गया कांड में पीडि़ता और उसके परिजनों को इंसाफ दिलवाने के लिए उठी BHU से छात्रों की आवाज़

हफ्ते भर पहले बिहार के गया में एक किशोरी का क्षत-विक्षत शव पाया गया था जिसके बाद पूरा शहर भड़क उठा था

बनारस हिंदू विश्‍वविद्यालय के छात्रों के संगठन स्‍टूडेंट्स फॉर चेंज ने बिहार के गया में 16 वर्षीय एक किशोरी के साथ पिछले दिनों हुई त्रासद घटना के संबंध में आवाज़ उठायी है। शनिवार को एसएफसी के छात्रों ने इस मामले में निष्‍पक्ष न्‍याय दिलवाने और किशोरी के माता-पिता को पुलिस हिरासत से रिहा करने की मांग उठाते हुए केंडिल मार्च निकाला।

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ध्‍यान रहे कि हफ्ते भर पहले 6 जनवरी को बिहार के गया में एक किशोरी का क्षत-विक्षत शव पाया गया था जिसके बाद पूरा शहर भड़क उठा था। बीते हफ्ते का घटनाक्रम इस मामले में कुछ यूं रहा:

28 दिसंबर: किशोरी की गुमशुदगी की खबर आई

4 जनवरी: स्‍थानीय मीडिया के दबाव से गुमशुदगी की एफआइआर दर्ज

6 जनवरी: सुबह एक खेत में एक शव पाया गया जिसका सिर कटा हुआ था और पहचान छुपाने के लिए उस पर तेजाब डाला गया था, स्‍तन कटे हुए थे, हाथ शरीर से अलग था। कई बार सामूहिक बलात्‍कार का संदेह, मेडिकल रिपोर्ट से पुष्टि होना बाकी।

9 जनवरी: दोपहर 3 बजे दस हजार से ज्‍यादा लोगों ने पटवाटोली से गया चौक तक कैंडिल मार्च निकाला

9 जनवरी: मार्च के बाद शाम को पुलिस ने पीडि़ता के परिवार को घर से उठा लिया, हिरासत में रखा और पिटाई की

11 जनवरी: पीडि़ता की मां और बहन रिहा, उन पर झूठा बयान देने का दबाव बनाया जा रहा था

इस मामले में पुलिस मीडिया को गुमराह कर रही है। पुलिस ने पांच बरस के यूकेजी में पढ़ने वाले एक बच्‍चे से जबरन बयान लिया और बिना किसी मेडिकल या फॉरेंसिक रिपोर्ट के कथित तौर पर केस को हल कर लिया और निष्‍कर्ष दिया कि मामला इज्‍जत के नाम पर की गई हत्‍या का है।

पटवाटोली, गया में भय का माहौल है। पुलिस दोषियों को बचाने के लिए सुबूत को खत्‍म करने की कोशिश कर रही है। पीडि़ता की बहन ने कहा है कि उसे जेल का डर दिखाकर गलत बयान देने को बाध्‍य किया जा रहा था।  

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