केजी सुरेश के राज में IIMC फिर सुलगा, हॉस्टल के मुद्दे पर उभरा छात्र-छात्राओं का साझा संघर्ष

अमन गुप्ता 

देश में पत्रकारिता के प्रतिष्ठित केंद्र दिल्ली के भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) का परिसर थोड़े समय तक शांत रहने के बाद नए सत्र में एक बार फिर से सुलग रहा है। छात्रों के हॉस्टल का पुराना मसला जो तीन साल पहले प्रशासन ने हल कर दिया था, इस बार फिर से विवाद की जड़ में है जिसे लेकर गुरुवार को छात्रों ने तख्तियां लेकर परिसर के भीतर प्रदर्शन किया। धरने पर बैठे छात्रों की पहले सुरक्षाकर्मियों से झड़प हुई, फिर मामले को बढ़ता देख प्रशासन ने पुलिस को बुला लिया। मीडियाविजिल को छात्रों और सुरक्षाकर्मियों के बीच गुरूवार को हुई झड़प का वीडियो हासिल हुआ है।

इस सत्र में हो रहे प्रदर्शन की खासियत यह है कि इसमें छात्राओं की भी बराबर भागीदारी है। दरअसल, प्रशासन का कहना है कि संस्थान में इस बार छात्राओं की संख्या ज्यादा है और उनकी सुरक्षा का मसला महत्वपूर्ण है, इसलिए छात्रों को हॉस्टल की सुविधा नहीं दी जा सकती। प्रदर्शनरत छात्रों की मानें तो उन्‍होंने जब संस्थान में छात्राओं की संख्या की जानकारी हासिल की तो पता चला कि पिछले साल के मुकाबले इस साल लड़कियों की संख्या कम है। बावजूद इसके इस सत्र की शुरुआत से पहले ही छात्रों के हॉस्टल को बंद कर उसे लड़कियों के लिए आरक्षित कर दिया गया।

यह बात छात्राओं को भी नागवार गुज़री है कि उनका बहाना बनाकर प्रशासन छात्रों को आवास सुविधा से महरूम कर रहा है। लिहाजा छात्राओं ने भी छात्रों का इस संघर्ष में साथ देने का फैसला किया और उन्‍होंने दिलली में पिछले दिनों हुए सिविल सोसायटी के एक आंदोलन ने नारा उठा लिया- Not in my name! छात्राओं का कहना है कि वे परिसर के भीतर सुरक्षित हैं और उनके नाम की आड़ लेकर प्रशासन अपना निर्णय छात्रों पर न थोपे। संस्‍थान के हालिया इतिहास में ऐसा पहली बार है जब छात्राएं पहली बार छात्रों के साथ किसी संघर्ष में जुड़ी हैं।

दिसम्बर में महानिदेशक को सौंपा गया छात्रों का पहला मांगपत्र

सत्र की शुरुआत से ही छात्र अपनी मांगें लेकर प्रशासन के पास जाते रहे हैं। उन्होने अपना मांगपत्र संस्थान के जिम्मेदार पदाधिकारियों को दिया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। गुरुवार को एक बार फिर जब छात्र डीजी से मिलने गए तो उन्होंने छात्रों को मिलने से मना कर दिया जिससे गुस्साए छात्र परिसर के भीतर ही धरने पर बैठ गए। पहले तो छात्रों को समझाने की कोशिश की गई लेकिन छात्रों ने मांगें न माने जाने तक ऐसा करने से मना कर दिया।

परिसर में पुलिस

हिंदी पत्रकारिता विभाग के छात्र श्याम ने मीडियाविजिल से कहा कि संस्थान के कुछ छात्रों ने संस्थान के डीजी केजी सुरेश से कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन उनकी तरफ से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। श्याम ने बताया कि उनके सहपाठियों को अकेले में बुलाकर धमकाया जा रहा है और श्‍याम के खिलाफ़ भड़काया जा रहा है। मीडियाविजिल ने डीजी केजी सुरेश से बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।

हॉस्टल के अलावा लाइब्रेरी को लेकर भी छात्रों और प्रशासन में तनी हुई है। छात्रों की शिकायत है कि लाइब्रेरी रीडिंग रूम में समय बिताने का उन्‍हें मौका ही नहीं मिलता। छात्रों का कहना है कि सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक उनकी क्लास और लैब का काम होता है और लाइब्रेरी 7.30 पर बंद हो जाती है, ऐसे में वे लाइब्रेरी का उपयोग कब करें? छात्रों के मुताबिक इस मसले पर प्रशासन का जवाब है कि परिसर में केवल लड़कियां रहती हैं, ऐसे में लडकों का ज्यादा देर तक परिसर में रुकना असुरक्षा को बढ़ा सकता है। इस कारण 24*7 लाइब्रेरी रीडिंग रूम की मांग कोई आधार नहीं है।

बीते 18 जनवरी को छात्रों ने महानिदेशक सुरेश को एक अल्टीमेटम दिया जिसका विषय था: “पुराने एप्लिकेशंस (हॉस्टल, लाइब्रेरी, आरटीवी की क्लास वाला मुद्दा) केलिए अंतिम रिमाइंडर”, जिसका प्रशासन की तरफ से कोई जवाब नहीं आया जिसके चलते छात्रों को धरना प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ा.

छात्रों का महानिदेशक को अल्टीमेटम

मीडियाविजिल ने पिछले सत्र के समापन पर जून 2017 में पुरुष छात्रावास के बोर्ड पेंट से रंगे जाने की ख़बर दी थी और छात्रावास सुविधा अगले सत्र से खत्‍म किए जाने का अंदेशा जताया था। छात्रों के लिए छात्रावास का अधिकार पूर्व छात्रों के तगड़े संघर्ष के बाद यूपीए सरकार में बहुत मुश्किल से हासिल हुआ था। IIMC में पहले छात्रों और छात्राओं के लिए छात्रावास हुआ करते थे लेकिन बीच के कुछ वर्षों में छात्रों के लिए यह सुविधा खत्‍म कर दी गई थी। कुछ साल पहले पूर्व छात्रों ने जब इस मुद्दे को लेकर आवाज़ उठायी और सुनित टंडन के कार्यकाल में आंदोलन हुआ, तब जाकर यह सुविधा दोबारा बहाल की गई थी।

IIMC में पुरुष छात्रावास पर ख़तरा, पूर्व छात्रों के आंदोलन से हासिल सुविधा पर प्रशासन ने फेरा पेंट

संस्थान ने आचार संहिता के नाम पर छात्रों के अधिकारों को पहले ही सीमित कर दिया है। छात्र किसी भी प्रकार से संस्थान के विरोध में बाहर किसी भी माध्यम से नहीं लिख सकते। पिछले सत्र में एक छात्र रोहिन वर्मा को सोशल मीडिया में लिखने के कारण निलंबित किया गया था जिसका भारी विरोध हुआ था और संस्थान को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा था।

‘राष्‍ट्रीय पत्रकारिता’ की कक्षा से निकलते मनोविश्‍लेषण के कुछ अहम सबक: संदर्भ IIMC

केंद्र में 2014 में सरकार बदलने और संस्‍थान में केजी सुरेश के आने के बाद से ही संस्‍थान विवादों में लगातार घिरा रहा है। पिछले सत्र में एक शिक्षक और वरिष्‍ठ पत्रकार अमित सेनगुप्‍ता को निकाले जाने को लेकर कुछ बवाल हुआ था। फिर एक छात्र को निलंबित किया गया। इसके बाद यहां दलित उत्‍पीड़न का सवाल उठा। कुछ महीने पहले यहां बस्‍तर के कुख्‍यात पुलिस अधिकारी पूर्व आइजी एसआरपी कल्‍लूरी आए थे और संस्‍थान में वैदिक विधि से यज्ञ हुआ, तो संस्‍थान की मीडिया में काफी चर्चा हुई थी।

मीडिया के भगवाकरण की सिफारिशों का केंद्र बनने जा रहा है IIMC

इस घटना के बाद संस्‍थान में महीने भर के भीतर चार बार सूचना अधिकारी बदले गए। 2016-17 के सत्रावसान पर बाबासाहब डॉ. भीमराव छात्रावास के बोर्ड और साइनबोर्ड से ‘पुरुष’ को पेंट कर के मिटाया गया, तब मीडियाविजिल ने अपनी खबर में लिखा था, ”गनीमत है कि इस वक्‍त सत्र खत्‍म हो चुका है, लेकिन अगर तस्‍वीर पर लिखी इबारत को सच मानें तो सवाल उठता है कि नए सत्र में दूरदराज़ से आए छात्रों का क्‍या होगा, जिन्‍होंने छात्रावास सुविधा देखते हुए ही यहां आवेदन किया था।” मीडियाविजिल की आठ महीने पहले जतायी आशंका अब सच हो रही है।

 

First Published on:
Exit mobile version