से ज्यादा है।”
हिमांशु का कहना है कि ऐसे तो इसका कोई काम नहीं है लेकिन जब दे ही गये हैं तो जा रहा हूं कश्मीर, 370 हटने के बाद जो प्लॉट खरीदा है उसकी नाप जोख कर लूंगा। डायरी तो प्लॉट की नापजोख में ही भर जाएगी, प्लॉट इतना बड़ा है। आखिर मोदी जी इतने प्यार से दिये हैं।
एक तरफ बीजेपी द्वारा बाँटे गये सामान की चर्चा है तो दूसरी तरफ आप और कांग्रेस ने कुछ भी नहीं बांटा इसको लेकर भी नाराजगी है। इसी चर्चा के बीच बीजेपी की सामग्री बांट रहा लड़का घूमकर वापस आ जाता है और कहता है, “आप लोग इंतजार करिए, रात तक कुछ और व्यवस्था हो जाएगी।” रात की व्यवस्था को जनता खूब समझती है। आखिरी मौके पर राजनीतिक आस्थाओं के पलटने का काम पूरे देश में “रात की व्यवस्था” से होता है।
सामान बांटने में कोई भी पार्टी पीछे नहीं है। यहां भी मुकाबला बीजेपी और आप के बीच है। आप के नरेश यादव ने अपने चहेते दुकानदारों के लिए डस्टबिन वितरित करवायी है। उसके अलावा भी जो है वो सब अपने लोगों के लिए किया है। आप सरकार द्वारा लगवाये गये वाइफाइ का सेटअप भी अपनों की दुकानों पर लगा है।
वे कहते हैं, “भैया हमको रहना यहीं है इसलिए किसी से बुराई नहीं कर सकते लेकिन हमलोग सबसे ज्यादा लोकल के निशाने पर रहते हैं। लोकल के लोग हमारी हर गतिविधि को अपने प्रत्याशी तक पहुंचाते हैं।”
चुनाव से पहले महरौली से लेकर बेर सराय और कटवारिया सराय तक के पूरे इलाके में इंची टेप की चर्चा है। सुबोध कहते हैं कि छोटा-मोटा सामान चुनाव के दौरान हर पार्टी और उम्मीदवार बंटवाता है लेकिन सामान ऐसा होता है जिसका इस्तेमाल किया जा सके। पहले घड़ी, टिफ़िन का डब्बा, रेडियो और कैलेन्डर जैसी चीजें होती थीं, लेकिन कुसुम खत्री ने इंची टेप क्या सोचकर बांटा ये तो वही बता सकती हैं। ये हमारी समझ से परे है।