बीजेपी कार्यकर्ताओं और किसानों में भिड़ंत, राकेश टिकैत ने कहा- मंच पर क़ब्जे़ की साज़िश!

वरिष्ठ किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मच पर कब्जा करने की कोशिश की जिसकाकिसानों ने जवाब दिया।उन्होंने कहा कि किसानों के मंच पर बीजेपी का झंडा फहराने की साज़िश की गयी थी। अगर यही रवैया रहा तो यूपी में कहीं भी बीजेपी नेता आ जा नहीं पायेंगे।

कृषि क़ानूनों पर आंदोलन कर रहे किसानों में बीजेपी को लेकर गु़स्सा बढ़ता ही जा रहा है। आज दिल्ली के ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर जारी धरनास्थल पर बीजेपी कार्यकर्ताओं और किसानों के बीच जमकर झड़प हुई। बीजेपी का आरोप है कि किसानों ने हमला कर उसे काफ़िले की गाड़ियाँ तोड़ीं, वहीं किसानों का आरोप है कि बीजेपी कार्यकर्ता बड़ी तादाद में इकट्ठा होकर मंच पर क़ब्ज़ा करना चाहते थे।

दरअसल, बुधवार को बीजेपी प्रदेश संगठन मंत्री बनाये गये अमित वाल्मीकि के स्वागत के लिए बीजेपी कार्यकर्ताओं ने वही जगह चुनी जहाँ पर किसान धरना दे रहे हैं। वहाँ खूब ढोल-नगाड़े बजाये गये जिससे विवाद खड़ा हो गया। बाद में दोनों पक्षों में मारपीट हुई।  बीजेपी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि किसानों ने बड़ी संख्या में मौजूद गाड़ियों के शीशे तोड़ दिए और कार्यकर्ताओं पर तलवार, भाले ,लाठी-डंडों से हमला किया। वहीं  किसान नेता इसे बीजेपी की साजिश बता रहे हैं। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर बीजेपी के काफिले को रवाना किया।

वरिष्ठ किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मच पर कब्जा करने की कोशिश की जिसकाकिसानों ने जवाब दिया।उन्होंने कहा कि किसानों के मंच पर बीजेपी का झंडा फहराने की साज़िश की गयी थी। अगर यही रवैया रहा तो यूपी में कहीं भी बीजेपी नेता आ जा नहीं पायेंगे।

भारतीय किसान यूनियन ने किसानों को हिंसा के प्रति सचेत किया है।

उधर, भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने गाजीपुर बॉर्डर पर सात महीनों से शांतिपूर्ण धरना दे रहे किसानों पर बुधवार को पुलिस की मौजूदगी में भाजपाइयों द्वारा शारीरिक रूप से हमला करने की कोशिश की कड़ी निंदा की है।

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने लखनऊ से जारी बयान में कहा कि भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में जोर-जबरदस्ती और धनबल सहित सारे हथकंडे अपनाने के बाद अब किसान आंदोलन को गुंडागर्दी के सहारे खत्म कराना चाहती है। अगर ऐसा नहीं है, तो किसान धरना के सभा स्थल पर भाजपाई झंडों के साथ कौन लोग पहुंचे थे और उन्होंने किसानों के लिए लगातार अपशब्दों का प्रयोग क्यों किया? वहां मौजूद पुलिस ने इन भाजपाइयों के खिलाफ कार्रवाई करने की जगह मूकदर्शक बन कर उन्हें संरक्षण क्यों दिया?

माले नेता ने कहा कि पं0 बंगाल चुनाव में किसान नेताओं के प्रचार के बाद पराजय का स्वाद चख चुकी भाजपा को अब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की चिंता सता रही है। यूपी के प्रवेश द्वार पर महीनों से डटे आंदोलनकारी किसानों को योगी सरकार और भाजपा अपने लिए खतरा समझ रही है। गत अप्रैल के पंचायत चुनाव में पिछड़ने के बाद वह निराशा में किसान आंदोलन को समाप्त कराने के लिए साजिश रच रही है। लेकिन आंदोलनकारी किसान भी कोई कच्ची गोलियां नहीं खेले हैं और जैसे उन्होंने हर बार आंदोलन को क्षति पहुंचाने की साजिशों को मुंहतोड़ जवाब दिया है, वैसे आगे भी देते रहेंगे।

 

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