यक़ीन करना मुश्किल है, लेकिन खुद को इतिहास की सबसे राष्ट्रवादी सरकार होने का दावा करने वाली मोदी सरकार चीन की आक्रामक रणनीति के आगे बेबस नज़र आ रही है। सरकार के दबाव में घुटने टेका बैठा मीडिया लगभग चुप्पी साधे हुए है, लेकिन कुछ पत्रकार फिर भी सवाल उठा रहे हैं। यही नहीं सेना के रिटायर्ड जनरल तक दावा कर रहे हैं कि चीन ने साठ वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र दबा लिया है, लेकिन न मीडिया में शोर है और न सरकार कुछ बता रही है। तमाम तथ्य सामने आने के बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ये तो स्वीकार किया कि चीनी सेना ने भारत की सरहद के अंदर प्रवेश किया है, लेकिन पाकिस्तान को अक्सर ‘मुंहतोड़ जवाब’ देने वाले राजनाथ सिंह इस बार ‘कड़ी निंदा’ करने को भी तैयार नहीं दिखे।
यह अद्भुत दृश्य है। पं.नेहरू की विफल चीन नीति को लेकर लगातार सवाल उठाने वाली बीजेपी आज सत्ता में है और चीन के रवैये पर चूँ भी करने को तैयार नहीं। उल्टा भक्तों की विराट मशीनरी ये फैला रही है कि चीनी सरहद पर सब ठीक है।
दिल पर पत्थर रखकर अजय शुक्ला ने लिखा होगा कि कम से कम 1962 में भारत लड़ा तो था। इस बार तो ऐसे ही समर्पण है। अजय शुक्ला यानी देश के सबसे अनुभवी कहे जाने वाले रक्षा मामलों के रिपोर्टर जो आजकल बिजनेस स्टैंडर्ड के लिए लिखते हैं। उनकी पीड़ा 8 जून को उनके ट्विटर टाइमलाइन पर उभर आयी।
अजय शुक्ला ने मोदी सरकार पर ‘नितांत समर्पण’ करने का आरोप लगाया है। क्योंकि बीते एक पखवाड़े से लगातार इस मसले पर रिपोर्टिंग करते हुए सरकार और देश को आगाह कर रहे थे। लेकिन सरकार की प्रतिक्रिया से हतोत्साहित हैं। उनका ये भी दर्द है कि हकीकत सामने लाने वाले पत्रकारों को देशद्रोही कहा जाता है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भी सीधा कहा कि मीडिया को दबा दिया गया है, लेकिन हर भारतीय सैनिक जानता है कि लद्दाख़ में दरअसल हुआ क्या है।
The media is muzzled and terrified. The truth seems dormant.
But it flows in the blood of every single Indian army officer and soldier.
They know exactly what is happening in Ladakh. https://t.co/qdE7ez8zrD
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 8, 2020
अजय शुक्ला ने 1 जून को ही लिखा था कि लद्दाख में चीन की पीएलए ने भारतीय सरहद के अंदर 60 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कब्जा कर लिया है। ये वो इलाका है जहाँ भारतीय सैनिक अरसे से पेट्रोलिंग करते थे। उन्होने सरकारी प्रचारतंत्र पर अफसोस जाहिर किया कि अब फिंगर 4 को ही वास्तविक नियंत्रण रेखा कहा जा रहा है जो दरअसल फिंगर 8 तक थी। इस संबंध में उन्होंने एक वेबसाइट पर छपे लेख का हवाला दिया जो इस प्रचार को हवा दे रहा था। पर इस अफसोस का तो कोई जवाब ही नहीं था कि कुछ लोग देश से ज्यादा मोदी को प्यार करते हैं।
Chinese PLA intrusions in Ladakh have blocked Indian Army’s access to over 60 sq km of territory that India has patrolled for decades. Echoing Kargil 1999, Chinese intruders now overlook India’s newly-built road to Daulat Beg Oldi, can cut it off at will.https://t.co/E08SDrLbWy
— Ajai Shukla (@ajaishukla) June 1, 2020
Shocking to find the sarkari propaganda machine is claiming “no incursion” by simply redrawing the border (LAC) to conform to the Chinese incursions.
The LAC was always at Finger8. Now the PLA has occupied till Finger4, this writer says Finger4 is LAC!!!https://t.co/nAfKCZ2dZ2
— Ajai Shukla (@ajaishukla) June 2, 2020
The most shocking aspect of the Chinese intrusions is this: Many Indians clearly love @narendramodi more than they love their country.
They would close their eyes and allow China to capture chunks of Indian territory, rather than admit such a thing had happened on Modi’s watch.
— Ajai Shukla (@ajaishukla) June 4, 2020
यह सिर्फ अजय शुक्ला जैसे पत्रकार का ही मामला नहीं है। लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एच.एस.पनाग ने एक लेख में दावा किया है कि चीन ने पूर्वी लद्दाख के तीन अलग-अलग इलाकों में भारत का 40 से 60 वर्ग किलोमीटर भूभाग हड़प लिया है। उन्होंने ऐसी आशंका जतायी कि चीन भारत के सामने ऐसी शर्तें रखेगा जिन्हें मानना मुश्किल होगा और नहीं माना गया तो वह सीमित युद्ध भी छेड़ सकता है। राहुल गाँधी ने इस लेख को ट्वीट करते हुए लिखा था कि सभी देशभक्तों को ये लेख पढ़ना चाहिए।
All patriots must read General Panag’s article.
“ ‘ ”.https://t.co/PFZS7bzmbM
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 5, 2020
बहरहाल, गृहमंत्री अमित शाह ने इस बीच दावा किया कि उनकी सरकार सीमा को इजरायल की तरह सुरक्षित रख रही है जिस पर राहुल गाँधी ने ट्वीट करके गालिब के एक शेर में तब्दीली करके जवाब दिया था। उन्होने लिखा- “हमको मालूम है सीमा की हक़ीक़त लेकिन, दिल के खुश रखने को ‘शाह-यद’ ये ख्याल अच्छा है।”
लेकिन वक्त अब शायद शायरी में बात करने का नहीं रह गया है। विपक्ष को सीधे तौर पर इस मुद्दे को उठाना चाहिए। ये तो विडंबना ही है कि चुनावी रैलियों में बात-बात पर रणभेरी बजाने वाले मौका आने से पहले ही पीठ दिखाने लगे। क्या देश इसे बरदाश्त कर सकता है? ऐसे मामलों पर सवाल उठाने वालों को गोदी मीडिया ‘देशद्रोही’ बताने का अभियान चला सकता है लेकिन तथ्य ये है कि 1962 के भारत-चीन युद्ध के समय बीजेपी के वरिष्ठतम नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने नेहरू सरकार की नीतियों की धज्जियाँ उड़ा दी थीं। यह अलग बात है कि उन्हें ये मौका खुद नेहरू ने संसद का सत्र बुलाकर दिया था जिसका उन्होने आग्रह किया था।
नेहरू या कांग्रेस ने 1962 में सरकार की चीन नीति पर सवाल उठाने वाले वाजपेयी या जनसंघ को देशद्रोही नहीं कहा था, याद रहे।
.बर्बरीक