तबलीग़ के सिर कोरोना का ठीकरा यानी दिमाग़ में बजबजाती सांप्रदायिक घृणा

भारत सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय 13 मार्च 2020 को कहता है- “कोरोना वायरस से किसी प्रकार का आपात संकट नही है” और 13 मार्च 2020 को ही निजामुद्दीन में जमात आरंभ होता है जो 15 मार्च तक चलकर समाप्त होता है। जिसमें देश-विदेश के 1830 लोग शामिल हुए। इसके ठीक अगले दिन यानि 16 मार्च 2020 को दिल्ली सरकार का सभी धार्मिक स्थलों को बंद करने की अधिसूचना जारी करता है जबकि केंद्र सरकार तब भी सोता रहता है जब तक कि 19 मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन कोविड-19 को वैश्विक महामारी नहीं घोषित करती। इसी बीच 17 मार्च और 18 मार्च 2020 को  रजिस्टर्ड आँकड़े के मुताबिक तिरूपति बाला जी मंदिर में में एक लाख के करीब श्रद्धालुओं ने दर्शन किया। ऐसा ही देश के तमाम मंदिरों मस्जिदों, गुरुद्वारों में प्रतिदिन हजारों देशी-विदेशी लोग दर्शन पूजा अर्चना के लिए आए।

मोदी सरकार की आंख 19 मार्च  को  खुली तो प्रधानमंत्री मोदी टीवी स्क्रीन पर अवतरित हुए फिर उन्होंने देश के तमाम मंदिरों को बंद करने का आदेश जारी करते हुए और 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाकर ताली-थाली बजाकर कोरोना को मात देने का आह्वान किया। 22 मार्च के अगले दिन यानि 23 मार्च से तमाम राज्यों ने अपने अपने यहां के हालात के मुताबिक कर्फ्यू को आंशिक या पूर्ण रूप से जारी रखा।

उपरोक्त बातों को एक साथ एक संदर्भ में जोड़कर देखने पर स्पष्ट हो जाता है कि जब 13 मार्च को खुद भारत सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय कह रहा है कि देश में कोरोना का संकट नहीं है तो 13-15 मार्च तक जमाकत का आयोजन करने वाले मौलाना की क्या गलती है।

बावजूद इसके 23 मार्च 2020 को मौलाना यूसूफ ने एसएचओ को पत्र लिखकर भीड़ को विस्थापित करने की अपील की। अपने पत्र पर सुनवाई न होने के बाद 25 मार्च 20202 को जिस दिन से ऑल इंडिया लॉकडाउन था। मौलाना यूसूफ ने एसएचओ को दुबारा पत्र लिखकर अपनी मांग को दोहराया लेकिन एसएचओ साहेब ने उनके दूसरे पत्र पर भी ध्यान नहीं दिया।

मरकज में शामिल 6 लोगो की 30 मार्च को कोविड-19 से मौत होने के बाद प्रशासन नींद से जागा और सारा ठीकरा मौलाना यूसुफ के सिर फोड़ दिया। इसके बाद सांप्रदायिक हिंदी मीडिया मुसलमान विरोधी एजेंडे में शामिल होकर मुसलिम समुदाय को राष्ट्रद्रोही साबित करने में जुट जाता है।

तबलीगी जमात का स्टेटमेंट

  1. जब ‘जनता कर्फ्यू’ का ऐलान हुआ, उस वक्त बहुत सारे लोग मरकज में थे। उसी दिन मरकज को बंद कर दिया गया। बाहर से किसी को नहीं आने दिया गया। जो लोग मरकज में रह रहे थे उन्हें घर भेजने का इंतजाम किया जाने लगा।
  2. 21 मार्च से ही रेल सेवाएं बन्द होने लगीं। इसलिए बाहर के लोगों को भेजना मुश्किल था। फिर भी दिल्ली और आसपास के करीब 1500 लोगों को घर भेजा गया। अब करीब 1000 लोग मरकज में बच गए थे।
  3. जनता कर्फ्यू के साथ-साथ 22 मार्च से 31 मार्च तक के लिए दिल्ली में लॉकडाउन का ऐलान हो गया। बस या निजी वाहन भी मिलने बंद हो गए। पूरे देश से आए लोगों को उनके घर भेजना मुश्किल हो गया।
  4. प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का आदेश मानते हुए लोगों को बाहर भेजना सही नहीं समझा। उनको मरकज में ही रखना बेहतर था।
  5. 24 मार्च को SHO निज़ामुद्दीन ने हमें नोटिस भेजकर धारा 144 का उल्लंघन का आरोप लगाया। हमने इसका जवाब में कहा कि मरकज को बन्द कर दिया गया है।1500 लोगों को उनके घर भेज दिया गया है। अब 1000 बच गए हैं जिनको भेजना मुश्किल है। हमने ये भी बताया कि हमारे यहां विदेशी नागरिक भी हैं।
  6. इसके बाद हमने एसडीएम को अर्जी देकर 17 गाड़ियों के लिए कर्फ्यू पास मांगा ताकि लोगों को घर भेजा जा सके। हमें अभी तक कोई पास जारी नहीं किया गया।25 मार्च को तहसीलदार और एक मेडिकल कि टीम आई और लोगों की जांच की गई।
  7. 26 मार्च को हमें SDM के ऑफिस में बुलाया गया और DM से भी मुलाकात कराया गया। हमने फंसे हुए लोगों की जानकारी दी और कर्फ्यू पास मांगा।27 मार्च को 6 लोगों की तबीयत खराब होने की वजह से मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया।
  8. 28 मार्च को SDM और WHO की टीम 33 लोगों को जांच के लिए ले गई, जिन्हें राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में रखा गया।
  9. 28 मार्च को ACP लाजपत नगर के पास से नोटिस आया कि हम गाइडलाइंस और कानून का उल्लंघन कर रहे हैं।  इसका पूरा जवाब दूसरे ही दिन भेज दिया गया।
  10. 30 मार्च को अचानक ये खबर सोशल मीडिया में फैल गई की कोरोना के मरीजों की मरकज में रखा गया है और टीम वहां रेड कर रही है।
  11. अब मुख्यमंत्री ने भी मुकदमा दर्ज करने के आदेश दे दिए। अगर उनको हकीकत मालूम होती तो वह ऐसा नहीं करते।
  12. हमने लगातार पुलिस और अधिकारियों को जानकारी दी के हमारे यहां लोग रुके हुए हैं। वह लोग पहले से यहां आए हुए थे। उन्हें अचानक इस बीमारी की जानकारी मिली।
  13. हमने किसी को भी बस अड्डा या सड़कों पर घूमने नहीं दिया और मरकज में बन्द रखा जैसा के प्रधानमंत्री का आदेश था। हमने ज़िम्मेदारी से काम किया।

दिल्ली पुलिस की दलील

मरकज से जुड़े मामले में साउथ-ईस्ट दिल्ली के डीसीपी आरपी मीणा ने कहा कि हमने कार्यक्रम को रद्द और भीड़ न एकत्रित करने को लेकर 2 बार नोटिस (23 मार्च और 28 मार्च ) दिया था। साथ ही आग्रह किया था कि कोरोना महामारी फैली है, इसलिए कार्यक्रम का आयोजन रद्द कर दें। लेकिन नोटिस देने के बाद भी कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जो लॉकडाउन के आदेशों का उल्लंघन है और दिल्ली पुलिस इस मामले में कार्रवाई करेगी।

 

 

बता दें कि यहां पर कार्यक्रम 1 मार्च से 15 मार्च के बीच था, लेकिन विदेशों से आए लोग रुके हुए थे। जबकि दिल्ली पुलिस का कहना है कि इन्हें 23 और 28 मार्च को नोटिस दिया गया।

सात लोगो की मौत

मरकज में शामिल हुए लोगो में से तेलंगाना के 6 लोगो की मौत कोविड-19 संक्रमण से हुई है। जबकि श्री नगर में एक मौलाना की मौत हुई थी कोविड-19 से हुई थी। जबकि मरकज में भाग लेने वाले तमिलनाड़ु के एक 64 वर्षीय व्यक्ति की मौत कोविड -19 के चलते हुई है।

अंडमान में कोविड-19 के 10 पॉजिटिव मामले सामने आए हैं। संक्रमित पाए गए लोगों में से 9 दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित तबलीगी जमात के सेंटर (मरकज) से लौटे थे।बताया जाता है कि ये सभी 9 लोग 24 मार्च को अलग-अलग फ्लाइट्स से अंडमान पहुंचे थे।

क्या है मरकज तबलीगी जमात

दरअसल, तबलीगी का मतलब अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला होता है। वहीं जमात का मतलब होता है एक खास धार्मिक समूह। यानी धार्मिक लोगों की टोली, जो इस्लाम के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए निकलते हैं। मरकज का मतलब होता है बैठक या फिर इनके मिलने का केंद्र।

निजामुद्दीन मरकज तबलीगी जमात का केंद्र है। जहाँ देश दुनिया से तब्दीली जमात के लोग (धार्मिक लोगों की टोली, जो इस्लाम के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए निकलते हैं) निजामुद्दीन मरकज पहुंचते हैं। मरकज में तय किया जाता है कि देशी या विदेशी जमात को भारत के किस क्षेत्र में जाना है। इसके बाद उन्हें अलग-अलग समूहों में विभिन्न शहरों और कस्बों में इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए भेजा जाता है। इन्हें इलाकों की चिट दी जाती है, जिनमें मस्जिदों का ब्योरा होता है। ये लोग वहां पहुंचते हैं और मस्जिदों में ठहरते हैं। हाल ही में यहां आयोजित एक कार्यक्रम में भारी संख्या में लोग जुटे थे।

 कैसे उठा मामला

ज्वाइंट सीपी डीसी श्रीवास्तव के नेतृत्व में दिल्ली पुलिस की टीम ने निजामुद्दीन स्थित मरकज पहुंची उन्हें सूचना मिली थी कि धरामिक आयोजना के लिए मरकज में इकटठा हुई भीड़ में से कई कोविड-19 टेस्ट में पोजीटिव पाए गए हैं। उसके बाद वहां मौजूद 334 लोगो को बसों में भरकर चेकअप के लिए अस्पताल ले जाया गया। जबकि 700 को क्वारंटाइन सेंटर भेज दिया गया।

जांच में मरकज में शामिल 24  लोगो को कोविड-19 पोजीटिव पाए जाने के बाद हड़कंप मच गया। 350 लोगों को राजधानी के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। इसके बाद ही निजामुद्दीन मस्जिद वाले इलाके को सील कर दिया गया है। इनके संपर्क में आए 1600 लोगों को पुलिस तलाश रही है। दिल्ली स्वास्थ्य विभाग और विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम ने इलाके का दौरा किया है। जबकि दिल्ली पुलिस ने महामारी एक्ट के तहत मौलाना के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज़ किया है।

निजामुद्दीन इलाके में जमात मुख्यालय में रुके लोगों में कोरोना संक्रमण फैलने से हालात बिगड़ गए। 34 को एम्स झज्जर भेजा गया। लोकनायक अस्पताल में 153 को भर्ती किया गया है। राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में 65 लोगों को भर्ती कराया गया है। वहीं उत्तरी रेलवे के आइसोलेशन केंद्र में भी 97 लोगों को रखा गया है। भर्ती लोगों में लगभग ढ़ाई सौ ऐसे हैं जिनमे कोरोनावायरस के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। कुछ लोगों को खांसी जुखाम और तेज बुखार की शिकायत है।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा निजामुद्दीन की उस मस्जिद को बंद करवाकर सेनेटाइज करवाया जा रहा है। साथ ही पुलिस ड्रोन के माध्यम से भी ऐसे लोगों की तलाश करने और नज़र रखने का काम भी कर रही है। इसके लिए इलाके में ड्रोन उड़ाए जा रहे हैं। दिल्ली सरकार और डब्ल्यूएचओ की टीम ने सोमवार सुबह ही निजामुद्दीन की दोनों मस्जिदों को बंद करा दिया। इन मस्जिदों को सेनेटाइज भी करवाया गया है। इलाके में पुलिस के अलावा डॉक्टरों की टीम भी तैनात की गई हैं।

मरकज में कहां कहां से आए थे ये 1830 लोग-

देश के अलग-अलग राज्यों से मरकज में आए लोगों की संख्या-

अंडमान- 21
असम – 216
बिहार – 86
हरियाणा- 22
हिमाचल- 15
हैदराबाद- 55
कर्नाटक- 45
केरल- 15
महाराष्ट्र- 109
मेघालय- 5
मध्य प्रदेश- 107
ओडिशा- 15
पंजाब- 9
राजस्थान- 19
रांची- 46
तमिलनाडु- 501
उत्तराखंड- 34
उत्तर प्रदेश- 156
पश्चिम बंगाल- 73

विदेश से मरकज में आने वाले लोग-

इंडोनेशिया- 72
थाईलैंड- 71
श्रीलंका- 34
म्यांमार- 33
कीर्गिस्तान- 28
मलेशिया- 20
नेपाल- 19
बांग्लादेश- 19
फिजी- 4
इंग्लैंड- 3
कुवैत- 2
फ्रांस- 1
सिंगापुर- 1
अल्जीरिया- 1
जीबौती- 1
अफगानिस्तान- 1

ऐसी सूचना है कि दिल्ली में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए ज्यादातर लोग मलेशिया और इंडोनेशिया के नागरिक थे। ये लोग 27 फरवरी से 1 मार्च के बीच कुआलालांमपुर में हुए इस्लामिक उपदेशकों के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद भारत आए थे।

तबलीगी जमात का बयान

तबलीगी जमात की तरफ से प्रेस बयान जारी किया गया है। जिसमें कहा गया कि तब्लीग-ए-जमात 100 साल से पुरानी संस्था है, जिसका हेडक्वार्टर दिल्ली की बस्ती निज़ामुद्दीन में है। यहां देश-विदेश से लोग लगातार सालों भर आते रहते है। ये सिलसिला लगातार चलता है जिसमें लोग दो दिन, पांच दिन या 40 दिन के लिए आते हैं। लोग मरकज में ही रहते हैं और यहीं से तबलीगी का काम करते है।

Press Note 31.03.2020

बयान में कहा गया है कि जब भारत में जनता कर्फ्यू का ऐलान हुआ, उस वक्त बहुत सारे लोग मरकज में रह रहे थे। 22 मार्च को प्रधानमंत्री ने जनता कर्फ्यू का ऐलान किया। उसी दिन मरकज को बंद कर दिया गया. बाहर से किसी भी आदमी को नहीं आने दिया गया। जो लोग मरकज में रह रहे थे उन्हें घर भेजने का इंतजाम किया जाने लगा। 21 मार्च से ही रेल सेवाएं बन्द होने लगी थी, इसलिए बाहर के लोगों को भेजना मुश्किल था. फिर भी दिल्ली और आसपास के करीब 1500 लोगों को घर भेजा गया. अब करीब 1000 लोग मरकज में बच गए थे।

कोरोना का मरीज़ मिलने के बावजूद, ट्रंप, एमपी सरकार, होली हुई हजारों लाखों शामिल हुए। पंद्रह लाख लोग आये विदेश से लेकिन निशाना तबलीगी है।

आरजेडी के राज्यसभा  सांसद मनोज झा ने इस पूरे मामले की क्रोनोलॉजी संकलित किया है –

March 13: स्वास्थ्य मंत्रालय “कोरोना वायरस से किसी प्रकार का आपात संकट नही है”
March 13: निजामुद्दीन में जमात आरंभ होता है
March 15: निजामुद्दीन में जमात समाप्त होता है
March 16: दिल्ली सरकार का सभी धार्मिक स्थलों को बंद करने की अधिसूचना
March 17: तिरूपति में 40 हजार से ज्यादा श्रद्धालु रजिस्टर्ड
March 18: तिरूपति में 40 हजार से ज्यादा श्रद्धालु रजिस्टर्ड
March 19: तिरूपति बंद, भारत सरकार द्वारा जनता कर्फ्यू
March 22: जनता कर्फ्यू
March 23: मौलाना यूसूफ द्वारा एसएचओ को पत्र कि भीड़ को विस्थापित करें
March 25: इंडिया लॉकडाउन, मौलाना यूसूफ द्वारा एसएचओ को दुबारा पत्र
March 30: मारखेज से 6 लोगों की मौत
March 30:मीडिया भोंपू बनकर चिल्लाने लगता है, और मुसलमान नागरिकों को दुश्मन बता देता है।

जब कुएँ में भांग पड़ी हो तो इसका-उसका जाहिलीपन नही देखना चाहिए। गलतियों को समग्र रूप में देखना चाहिए।

मीडिया तो सरकार की गलतियों के छुपाने के लिए पैसे पाता है, बाकी लोगों को क्या मिलता है पता नही। कोरोना से लड़ ले फिर हिंदू-मुस्लिम करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।

 

 

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