हिंदुत्व विरोधी अमेरिकी सिख, मुस्लिम और दलित प्रवासियों का ऑनलाइन उत्पीड़न- रिपोर्ट

अमेरिका में सिख प्रवासी समेत अन्य अल्पसंख्यक और वंचित समुदाय को ऑनलाइन उत्पीड़न का शिकार होना पड़ रहा है। 20 फरवरी यानी विश्व सामाजिक न्याय दिवस पर, सिख अमेरिकन लीगल डिफेंस एंड एजुकेशन फंड (एसएएलडीईएफ) की ओर एस इस सिलसिले में एक रिपोर्ट जारी की गयी। “वर्चुअली वल्नरेबल: एक्सपोजिंग द ह्यूमन कॉस्ट ऑफ डिजिटल हैरेसमेंट” शीर्षक से जारी की गयी यह  रिपोर्ट ऑनलाइन उत्पीड़न के मामलो के गहन अध्ययन से तैयार की गयी है जो ख़ासतौर पर सिख प्रवासी, धर्मनिरपेक्ष हिंदुओं, भारतीय मुसलमानों और दलितों जैसे संबद्ध समुदायों के उत्पीड़न से जुड़े हैं।

रिपोर्ट बताती है कि 2020 के दशक में हिंदू वर्चस्ववाद का विरोध करने वालों के खिलाफ़ डिजिटल सेंसरशिप काफी बढ़ी है। यह रिपोर्ट अल्पसंख्यकों के हक़ में ऑनलाइन आवाज़ उठाने वालों को चुप कराने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले परिष्कृत तरीकों का विश्लेषण पेश करती यह राष्ट्रीय अखंडता को संरक्षित करने की आड़ में ऑनलाइन सामग्री को सेंसर करने में बिग टेक, विशेष रूप से सोशल मीडिया फर्मों की परेशान करने वाली प्रथाओं को उजागर करती है, जिसके नतीजे में अक्सर समुदाय-आधारित सोशल मीडिया खातों पर प्रतिबंध लगाया जाता है और हटा दिया जाता है।

रिपोर्ट के मुख्य अनुभागों में शामिल हैं:

ऑनलाइन उत्पीड़न और भाजपा आईटी सेल: ऑनलाइन आख्यानों को नियंत्रित करने में भारतीय जनता पार्टी की भूमिका का विश्लेषण।

सिख डायस्पोरा की सेंसरशिप: SALDEF द्वारा महत्वपूर्ण तिथियों और घटनाओं पर गलत सूचना और सिख आवाजों के दमन के रुझानों का दस्तावेजीकरण।

असहमति को शांत करना: इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (आईएएमसी) और हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स (एचएचआर) द्वारा भारतीय मुस्लिम और प्रगतिशील हिंदू समुदायों सहित विभिन्न अल्पसंख्यक समूहों को बदनाम करने के लिए चलाये गये फर्जी सूचना अभियान की जांच करना।

जाति समानता की रक्षा करने में बिग टेक की विफलता: राष्ट्रवादी समूहों द्वारा प्रौद्योगिकी में हेरफेर करके जाति गैरबराबरी के मुद्दों को भटकाना और समानता लैब्स द्वारा जाति समानता के निहितार्थ पर चर्चा।

रिपोर्ट इन महत्वपूर्ण मुद्दों का विवरण देने के अलावा, SALDEF और “वर्चुअली वल्नरेबल” के हमारे सह-लेखक तकनीकी कंपनियों और लोकतंत्र-उन्मुख गैर-लाभकारी संस्थाओं के बीच पारदर्शिता, जवाबदेही और सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नीतिगत सिफारिशों की एक श्रृंखला प्रस्तुत करती है। ये सिफ़ारिशें अंतरराष्ट्रीय सेंसरशिप को कम करने और प्रवासी समुदायों के लिए स्वतंत्र भाषण के अधिकारों का समर्थन करने के लिए तैयार की गई हैं।

रिपोर्ट जारी करत हुए हुए एसएएलडीईएफ के कार्यवाहक कार्यकारी निदेशक कवनीत सिंह ने कहा, “यह रिपोर्ट सिख प्रवासियों के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करने से कहीं आगे जाती है; यह कार्रवाई के लिए एक स्पष्ट आह्वान के रूप में कार्य करती है।  हमें सभी समुदायों के मौलिक मानव और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए डिजिटल क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को तत्काल संबोधित करना चाहिए।”

आईएएमसी के मीडिया और संचार के एसोसिएट निदेशक सफा अहमद ने कहा, “जैसा कि अमेरिकी सरकार में भारत में बढ़ते दमन को लेकर चिंता बढ़ रही है, यह समझना महत्वपूर्ण है कि इस मुद्दे की जड़ें भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों और असंतुष्टों के खिलाफ जारी ऑनलाइन प्लेटफार्मों के दुरुपयोग में हैं। यह रिपोर्ट अमेरिकी सरकार को महत्वपूर्ण सिफारिशें प्रदान करती है कि कैसे भारतीय अमेरिकियों को मोदी शासन की ओर से ऑनलाइन निशाना बनने से बचाया जाए।”

हिंदूज़ फ़ॉर ह्यूमन राइट्स की कार्यकारी निदेशक सुनीता विश्वनाथ ने कहा, ”वर्चुअली वल्नरेबल’  उन घातक तरीकों पर महत्वपूर्ण प्रकाश डालती है, जिनसे अल्पसंख्यक आवाजों के खिलाफ डिजिटल उत्पीड़न का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें हिंदू समुदाय के वे लोग भी शामिल हैं जो धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खड़े हैं। यह रिपोर्ट न केवल इन हानिकारक प्रथाओं को उजागर करती है बल्कि महत्वपूर्ण नीतिगत सिफारिशें भी प्रदान करती है। यह आवश्यक है कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए एक साथ आयें कि डिजिटल प्लेटफॉर्म स्वतंत्र अभिव्यक्ति के स्थान हैं न कि उत्पीड़न के उपकरण।”

देश के अग्रणी दलित नागरिक अधिकार संगठन इक्वेलिटी लैब्स के कार्यकारी निदेशक थेनमोझी सुंदरराजन ने कहा, “वर्तमान में हम जातीय रंगभेद के डिजिटलीकरण, हिंसक दुष्प्रचार अभियान और निगरानी पूंजीवाद के युग को देख रहे हैं जो दक्षिणपंथी अधिनायकवाद द्वारा बढ़ा दिया गया है। जाति-उत्पीड़ित लोगों को विदेशी सरकार के नुमाइंदों के हमले और निशाना बनाये जाने से बगैर डरे अपने समुदायों की वकालत करने का अधिकार है। यह रिपोर्ट बिग टेक, नागरिक अधिकारों की वकालत और असहमति के दमन के बीच संबंधों पर एक आलोचनात्मक नज़र है, और स्वतंत्र और नैतिक डिजिटल स्थानों से संबंधित किसी भी व्यक्ति को इस पर ध्यान देना चाहिए। ”

इस रिपोर्ट को यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

 

 

 

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