अमन गुप्ता
केंद्र सरकार की शिक्षा विरोधी नीतियों के खिलाफ दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ, दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ और दिल्ली कर्मचारी संघ ने बुधवार को दिल्ली में विशाल धरने व मार्च का आयोजन किया। विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों ने इस मार्च की अगुवाई की। मार्च मंडी हाउस गोल चक्कर से शुरू होकर संसद मार्ग तक गया, जहाँ एक सभा का आयोजन किया गया। दिल्ली विश्वविद्यालय के इस मार्च और धरने को जेएनयू, जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का समर्थन मिला।
इस विशाल मार्च में तीन हजार से ज्यादा छात्र, शिक्षक शामिल हुए। शामिल छात्रों ने सरकार पर शिक्षा को बर्बाद करने, शिक्षा का निजीकरण करते हुए अमीरों के पक्ष में नीति निर्माण करने का आरोप लगाया। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के शोध छात्र हसन अली ने कहा कि सरकार की नीतियां पूरी तरह से बाजार के हवाले से कर दी गईं हैं जिससे एक आम छात्र का पढ़ आना मुश्किल होता जा रहा है।
डूटा के आवाहन पर जुटे शिक्षकों-छात्रों ने यूजीसी से हाल ही में लिए गए सभी निर्णय वापस लेने की मांग की। छात्रों का कहना है कि यूजीसी छात्र विरोधी रवैया अपना कर धीरे-धीरे सभी शैक्षणिक संस्थानों की स्वायत्तता से खिलवाड़ कर रही है।
स्वायत्ता के सवाल पर डीऊ के गार्गी कॉलेज में पढ़ने वाली राबिया का कहना है कि इसका मतलब है कि विश्वविद्यालय अपने हिसाब से फीस बढ़ोतरी कर सकते हैं और पाठ्यकृम निर्धारित कर सकते हैं। इसका सीधा सा मतलब है कि विश्वविद्यालयों में ऐसे कोर्स पढाये जाएंगे जो संस्थान को लाभ पहुंचा सकें।
डीयू द्वारा आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में जेएनयू की तरफ से जेएनयूएसयू की अध्यक्ष गीता कुमारी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष] जामिया इस्लामिया के छात्र प्रतिनिधि और डीयूएसयू के अध्यक्ष रॉकी कुमार भी शामिल रहे। छात्रों-शिक्षकों और कर्मचारियों के सम्मिलित विरोध को विभिन्न राजनीतिक दलों का समर्थन भी मिला।
संसद मार्ग पर आयोजित सभा में वृंदा करात, सलीम अली, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, सुष्मिता देव और कृष्णा तीरथ ने छात्रों को सम्बोधित किया और हर प्रकार के समर्थन का ऐलान किया। विरोध मार्च की शुरुआत में शरद यादव भी शामिल हुए।
सलीम अली ने कहा कि भाजपा के एक नेता कहते हैं कि सड़क को संसद में मत लाओ, लेकिन हम कहते हैं कि अगर सड़क संसद में नहीं आ सकती तो संसद को सड़क पर आ जाना चाहिए।