नीतीश सरकार हटाने को ज़रूरी विपक्षी तालमेल पर राजद का रुख दुर्भाग्यपूर्ण- दीपंकर

भाकपा माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने बिहार में एनडीए विरोधी विपक्ष की कारगर एकता में जारी गतिरोध दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि भाजपा-जदयू की हार सुनिश्चित करने के लिए विपक्ष की व्यापक व कारगर एकता बिहार की जनता की चाहत है, ताकि जनता का आक्रोश संगठित हो सके, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस दिशा में अबतक कोई बड़ी प्रगति नहीं हो सकी है.

भाकपा माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य पटना में माले राज्य सचिव कुणाल और पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि विगत लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार का तालमेल हुआ था और उसके जो अनुभव हैं, उसने स्पष्ट कर दिया है कि माले और अन्य वाम दलों को उचित जगह दिए बिना कोई कारगर विपक्षी एकता नहीं बन सकती और भाजपा-जदयू के खिलाफ निर्णायक गोलबंदी संभव ही नहीं है. लेकिन तालमेल को लेकर अभी तक राजद का जो रुख और प्रस्ताव है, वह जनता की भावना और राजनीतिक जरूरत से कत्तई मेल नहीं खाती है. हम चाहते हैं कि राजद इसपर गंभीरता से विचार करे ताकि विपक्षी दलों के बीच कारगर एकता का निर्माण हो सके.

माले महासचिव ने कहा कि विपक्षी दलों के बीच कारगर तालमेल नहीं होने की स्थिति में भाकपा-माले बिहार की जनता से अपील करती है कि ऊपर के स्तर पर जारी गतिरोध को दरकिनार कर नीचे के स्तर पर जनता के विभिन्न हिस्सों और नीचे के आंदोलनों का मोर्चा बनाएं और विश्वासघाती एनडीए सरकार को निर्णायक शिकस्त देने की तैयारी आरंभ कर दें!

उन्होंने कहा कि दरअसल, भाजपा-जदयू  बिहार चुनाव को लॉकडाउन की आड़ में हड़प लेना चाहती हैं ताकि जनता के आक्रोश का सामना न करना पड़े. लेकिन, बिहार की जनता इस साजिश को बखूबी समझ चुकी है और चुनाव में वह इसका मुक्कमल जवाब देगी. यह चुनाव जनविरोधी व गद्दार भाजपा-जदयू सरकार को सत्ता से बेदखल करने का अभियान साबित होगा.

दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार के स्कीम वर्करों, छात्र-नौजवानों, लॉकडौन भत्ता व रोजगार की मांग कर रहे प्रवासी मजदूरों, सरकार का विश्वासघात व दमन झेलते शिक्षकों, छोटे कर्जों की माफी को लेकर आन्दोलरत महिलाओं, कर्ज माफी के सवाल पर आंदोलन कर रहे किसानों और अन्य सभी आंदोलनकारी ताकतों से हम अपील करते हैं कि विधानसभा चुनाव को एक बड़े राजनीतिक-सामाजिक आंदोलन में तब्दील कर दें और विश्वासघाती नीतीश सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंक दें.

भाकपा माले महासचिव ने कहा कि संसद सत्र के पहले दिन 26 सांसदों के कोविड संक्रमित होने, अब तक कई राजनेताओं-अधिकारियों की मौत के बाबजूद भी बिहार में इलेक्शन कराने पर भाजपा-जदयू अड़ी है, यह जनता के जीवन से खिलवाड़ नहीं तो और क्या है? बिहार में कोरोना का लगातार विस्फोट हो रहा है और बिहार सरकार झूठे आंकड़ा देकर सच्चाई पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है. छात्रों-अभिवावकों के जबरदस्त विरोध के वावजूद मोदी सरकार ने छात्रों को परीक्षा में धकेल दिया. फासीवादी मोदी शासन के ही नक्शे पर चलते हुए नीतीश सरकार भी इस कोविड काल में छात्रों की परीक्षा लेने पर अड़ी है. यह मानवद्रोही आचरण है.

दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि मोदी सरकार देश की सच्चाई व वास्तविक स्थितियों से लगातार भाग रही है. यहां तक कि सरकार संसद में प्रवासी मजदूरों और डाॅक्टरों-स्वास्थ्यकर्मियों और अन्य कोरोना वारियर्स का डाटा तक उपलब्ध नहीं करवा सकी. यह सरकार की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है. लॉकडाउन की मार झेल रहे प्रवासी मजदूरों, कोविड के खिलाफ अगली कतार में खड़े डॉक्टर व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की न्यूनतम मांगों, भयानक बेरोजगारी की मार झेलते करोड़ों बेरोजगारों, कर्ज माफी के सवाल पर आंदोलित महिलाओं-किसानों, स्कीम वर्करों के सवालों-मांगों और देश की अन्य दूसरी सच्चाइयों का सरकार के पास कोई जवाब नहीं है. और इन सवालों से बचने के लिए सरकार ने संसद में कोई प्रश्नकाल ही नहीं रखा. यह संसद की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने की भी साजिश है.

दूसरी ओर इसी कोविड काल में दिल्ली दंगों के असली अपराधियों को बचाते हुए दलित-मुस्लिम, मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं और वामपंथियों को निशाना बनाया जा रहा है. दिल्ली दंगों में वामपंथी नेताओं को राजनीतिक दुर्भावना से ग्रसित होकर घसीटा जा रहा है. हमारी पार्टी की नेता कविता कृष्णन, आइसा आंदोलन के नेताओं, सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी सहित कई अन्य दूसरे कार्यकर्ताओं के खिलाफ बिना किसी सबूत के हास्यास्पद बयान दिए जा रहे हैं. भीमा कोरेगांव में दलित कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित करने के बाद अब एनआरसी-एनपीआर-सीएए के खिलाफ आंदोलन चलाने वाले कार्यकर्ताओं पर कहर बरसाया जा रहा है. सरकार कोविड का इस्तेमाल लोकतन्त्र को खत्म करने और देश में फासीवादी माॅडल थोपने के रूप में कर रही है.


 

First Published on:
Exit mobile version