05 अक्टूबर को इजराइल बैक प्रोग्राम जामिया मिल्लिया इस्लामिया के अंसारी ऑडिटोरियम में हुआ। जिसका विरोध आइसा और एक वाम संगठन ने किया। विरोध प्रदर्शन खत्म होने के बाद जामिया प्रोक्टोरियल स्टाफ के द्वारा विरोध कर रहे विद्यार्थियों के साथ बदसलूकी की गयी। जामिया एडमिन ने अपने स्टाफ के विरुद्ध कारवाई करने की जगह पांच छात्रों को कारण बताओ नोटिस भेजा।
इस प्रदर्शन को प्रॉक्टोरियल स्टाफ द्वारा पहले तितर बितर किया गया फिर दो छात्रों को उठाकर पीटा और छेड़छाड़ करते हुए, और प्रॉक्टर के कार्यालय परिसर के अंदर बंद कर दिया गया.
जिसके बाद छात्रों का प्रदर्शन तेज हो गया और कैद किये गये छात्रों को छोड़ दिया गया. किन्तु अब इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन ने पांच छात्रों को नोटिस जारी किया है.
प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि उनकी ओर से कोई भी हिंसा नहीं हुई है . जो कुछ हुआ वो सब सीसीटीवी कैमरे में कैद है. किन्तु यूनिवर्सिटी प्रशासन ने तानाशाही रुख अपना कर यह नोटिस जारी किया है.
गौरतलब है कि जामिया प्रशासन का यह रवैया ऐसे समय में प्रदर्शित हो रहा है, जब देश भर के विभिन्न संस्थानों को सरकार निशाने पर ले रही है। हाल ही वर्धा से 06 छात्रों को प्रधानमंत्री को पत्र लिखने के लिए निष्काषित कर दिया गया है।
जामिया से प्रतिरोध की आवाज़ को खत्म करने की लगातार कोशिश हो रही है। इससे पहले कई छात्रों के घर फ़ोन कर धमकाने की कोशिश भी जामिया एडमिन के द्वारा की गई है।