पूर्व केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय के हैदराबाद विश्वविद्यालय (यूओएच) में युनिवर्सिटी कोर्ट के सदस्य के रूप में नामांकन ने अंबेडकर छात्र संघ (एएसए) सहित समूचे परिसर में एक बार फिर असंतोष पैदा कर दिया है। दत्तात्रेय रोहित वेमुला की मौत के आरोपी हैं, ऐसे में युनिवर्सिटी कोर्ट के सदस्य के रूप में उन्हें नामित किया जाना छात्रों को स्वीकार्य नहीं है।
27 मार्च को दिए आदेश में लोकसभा अध्यक्ष ने लोकसभा के तीन सदस्यों- बंडारू दत्तात्रेय, गोकाराजू रंगाराजू और कोंडा विश्वेश्वर रेड्डी को युनिवर्सिटी कोर्ट के सदस्य के रूप में नामित किया है। युनिवर्सिटी कोर्ट में विभागों के प्रमुख, डीन, उप-कुलपति और लोकसभा सदस्य शामिल होते हैं। इस समिति का काम विश्विद्यालय से जुड़े आतंरिक कामों की निगरानी करना होता है।
दत्तात्रेय के नामांकन पर कड़ी आपत्ति जताते हुए एएसए ने लोकसभा के फैसले की निंदा की है। उन्होंने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री यूओच के शोध छात्र रोहित वेमुला की मौत के मामले में आरोपी थे, जिसने जनवरी 2016 में जातिगत भेदभाव का आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली थी। उसे आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए दत्तात्रेय और अन्य के खिलाफ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे।
दत्तात्रेय ने तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को विश्वविद्यालय के मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए लिखते हुए कहा था कि विश्वविद्यालय ‘जातिवादी, अतिवादी और राष्ट्र-विरोधी राजनीति का अड्डा’ बन गया था। उन्होंने शिकायत की थी कि एएसए के छात्रों ने याकूब मेमन पर हुए फैसले के खिलाफ एक सभा आयोजित की थी और एबीवीपी के पूर्व अध्यक्ष सुशील कुमार के इस पर आपत्ति जताने पर उसे मार दिया गया था।
इसके जवाब में, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और हैदराबाद विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच कई पत्रों का आदान-प्रदान किया गया, जिसके परिणामस्वरूप आखिर में पांच दलित एएसए छात्रों को हॉस्टल से निष्कासित कर दिया गया। साथ ही उन पर कई प्रतिबंध लगाए गए। सार्वजनिक स्थानों पर इकट्ठा होने, चर्चाओं का हिस्सा बनने और छात्र चुनाव में भाग लेने पर प्रतिबंध इनमें शामिल था।
निष्कासित छात्रों में रोहित वेमुला, दोंथा प्रशांत, सुनकन्ना वेल्पुला, विजय पेडापुड़ी और सेशु थे। निष्कासित छात्रों ने विरोध का मोर्चा खोलते हुए निष्कासन आदेश को निरस्त करने के लिए लगातार आंदोलन किया। लगभग एक महीने बाद भी जब इस विरोध प्रदर्शन का कोई परिणाम नहीं निकला, तो 17 जनवरी 2016 को रोहित ने परिसर में फांसी लगा ली। उसकी आत्महत्या के परिणामस्वरूप भाजपा सरकार, बंडारू दत्तात्रेय, स्मृति ईरानी और हैदराबाद विश्वविद्यालय के उप-कुलपति पी अप्पा राव के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी भाजपा विरोधी आंदोलन खड़ा हुआ।