आर्थिक गतिविधियों को पटरी पर लाने के नाम पर, उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अध्यादेश पारित करके अगले तीन वर्षों के लिए श्रमिक कानूनों को अस्थाई रूप से निलंबित करने का निर्णय लिया है। योगी सरकार के इस फ़ैसले के बाद प्रियंका गांधी ने एक ट्वीट करके सरकार के इस फ़ैसले को मजदूरों के हितों के विरुद्ध बताया है। उन्होंने लिखा है, “यूपी सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए गए बदलावों को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए। आप मजदूरों की मदद करने के लिए तैयार नहीं हो। आप उनके परिवार को कोई सुरक्षा कवच नहीं दे रहे। अब आप उनके अधिकारों को कुचलने के लिए कानून बना रहे हो। मजदूर देश निर्माता हैं, आपके बंधक नहीं हैं।”
यूपी सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए गए बदलावों को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।
आप मजदूरों की मदद करने के लिए तैयार नहीं हो। आप उनके परिवार को कोई सुरक्षा कवच नहीं दे रहे।
अब आप उनके अधिकारों को कुचलने के लिए कानून बना रहे हो।
मजदूर देश निर्माता हैं, आपके बंधक नहीं हैं।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) May 8, 2020
उत्तर प्रदेश में श्रम कानूनों में तीन साल के लिए अस्थाई तौर पर छूट
बता दें कि कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन में देश की अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल दिखाई दे रहे हैं। जहां एक तरफ़ संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं तो वहीं राज्य सरकारों के पास अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी समस्या उत्पन्न हो रही है। शराब की दुकानें खोलने का निर्णय भी इन्हीं वजहों से लिया गया है। अब उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार ने अपने राज्य में नई कंपनियों को लाने के लिए और वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों में सुधार के नाम पर, उद्योगों को श्रमिक कानूनों में तीन साल तक अस्थाई रूप से छूट दे दी है। इसमें न केवल न्यूनतम मज़दूरी के मौलिक सिद्धांत को खारिज कर दिया है, पुरुष और महिला कामगारों को समान वेतन को भी ताक पर रख दिया गया है। साथ ही मातृत्व अवकाश या सामूहिक छंटनी के प्रावधानों को भी ठेंगा दिखा दिया गया है।
ये छूट नए शुरू होने वाले उद्योगों और पहले से मौजूद प्रतिष्ठानों और कारखानों के लिए समान होगी। ‘उत्तर प्रदेश अस्थाई श्रम कानूनों से छूट अध्यादेश 2020’ को मंजूरी देते हुए महिलाओं और बच्चों से जुड़े श्रम कानूनों के प्रावधान लागू रहने के साथ ही समान पारिश्रमिक, बाल श्रम अधिनियम, मजदूरी भुगतान अधिनियम की धारा 5 को कायम रखा है। 15 हज़ार से कम आय में कोई कटौती नहीं की जाएगी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के बाद ये कानून के रूप में लागू हो जायेगा। संभव है कि आने वाले समय में देश भर की राज्य सरकारें और केंद्र सरकार अपने-अपने तरीके से कंपनियों को लुभाने के लिए तमाम योजनाएं और नियमों में बदलाव करेंगी। लेकिन उन बदलावों में श्रमिकों के हितों की सुरक्षा का ध्यान रखा जाना चाहिए।