पात्रा चॉल घोटाले में घिर सकते हैं शरद पवार

 

लगता है महाराष्ट्र की राजनीति में एक और तूफ़ान आने वाला है. सुना जा रहा है कि भा ज पा महाराष्ट्र में अपनी सियासी पकड़ को मजबूत करने के लिए महाराष्ट्र में सियासत के माहिर खिलाड़ी शरद पवार को घेरने की तैयारी में है. वर्तमान सरकार के एक एम एल ए ने उप-मुख्यमत्री देवेन्दर फड़नवीस को एक खत लिखा है, जिसके बाद इस अफवाह को हवा मिलना शुरू हो गई कि इस बार शरद पवार को घेरा जा सकता है

क्या था घोटाला

शिवसेना और एन सी पी वाली सरकार ने जो योजना बनाई थी उसके मुताबिक पात्रा चॉल में रहने वाले 672 किराएदारों को फ्लैट मिलना तय हुआ था, जिसके लिए हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड यानी एचडीआईएल की सहायक कंपनी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन को महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएचडीए) ने कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था. कुल निर्मित फ्लैट्स में से 672 फ्लैट्स किरायेदारों को मिलने थे और 3000 फ्लैट्स एमएचडीए को हैंडओवर किए जाने थे. ये फ्लैट्स 47 एकड़ जमीन पर बनाये जाने थे, जिसमे से बची हुई जमीन को बेचने और डेवेलप करने की योजना थी.

 

लेकिन कॉन्ट्रैक्ट लेने वाली फर्म गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन ने ऐसा नहीं किया. फर्म ने न तो चॉल के लोगों के लिए फ्लैट बनाए और न ही एमएचडीए को कोई फ्लैट दिया. कंपनी ने जमीन आठ अन्य बिल्डरों को 1,034 करोड़ रुपये में बेच दी. इस घोटाले में गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन और हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड यानी एचडीआईएल के लोग शामिल थे. ये कंपनी देश के चर्चित पीएमसी घोटाले में भी शामिल है. कंपनी के डायरेक्टर ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर बैंक कर्मचारियों और अफसरों के साथ मिलकर फर्जी तरीके से लोन लिया. फिर कंपनी के एनपीए को खत्म करने के लिए 250 करोड़ रुपये का फेक डिपॉजिट बैंक में दिखाया गया. इसके बाद बैंक ने फिर से एनपीए वाली कंपनी एचडीआईएल को फ्रेश लोन दे दिया.

और अब भा ज पा विधायक ने खत लिख कर ये मांग की है की घोटाले की जाँच में एन सी पी चीफ शरद पवार का नाम भी होना चाहिए. इस घोटाले में संजय राउत पहले से ही जेल में हैं. ई डी की गिरफ़्तारी के बाद भरसक कोशिशों के बावजूद उन्हें ज़मानत नहीं मिली है. खत लिखने वाले अनिल भाटखेलकर का कहना है कि जिस मीटिंग में ये तय किया गया था कि पात्रा चॉल का काम गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी को देना है, उसमे शरद पवार भी मौजूद थे, और दरअसल वही इस घोटाले के रिंगलीडर हैं. उन्होंने इस “कथित” मीटिंग में तत्कालीन मुख्यमंत्री के शामिल होने का भी दावा किया है. उनका कहना है की मराठी लोगों को अपने घरों से बेदखल करने की इस साजिश में ये सब लोग शामिल थे और इसलिए इन की जांच होनी चाहिए. हो सकता है आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीती एक बार फिर गर्म होकर भभकने लगे.

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