सोनभद्र में जिला प्रशासन ने खेतों में पराली (पुआल) जलाने को लेकर छह किसानों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज कराया है। इनमें तीन किसान रॉबर्ट्सगंज तहसील के हैं जबकि अन्य तीन किसान घोरावल तहसील के हैं। साथ ही जिला प्रशासन ने पुआल जलाने को लेकर जिले के 20 किसानों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। वहीं, मजदूर किसान मंच ने जिला प्रशासन के इस कार्रवाई को किसानों का उत्पीड़न बताकर उन पर से मुकदमा वापस लेने की मांग की है।
जिला प्रशासन से मिली सूचना के मुताबिक रॉबर्ट्सगंज तहसील क्षेत्र में रामा देवी और अन्य दो किसानों पर एफआईआर दर्ज कराया गया है जबकि 20 किसानों को पुआल जलाने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। वहीं घोरावल तहसील क्षेत्र में किसान नारायण, अरुण कुमार और श्याम प्रसाद के खिलाफ पुआल जलाने को लेकर शाहगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है। जिला प्रशासन का कहना है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के आलोक में उत्तर प्रदेश शासन से मिले दिशा-निर्देश के मुताबिक ये कार्रवाई की गई है। अपर जिलाधिकारी योगेंद्र बहादुर ने बताया, शासन से निर्देश है कि किसी भी किसान को खेतों में पराली (पुआल) नहीं जलानी है।
उधर, मजदूर किसान मंच ने जिला प्रशासन की इस कार्रवाई की कड़ी शब्दों में निंदा की है। मजदूर किसान मंच के जिला सचिव राजेन्द्र सिंह गोंड़ व अमरनाथ मौर्य ने आज जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि सरकार किसानों को बदनाम कर उनका उत्पीड़न करने में लगी है। महज पराली जलाने से ही प्रदूषण नहीं फैल रहा है। औद्योगिक इकाइयों द्वारा भी बड़े पैमाने पर प्रदूषण फैलाया जा रहा है। सरकार को साहस नहीं है कि वह उनके विरूद्ध कार्यवाही करें। किसान तो मजबूरी में पराली जलाता है क्योंकि उसे अगली फसल के लिए खेत को साफ करना पड़ता है। यदि सरकार खेत की सफाई के लिए किसानों को अनुदान दे तो किसान को पराली जलाने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी। मजदूर किसान मंच ने सरकार व प्रशासन से किसानों पर दर्ज किये गए मुकदमें वापस लेने और खेत सफाई के लिए किसानों को अनुदान देने की मांग की है।
बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अक्टूबर के पहले सप्ताह में दिल्ली और पड़ोसी राज्यों के मुख्य सचिवों के कार्यालय में विशेष इकाइयां बनाने का निर्देश दिया था। इस इकाई का काम अगले एक महीने रोजाना पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण की समस्या पर नजर रखना था। एनजीटी ने केंद्र में कृषि मंत्रालय के संबंधित संयुक्त सचिव और पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कृषि सचिवों को 15 अक्तूबर को स्थिति रिपोर्ट के साथ पेश होने के लिए कहा था। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण की समस्या से प्रभावी कदम उठाये बिना नहीं निपटा जा सकता। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्यों को हालात की समीक्षा के लिए जिला स्तर पर भी ऐसे प्रकोष्ठ बनाने चाहिए। पीठ ने कहा, ‘हमारा विचार है कि प्रभावी पर्यावरण प्रशासन के माध्यम से इस विषय से निपटना जरूरी है जो राज्य का अपरिहार्य कर्तव्य है। निसंदेह केंद्र सरकार ने इस मकसद से धन दिया है लेकिन केंद्र को हालात पर निगरानी के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाली प्रभावी रणनीतियों के लिए और दिशानिर्देश देने चाहिए।”
एनजीटी के आदेश के आलोक में शासन से मिले दिशा-निर्देश के अनुपालन में सोनभद्र के जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने तहसील स्तर पर पुआल जलाये जाने से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उड़न दस्ता गठित किया है। तहसील घोरावल के लिए एसडीएम घोरावल, राबर्ट्सगंज के लिए एसडीएम राबर्ट्सगंज व दुद्धी के लिए एसडीएम दुद्धी को दस्ता प्रभारी बनाया गया है। पुलिस विभाग के अधिकारी संबंधित क्षेत्र के क्षेत्राधिकारी शामिल हैं। एडीओ (कृषि) घोरावल को घोरावल, एडीओ चतरा को नगवां एवं चोपन, एडीओ (कृषि) दुद्धी को बभनी एवं म्योरपुर का नोडल बनाया गया है। डीएम ने बताया कि गठित उड़नदस्ते को निर्देश दिया गया है कि किसी भी स्थिति में पुआल एवं अन्य कृषि अपशिष्ट न जलाये जाएं। इस हेतु प्रत्येक तहसील एवं ब्लॉक के सभी लेखपाल एवं ग्राम प्रधानों को सम्मिलित करते हुए एक व्हाट्स-एप ग्रुप बनाया गया है। यदि उस क्षेत्र में कहीं भी फसल अवशेष जलाये जाने की घटना होती है तो संबंधित लेखपाल एवं ग्राम प्रधान व्हाट्स-एप ग्रुप एवं दूरभाष के जरिए संबंधित तहसील स्तर पर गठित उड़नदस्ते को तत्काल इसकी सूचना देते हैं।
वनांचल एक्सप्रेस से साभार प्रकाशित