सावधान! हमको नहीं पता कि ये ऐप किसने डेवलेप किया – लेकिन इसे इंस्टॉल करना अनिवार्य है…

इस ऐप को मोबाइल में इंस्टॉल करना ज़रूरी है, इससे आप सुरक्षित रहेंगे। हवाई और रेल यात्रा तो आप इसके बिना कर ही नहीं सकते और सरकारी दफ्तर में नौकरी करते हैं – तो इसके बिना दफ्तर में एंट्री भूल ही जाइए। अच्छा इस ऐप से डेटा हैक कर के लीक किया गया है? ऐसा हो ही नहीं सकता! चलिए अच्छा इसका सोर्स कोड पब्लिक कर देते हैं। 

लेकिन ये ऐप बनाया किसने है सर? हैं? किसने बनाया है??? ये तो हमको नहीं पता…लेकिन इसे इंस्टॉल करना फिर भी अनिवार्य है!!!

दरअसल ख़बर यही है कि मोबाइल-मोहब्बत और मैख़ाने तक केंद्र सरकार द्वारा अनिवार्य कर दिए गए आरोग्य सेतु ऐप के बारे में सरकार का यही कहना है. केंद्र सरकार की ओर से इस ऐप को कोरोना वायरस के बीच कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए ख़ूब बढ़ावा दिया गया था. लोगों से जबरदस्ती अपने फ़ोन में इंस्टाल करने के लिए कहा जा रहा था. जिसको लेकर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं. लेकिन इस बार यह अलग वजह से चर्चा में हैं. दरअसल, एक RTI में खुलासा हुआ कि भारत सरकार के किसी भी विभाग के पास इसकी जानकारी नहीं है कि आख़िर इसे बनाया किसने है, इसके बावजूद की आरोग्य सेतु ऐप की वेबसाइट पर लिखा है कि इसे नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर और आईटी मंत्रालय ने विकसित किया है. लेकिन इस ऐप को लेकर डाली गई आरटीआई में दोनों विभागों ने कहा है कि उनके पास इसकी जानकारी नहीं है कि इस ऐप को किसने विकसित किया है.

सौरव दास नामक एक सामाजिक कार्यकर्ता ने सुचना अधिकार के तहत सूचना आयोग से ऐप के बनने सम्बन्धी कुछ सवाल का जबाव मांगा था. दो महीने तक स्पष्ट सूचना नहीं मिलने पर उन्होंने आयोग से शिकायत की कि ऐप के डेवलपमेंट को लेकर कोई मंत्रालय या विभाग ने स्पष्ट सूचना नहीं डी हैं. जिसके जवाबी करवाई में केंद्रीय सूचना आयोग ने मंगलवार को सेंट्रल पब्लिक इन्फॉर्मेशन ऑफिसर (CPIO), इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीजन (NeGD) और नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) को कारण बताओ नोटिस जारी कर लिखित जवाब मांगा है. उनसे नोटिस में सफाई मांगी गई है कि उन्होंने करोड़ों लोगों द्वारा इस्तेमाल की जा रही इस कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप को लेकर डाली गई एक आरटीआई आवेदन का स्पष्ट जवाब क्यों नहीं दिया है?

केंद्रीय सूचना आयोग ने NIC को यह बताने के लिए भी कहा है कि जब आरोग्य सेतु की वेबसाइट में यह जिक्र किया गया है कि इसे एनआईसी द्वारा डिज़ाइन, डेवलप्ड और होस्ट किया गया है, तो फिर ऐप के बनने के बारे में उन्हें कोई जानकारी कैसे नहीं है? सूचना आयोग ने यह भी पूछा है कि अगर इस बारे में एनआईसी को कोई जानकारी नहीं है तो फिर आरोग्य सेतु को सरकारी डोमेन gov.in कैसे दिया गया?

ऐसा भी नहीं है कि इस ऐप को लेकर कोई विवाद पहली बार हुआ है। हम पहले भी इस बारे में स्टोरीज़ कर चुके हैं कि कैसे एक विदेशी हैकर, इस ऐप की सेक्युरिटी की पोल खोल चुका है और इससे आपके निजी डेटा को ख़तरा है। इसके बाद, इसका सोर्स कोड पब्लिक किया गया। लेकिन अब सामने आई जानकारी डराने वाली है। क्योंकि सरकार को ये ही नहीं पता है कि ये बनाया किसने है…

जब सोशल मीडिया पर यह ख़बरें चलने लगी तो बुधबार को देर रात भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि “कोरोनोवायरस से लड़ने के लिए रिकॉर्ड समय में सार्वजनिक-निजी सहयोग से आरोग्य सेतु ऐप को सबसे पारदर्शी तरीके से विकसित किया गया है.” आगे कहा गया है कि इस ऐप को लगभग 21 दिन में भारत के औद्योगिक, शैक्षणिक और सरकार से जुड़े व्यक्तियों के द्वारा बनाया गया है. हालाँकि अभी भी सरकार के किसी भी विभाग या मंत्रालय से स्पष्ट जानकारी नहीं दी गयी है कि आखिर इस ऐप का निर्माण किसके द्वारा और कैसे किया गया है?

गौरतलब हो कोरोना महामारी और लॉकडाउन के समय ट्रैवल करने, दफ़्तर आदि सहित सार्वजनिक स्थानों पर जाने के लिए आरोग्य सेतु ऐप इस्तेमाल करना अनिवार्य कर दिया गया था. जिसके बरक्स उस समय भी इसके इस्तेमाल करने वाले लोगों के डेटा की गोपनीयता का सवाल उठता रहा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2 मई को एक ट्वीट के माध्यम से डेटा सुरक्षा और गोपनीयता संबंधी चिंता जाहिर करते हुए कहा था, आरोग्य सेतु ऐप  एक जटिल निगरानी प्रणाली है, जो एक प्राइवेट ऑपरेटर के लिए आउटसोर्स है. जिसमें कोई संस्थागत निरीक्षण नहीं है. प्रौद्योगिकी हमें सुरक्षित रखने में मदद कर सकती है, लेकिन उनकी सहमति के बिना नागरिकों पर नज़र रखने के लिए भय का लाभ नहीं उठाया जाना चाहिए।


जगन्नाथ, हमारी एडिटोरियल टीम का हिस्सा हैं और बिहार इलेक्शन टीम में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

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