सबसे बड़े लोकतंत्र की राजधानी दिल्ली की घेरेबंदी का आज 73 वाँ दिन है और किसानों के समर्थन में आवाज़ें तेज़ होती जा रही हैं। भारत के 75 पूर्व नौकरशाहों ने किसानों के समर्थन में मोदी सरकार के नाम एक खुला पत्र जारी किया है। इस पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार इस मामले का समाधान करना ही नहीं चाहती।
सूचना के अधिकार के लिए दुनिया भर में पहचानी गयीं अरुणा रॉय, दिल्ली के उपराज्यपाल रहे नजीब जंग और मशहूर पुलिस अफसर रहे जूलियो रिबेरियो समेत 75 पूर्व नौकरशाहों के हस्ताक्षर से जारी पत्र में कहा गया है कि “गैर–राजनीतिक किसानों को ऐसे गैर–जिम्मेदार प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जा रहा है जिनका उपहास किया जाना चाहिए, जिनकी छवि खराब की जानी चाहिए और जिन्हें हराया जाना चाहिए.” ये सभी पूर्व नौकरशाह ‘कॉंस्टिट्यूश्नल‘ कंडक्ट ग्रुप (सीसीजी) के हिस्सा हैं।
पत्र में कहा गया है कि अगर भारत सरकार वाकई मैत्रीपूर्ण समाधान चाहती है तो उसे आधे मन से कदम उठाने के बजाए कानूनों को वापस ले लेना चाहिए और फिर संभावित समाधान के बारे में सोचना चाहिए। पत्र में लिखा है कि ‘‘सीसीजी में शामिल हम लोगों ने 11 दिसंबर, 2020 को एक बयान जारी कर किसानों के रुख का समर्थन किया था। उसके बाद जो कुछ भी हुआ, उसने हमारे इस विचार को और मजबूत बनाया कि किसानों के साथ अन्याय हुआ है और लगातार हो रहा है।’’
पूर्व नौकरशाहों ने भारत सरकार से अनुरोध किया कि वह देश में पिछले कुछ महीनों से इतनी अशांति पैदा करने वाले मुद्दे के समाधान के लिए ‘सुधारात्मक कदम‘ उठाय़े। पत्र में कहा गया है, ‘‘हम आंदोलनकारी किसानों के प्रति अपने समर्थन को मजबूती से दोहराते हैं और सरकार से आशा करते हैं कि वह घाव पर मरहम लगाते हुए मुद्दे का सभी पक्षों के लिए संतोषजनक समाधान निकालेगी।’’
पूर्व नौकरशाहों का कहना है कि वे लोग ‘‘26 जनवरी, 2021 को गणतंत्र दिवस के घटनाक्रम जिसमें किसानों पर कानून–व्यवस्था को भंग करने का आरोप लगाया गया, और उसके बाद की घटनाओं को लेकर विशेष रूप से चिंतित हैं।’’
पूर्व नौकरशाहों ने सवाल किया है कि तथ्यों के स्पष्ट होने से पहले महज कुछ ट्वीट करने के आधार पर विपक्षी दल के सांसद और वरिष्ठ संपादकों और पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह का मामला क्यों दर्ज किया गया है? उन्होंने पत्र में कहा है कि सरकार के खिलाफ विचार रखना या प्रदर्शित करना, या किसी घटना के संबंध में विभिन्न लोगों द्वारा दिए गए अलग–अलग विचारों की रिपोर्टिंग करने को कानून के तहत देश के खिलाफ गतिविधि करार नहीं दिया जा सकता।