आरक्षण विरोधी ‘रोस्टर’ के ख़िलाफ़ हल्ला बोल! मोदी सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम!

20 अप्रैल 2018 को दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित ‘सामाजिक न्याय युवा सम्मलेन’ में देश भर के दर्जनों विश्वविद्यालयों से छात्र प्रतिनिधियों और जनप्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. सर्व-सम्मति से यह मांगपत्र तैयार किया गया. एक लोकतांत्रिक राज्य की कल्याणकारी अवधारणा में यह शामिल है कि वह अपने सभी नागरिकों को उच्च शिक्षा के सामान अवसर उपलब्ध कराये. जबकि आज़ादी के सात दशकों बाद भी उच्च शिक्षा की स्थिति बदहाल होती जा रही है. राज्य अपनी भूमिका को धीरे धीरे समाप्त करके सब कुछ निजी हाथों में बेचने पर आमादा है. इसका सबसे गहरा असर देश के बहुसंख्यक वंचित-शोषित तबके पर पड़ेगा. साल 2018 के मार्च महीने में सरकार की दो घोषणाओं ने उच्च शिक्षा की बर्बादी पर मुहर लगा दी. इसमें पहला आरक्षण विरोधी विभागवार रोस्टर और दूसरा कई विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता किये जाने का फैसला. सरकार के इन निर्णयों के खिलाफ़ देश भर में व्यापक पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.

हमारी माँग है कि-

  1. 5 मार्च 2018 को UGC द्वारा जारी आरक्षण विरोधी विभागवार रोस्टर को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए.
  2. देश के सभी विश्वविद्यालयों में स्वीकृत सभी रिक्त पदों पर संवैधानिक आरक्षण प्रक्रिया के तहत तत्काल स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जाए.
  3. देश के सभी विश्वविद्यालयों में आरक्षित पदों के ‘शार्टफ़ॉल’ और ‘बैकलॉग’ पदों को विज्ञापित करके उन पर तत्काल स्थाई नियुक्ति की जाय.
  4. एम.फिल. व पीएच.डी. के प्रवेश में लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के अकों का प्रतिशत क्रमशः 70:30 किया जाए और संवैधानिक आरक्षण प्रक्रिया के पालन के साथ निष्पक्ष प्रवेश प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित किया जाए.
  5. सार्वजनिक वित्त-पोषित विश्वविद्यालयों पर ग्रेडेड स्वायत्तता जैसी निजीकरण की नीतियों को तत्काल वापस लिया जाये.
  6. शिक्षा का बजट कुल बजट का छठवाँ हिस्सा किया जाये.

उक्त मांगों से सम्बंधित सरकारी निकायों को हमारी स्पष्ट चेतावनी है कि यदि 15 दिन के भीतर इन सभी मसलों पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गयी, तो सभी छात्र और शिक्षक एक देशव्यापी आन्दोलन खड़ा करके अपनी मांगें मनवाने के लिए बाध्य होंगे.

 

सम्मेलन में जो हुआ-

देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों के छात्रसंघ अध्यक्ष, विधायक जिग्नेश मेवानी, विधायक पंकज पुष्कर, सांसद धर्मेंद्र यादव, सांसद जनाब अली अनवर और मंडल मसीहा, दलित, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों की आवाज़ श्री शरद यादव ने 2019 में दलित,पिछड़े, अल्पसंखयक और महिला विरोधी मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान।

दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के लिए विश्वविद्यालयों की नियुक्ति में आरक्षण समाप्त किये जाने पर आखिर शरद यादव, जिग्नेश मेवानी और अली अनवर ने दिल्ली विश्वविद्यालय में अपना विरोध दर्ज करते हुए, नए रोस्टर व्यवस्था को तत्काल वापस लेने की मांग की।

शुक्रवार, 20 अप्रैल, 2018 को दिल्ली विश्वविद्यालय के आर्ट्स फैकल्टी के गेट नं 4 पर हो रहे “सामाजिक न्याय का युवा सम्मेलन” में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष सहित जेनयू, जामिया, एएमयू, इलाहबाद सहित 12 विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष या अन्य पदाधिकारी / प्रतिनिधि शामिल हुए।

रोस्टर पर हमारे संघर्ष को समझने के लिए पहले इतना समझ लें कि इस व्यवस्था से देश के तमाम विश्वविद्यालयों में फैकल्टी नियुक्ति में OBC, SC, ST आरक्षण को समाप्त कर दिया गया है।
यह कैसे हुआ इसको इस तरह से जानें :

‘रोस्टर’ क्या है?

रोस्टर पद की स्थिति (Position) बताने वाला सूत्र-क्रम है l यह रोस्टर अमूमन कम/क्रीम उच्च पदों की स्थिति (Position) को बताता है l जैसे किसी विश्वविद्यालय/विभाग में 2 पद ज्ञापित हुआ l इसमें Unreserved(Genaral), OBC, SC, ST किसका यह पद है l यह निर्धारण ‘रोस्टर’ से होता है l

200 प्वाईंट रोस्टर 13 प्वाईंट रोस्टर की संकल्पना:

200 प्वाईंट रोस्टर–

इसका अर्थ है कि 200 पद तक रोस्टर क्रमवार चलेगा, उसके बाद पुनः 1 से शुरू होकर 200 पद तक जाएगा l इसमें आरक्षण प्रावधान के अनुपात में पद तय होते हैं;जैसे- Unreserved(Genaral)-49.5% OBC-27%, SC-15%, ST-7.5 l इसी अनुपात में पद भी तय होते हैं l

200 प्वाईंट्स में पद कैसे तय होता है l इसमें सबसे पहले विश्वविद्यालय को यूनिट माना जाता है l उस विश्वविद्यालय के सभी विषयों को A से Z तक अल्फ़ा बेटिकट सभी पदों को एक साथ 200 तक जोड़ लिया जाता है l उसके बाद इन 200 पदों को रोस्टर के हिसाब से आवंटित किया जाता है;जैसे-
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1. Unreserved(General) 2. UR 3. UR 4. OBC 5. UR 6. UR 7. SC 8. OBC 9. UR 10. UR 11. UR 12. OBC 13. UR 14. ST
15. UR 16. UR 17. UR 18. OBC 19. UR 20. UR 21. SC 22. OBC 23 UR 24. UR 25. UR 26. OBC 27. UR 28. ST…………

यह क्रम 200 पद तक चलता है l 200 प्वाईट के बाद पुनः 1 नम्बर से पद क्रम शुरू होता है l इसमें विश्वविद्यालय को यूनिट माना जाता है l विश्वविद्यालय के सभी विषयों को एक साथ जोड़ लिया जाता है l

अब 13 प्वाइंट रोस्टर:

इस 13 प्वाइंट रोस्टर में ‘विभाग’ को यूनिट माना जाता है l 14 पद के बाद पुनः 1 से पद को गिना जाता है l इसमें…
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1. Unreserved(General) 2. UR 3. UR 4. OBC 5. UR 6. UR 7. SC 8. OBC 9. UR 10. UR 11. UR 12. OBC 13. UR 14. ST…
अब 14 के बाद 1 नम्बर से पुनः शुरू हो जायेगा
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1. Unreserved(Genaral) 2. UR 3. UR 4. OBC 5. UR 6. UR 7. SC 8. OBC 9. UR 10. UR 11. UR 12. OBC 13. UR 14. ST…

200 प्वाईंट और 13 प्वाईंट के अंतर को यहीं समझिए l 200 प्वाईंट में कटेगरीवाईज पद 200 नम्बर तक जायेगा l 13 प्वाईंट में 14 के बाद पुनः 1 नम्बर से रोस्टर शुरू हो जाएगा l इसको और विस्तार से समझिए कि इस देश के किसी भी विभाग में 14 सीट कभी आएगी नहीं l जब भी विभाग में पद ज्ञापित होगा तो 1 या 3 या 4 या 6 पद l इस स्थिति में सबसे पहले 3 पद UR होंगे l उसके बाद 4rth पॉजीसन OBC होगी l पुनः 5,6, नम्बर का पद UR का है l 7 नम्बर का पद SC का है l 8वां पद OBC का है l 9,10,11 नंबर का पद UR है l 12 नम्बर का पद OBC का है l 13वाँ पर पुनः UR हो जायेगा l 14वें नम्बर का पद ST के लिए रिज़र्व होगा l उसके बाद पुनः 1 नम्बर से गिनती शुरू हो जायेगी l

इस तरह 13 प्वाईंट रोस्टर के खतरे….

1. विभाग को यूनिट मानने पर कभी भी एक साथ 14 पद नहीं आएंगे l ST/SC के लिए एक पद भी नहीं मिल पायेगा l आप सोचिये कि JNU, DU, AU, AMU, BHU, HCU में कितने ऐसे विभाग हैं जिसमें मात्र एक या दो या अन्तिम तीन प्रोफेसर ही विभाग को संचालित करते हैं l वहाँ कभी भी ST/SC/OBC की न्युक्ति हो ही नहीं सकती l

2. विभाग बहुत चालाकी से 1 या 2 या 3 पद निकलता है l जिस स्थिति में सबसे पहली हत्या तो ST की होती है, उसके बाद SC की उसके बाद, OBC की l

3. विभाग को यूनिट मानने के बाद कितने साल बाद ST का नम्बर आएगा, फिर SC का नंबर आएगा, फिर OBC का नंबर आएगा इसका अन्दाज ही नहीं लगाया जा सकता l 200 प्वाइन्ट रोस्टर से पहले 13 प्वाईंट रोस्टर था l इसी कारण OBC,SC,ST प्रोफेसर खोजने से भी नहीं मिलते हैं l सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश में 2015 में यही 13 प्वाईंट रोस्टर लागू किया गया था जिस कारण 84 असिस्टेंट प्रोफेसर पद में ST-SC का एक भी पद नहीं आया थाlO BC का एक मात्र पद आया थाl

200 और 13 प्वाइंट में जो सबसे ध्यान देने वाली प्वाईंट है कि 13 प्वाइंट रोस्टर में 14 नम्बर के बाद पुनः 1,2,3,4, शुरू हो जाता है l जो 14 नम्बर पर जाकर पुनः समाप्त हो जाता हैl

जबकि 200 प्वाइंट रोस्टर में 1 नम्बर से पद शुरू होकर 200 नम्बर तक जाता है l इस 200 नम्बर के बाद पुनः 1,2,3,4,5,6,7 से क्रम शुरू होता है और 200 नम्बर तक जाता है l इस स्थिति में अनिवार्य रूप से ST,SC,OBC का पद क्रम आता है l इस 200 प्वाइंट रोस्टर में UGC, VC को अनिवार्य रूप से विश्वविद्यालय को ‘इकाई’ मानना पड़ता है l इस स्थिति में ST,SC,OBC के साथ लोकतंत्रीय, समाजिक और संवैधानिक न्याय होता है l हमें इसी 200 प्वाईंट रोस्टर के लिए तब तक लड़ना है जब तक इसे इस देश सभी विश्वविद्यालयों में लागू कर दिया जाए।

हमारी मांग यह है कि 200 पॉइंट रोस्टर को पुनः बहाल किया जाये। इसके लिए सरकार अध्यादेश लाये।

इसी तरह दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों में कार्यरत तमाम एडहॉक शिक्षकों की नौकरी बचेगी, जुलाई में उन्हें पुनः नियुक्ति पत्र प्राप्त होगी और स्थाई नियुक्ति की गुंजाईश बनी रहेगी, अन्यथा वे नौकरी से बाहर हो जायेंगे।

चाल,चरित्र और चेहरा की सरकार ने चली चाल 

जब तक प्रोग्राम चल रहा था, विश्वविद्यालय सामाजिक न्याय पक्ष के लोगों को दिग्भ्रमित करने के लिए एक पत्र जारी किया।
दरअसल, यूजीसी के चिट्ठी का कोई मतलब नहीं।
जंग जारी रहे।
तब तक के लिए शिक्षक एकता ज़िंदाबाद, सामाजिक न्याय ज़िंदाबाद।
जय मंडल, जय अम्बेडकर, जय भारत।

#Save_Education_Save_Constitution_Save_Nation

इस आंदोलन में  सक्रिय भूमिका निभा रहे लक्ष्मण यादव और यादव सूरज की फ़ेसबुक दीवार से साभार।



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