इलाहाबाद विश्वविद्यालय में केंद्रीय पुस्तकालय खुलवाने के लिए तीन दिन से धरने पर बैठे छात्रों को प्रशासन ने बल प्रयोग कर हटा दिया है। छात्रों के साथ काफी धक्का मुक्की की गई। सुरक्षागार्ड ने छात्र नेता शक्ति रजवार का हाथ पकड़ते हुए कॉलर खिंचा जिसके कारण वो जमीन पर गिर गए। इस धरने की रिपोर्टिंग कर रहे मॉस कम्युनिकेशन फाइनल ईयर के छात्र पुनीत सेन के साथ भी बदसलूकी की गई। उन्हें रिपोर्टिंग नहीं करने दिया गया, उनका आईडी कार्ड छीन लिया गया और उनके मोबाइल को भी क्षति पहुंचाई गई।
आंदोलन कर रहे छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय ने अभी हाल ही में नोटिफिकेशन जारी किया है, कि 15 मार्च से शुरू होने वाली परीक्षा अब 03 अप्रैल से होगी, इसलिए छात्रों पर परीक्षा का दबाव है। छात्रों के बढ़ते आंदोलन को देखते हुए आज 2 बजे इस मुद्दे पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति ने चीफ प्रॉक्टर और लाइब्रेरियन के साथ अहम बैठक की थी, लेकिन चीफ प्रॉक्टर ने भारी बल का प्रयोग करते हुए लाइब्रेरी खुलवाने की मांग को लेकर बैठे छात्रों को जबरन वहां से उठा दिया।
छात्रों का कहना है कि 1 साल होने को आए हैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय का केंद्रीय पुस्तकालय लॉकडाउन से बंद पड़ा है, सभी कक्षाएं तो ऑनलाइन ही चल रही हैं लेकिन किताबें उपलब्ध न होने कारण छात्रों का पढ़ाई अधूरी है। मॉस कम्युनिकेशन, मनोवैज्ञानिक जैसे कई कोर्सेस के लिए लाइब्रेरी की मदद अनिवार्य हो जाती है। मॉस कॉम का पूरा कोर्स ही प्रैक्टिकल पर टिका है, जिसमें कंप्यूटर होना बहुत जरूरी है। इन मूलभूत जरूरतों के अभाव के कारण छात्रों में रोष है कि वो परीक्षा कैसे पास करेंगे? पुस्तकें उपलब्ध न होने के कारण छात्र चिंता में है, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन लाइब्रेरी खोलने को तैयार नहीं है।
आइसा के सचिव सोनू यादव ने छात्रों को जबरन धरने से उठाने और उनके साथ बदसलूकी की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि छात्र अपने मूलभूत मांग लाइब्रेरी को लेकर आंदोलनरत थे लेकिन विश्वविद्यालय का इस तरह का रवैया शर्मनाक है। पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष प्रत्याशी शक्ति रजवार के साथ सुरक्षागार्ड ने हाथापाई की, उनका कॉलर खिंचा जिसके कारण वो जमीन पर गिर गए। बाकी छात्रों के साथ भी इसी तरह का रवैया अपनाया गया।
उन्होंने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन का अपने छात्रों के प्रति इस तरह का रवैये से पता चलता है कि विश्वविद्यालय कैंपस में लोकतांत्रिक मूल्य पूरी तरह नष्ट हो गए हैं, इसी कारण पठन-पाठन का स्तर भी नीचे गिर रहा है, जो बहुत ही गम्भीर बात है।
आइसा इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा केंद्रीय लाइब्रेरी खोलने को लेकर चलाये जा रहे धरने में आज प्रशासन धक्का-मुक्की पर उतर आया। छात्रों से बदतमीजी की।
साल भर से छात्र अपनी लाइब्रेरी जा नही पाये हैं। कई परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं। ऐसे में लाइब्रेरी, कैम्पस उनकी बुनियादी जरूरत है। pic.twitter.com/OT7rdytM7q
— AISA (@AISA_tweets) March 19, 2021
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पुनीत सेन की रिपोर्ट