प्रियंका गांधी से 1000 बसों की सूची मांगते समय उत्तर प्रदेश सरकार को उम्मीद नहीं थी कि बसों की सूची भेजी जाएगी। लेकिन जब प्रियंका गांधी के निजी सचिव ने बसों की जानकारी उत्तर प्रदेश सरकार को भेज दी तो यूपी सरकार एक नया शिगूफा लेकर आ गयी है। उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने प्रियंका गांधी के निज़ी सचिव संदीप सिंह को एक पत्र लिखकर चलायी जाने वाली सभी 1 हज़ार बसों के फ़िटनेस सर्टिफिकेट, सभी के ड्राइविंग लाइसेंस और परिचालकों का पूर्ण विवरण के साथ ही सभी 1 हज़ार बसों को 19 मई 2020 प्रातः 10 बजे तक लखनऊ के जिलाधिकारी के पास उपलब्ध कराने को कहा है।
दरअसल प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक हज़ार बसें कांग्रेस द्वारा चलाने का प्रस्ताव भेजा था। 2 दिन बाद इस प्रस्ताव को उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वीकार करके बसों की सूची मांगी। जिसके बाद कांग्रेस ने सभी बसों और चालकों-परिचालकों की सूची भेज भी दी। लेकिन अब सरकार ने सभी बसों को फिटनेस सर्टिफिकेट और ड्राइविंग लाइसेंस के साथ लखनऊ पहुंचने को कह कर मामले में नया पेंच फंसा दिया है।
अपर मुख्य सचिव के पत्र के जवाब में रात को 2 बजकर 10 मिनट पर प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह ने तत्काल जवाब देते हुए पत्र लिखा और बताया कि “आपके द्वारा मांगी गयी जानकरी हमने ईमेल के माध्यम से आपको पहुंचा दी है। आश्चर्य की बात है कि एक टीवी साक्षात्कार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वो हमसे पिछले तीन दिनों से बसों की सूची मांग रहे हैं। साथ ही अभी देर रात 11 बजकर 40 मिनट पर हमें आपका आकस्मिक एक और ईमेल प्राप्त हुआ जिसमें आप हमसे 1000 बसों को और उनके फिटनेस सर्टिफिकेट के साथ तमाम दस्तावेजों को लखनऊ में सुबह 10 बजे हैंडओवर करने की अपेक्षा कर रहे हैं।”
पत्र में अपर मुख्य सचिव को संबोधित करते हुए संदीप सिंह ने लिखा है कि “आप वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी हैं। बहुत अनुभवी हैं और कोरोना महामारी के इस भयानक संकट से भिज्ञ भी हैं। तमाम जगह प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं। मीडिया के माध्यम से इनकी विकट स्थिति सबके सामने है। हजारों मजदूर सड़कों पर हैं। हजारों की भीड़ पंजीकरण केंद्रों पर उमड़ी हुई है। ऐसे में 1 हज़ार खाली बसों को लखनऊ भेजना न सिर्फ़ समय और संसाधन की बर्बादी है। बल्कि हद दर्ज़े की अमानवीयता है और एक घोर गरीब विरोधी मानसिकता की उपज है। आपकी ये मांग राजनीति से प्रेरित लगती है। ऐसा लगता नहीं कि आपकी सरकार विपदा के मारे हमारे उत्तर प्रदेश के भाई बहनों की मदद करना चाहती है। हम सभी उपलब्ध बसों को चलवाने की अपनी बात पर अडिग हैं। कृपया नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करें जिसने संपर्क स्थापित करके हम श्रमिक भाई बहनों की मदद कर सकें।”
यूपी कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा कि “श्रमिक नोएडा-गाजियाबाद में हैं। हज़ारों लोग यहां फंसे हैं। भाजपा सरकार को बसें पहले लखनऊ में चाहिए। क्यों? नोएडा-गाजियाबाद के अधिकारी इतनी बसें चलवाते हैं। सारे कागज यहां चेक कर लें।”
श्रमिक नोएडा – गाजियाबाद में हैं। हज़ारों लोग यहां फंसे हैं। भाजपा सरकार को बसें पहले लखनऊ में चाहिए। क्यों?
नोएडा – गाजियाबाद के अधिकारी इतनी बसें चलवाते हैं। सारे कागज यहां चेक कर लें।— UP Congress (@INCUttarPradesh) May 19, 2020
एक अन्य ट्वीट में यूपी कांग्रेस ने कहा कि “ये बात केवल विवरण तक सीमित नहीं है। बल्कि लालफीताशाही में बंधे बाबू लोग कह रहे हैं कि श्रमिकों को उनके हाल में रहने दो पहले हमारे लखनऊ दरबार में बसों की मुंह दिखाई कराओ।”
बात केवल विवरण तक सीमित नहीं है। लालफीताशाही में बंधे ये बाबू लोग कह रहे हैं कि श्रमिकों को उनके हाल में रहने दो पहले हमारे दरबार लखनऊ में बसों की मुंह दिखाई कराओ।
बेहद असंवेदनशील। https://t.co/3LPW890Thf— UP Congress (@INCUttarPradesh) May 18, 2020
उत्तर प्रदेश सरकार प्रवासी मजदूरों के दुःख-दर्द को देख कर भी अनदेखा कर रही है। बसों की सूची मांगने के पीछे की राजनीति इस पत्र से सामने आ गयी है। क्या पहले पत्र में ही उत्तर प्रदेश सरकार इन कागजों की मांग नहीं कर सकती थी ? जो दूसरे पत्र में सुबह 10 बजे तक लखनऊ के जिलाधिकारी को सभी कागज़ात उपलब्ध कराने का ये फ़रमान जारी किया गया है। देश के लाखों मजदूर सड़कों पर भूखे-प्यासे पड़े हुए हैं, उन्हें घर पहुंचाने से ज्यादा ज़रूरी गाड़ियों के कागज और ड्राईवर के लाइसेंस मांगे जा रहे हैं। कमाल की बात तो ये है कि अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी धर्मार्थ कार्यों के विभाग भी देखते हैं।
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