उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में एक सरकारी प्राइमरी स्कूल के हेडमास्टर को सस्पेंड कर दिया गया है. विश्व हिंदू परिषद के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने शिकायत की थी कि वह स्कूल में धार्मिक प्रार्थना (इक़बाल की कविता ‘लब पे आती है दुआ.’) कराते थे. विहिप के मुताबिक, यह प्रार्थना मदरसों में गाई जाती है.
A Headmaster of a government #school in #UttarPradesh's #Pilibhit was suspended following the complaint by the local Vishwa Hindu Parishad (#VHP) and #Bajrang leaders that students were singing "Lab pe aati hai dua banke tamanna meri' in the morning prayers.
Photo: IANS pic.twitter.com/2yuwxdVHLb
— IANS (@ians_india) October 16, 2019
बीसालपुर के ब्लाक एजुकेशन ऑफिसर उपेंद्र कुमार की जाँच में पाया गया कि प्रधानाध्यापक फुरकान अली ने छात्रों से 1902 में इकबाल द्वारा लिखित ‘लब पे आती है दुआ’ कविता गवाई.
इक़बाल जिन्हें अल्लामा इक़बाल के नाम से भी जाना जाता है, ने ही ‘सारे जहां से अच्छा’ भी लिखा था जिसे राष्ट्रीय गीत के रुप में स्वीकृति है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी देवेन्द्र स्वरूप ने कहा कि नियमित जांच में पाया गया कि स्कूल में राष्ट्र गान गाया जाता है. विहिप नेता के आरोप में भी इस बात पर सवाल नहीं उठाया गया है कि राष्ट्रीय गान गाया जाता है या नहीं.
स्वरूप ने कहा कि राष्ट्रीय गान को गाया जाना मुद्दा नहीं है. शिकायत में मदरसा में गाए जाने वाले प्रार्थना की शिकायत है.
फुरकान अली ने आरोप को खारिज करते हुए कहा कि वह सुनिश्चित करते हैं कि हर दिन राष्ट्र गान गाया जाए.
इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार, पीलीभीत डीएम वैभव श्रीवास्तव को बीईओ के निष्कर्ष के बारे में पता नहीं था. उन्होंने कहा, “हेडमास्टर को इसलिए सस्पेंड किया गया क्योंकि वह राष्ट्रगान नहीं गवा रहे थे और स्टूडेंट्स से धार्मिक प्रार्थना गवाते थे.”
This is just ridiculous! I use to sing this in school .. a beautiful poem for children by Iqbal (who also wrote ‘Saare Jahan se Acha’) #UP
VHP complains about school poem by Iqbal, Pilibhit headmaster suspended https://t.co/ABRublums5— Gargi Rawat (@GargiRawat) October 16, 2019
डीएम ने कहा, “अगर वह (हेडमास्टर) कविता पढ़वा रहे हैं और राष्ट्रगान नहीं तो मामला बनता है. अगर वह कुछ और करना चाहते थे तो सरकार से अनुमति लेनी चाहिए थी.”
वहीं हेडमास्टर फुरकान अली का कहना है कि इकबाल की कविता ‘लब पे आती है दुआ.’ कक्षा 1 से 8 तक उर्दू सिलेबस का हिस्सा है. उन्होंने कहा, “वीएचपी और हिंदू युवा वाहिनी के लोगों ने स्कूल और कलेक्ट्रेट के बाहर मुझे हटवाने के लिए प्रदर्शन किए. मैंने सिर्फ एक कविता जो सरकारी स्कूल के सिलेबस का हिस्सा है, गवाई. मेरे स्टूडेंट्स सुबह की असेंबली में ‘भारत माता की जय’ जैसे देशभक्ति के नारे भी लगते हैं.”
प्रशासन के इस फैसले से तमाम सवाल खड़े हो गए हैं। उर्दू यूपी की दूसरी राजभाषा भी है और इकबाल का यह गीत तमाम स्कूलों में अरसे से प्रार्थना बतौर गवाई जाती रही है। सवाल उठता है कि क्या प्रशासन विश्व हिंदू परिषद के दबाव में काम कर रहा है ?
वतन को अपना चमन बताने वाले इस प्यारे से गीत को पढ़कर देखिए, और सोचिए कि क्या हो रहा है…
लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी
ज़िन्दगी शमअ की सूरत हो ख़ुदाया मेरी
दूर दुनिया का मेरे दम अँधेरा हो जाये
हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाये
हो मेरे दम से यूँ ही मेरे वतन की ज़ीनत
जिस तरह फूल से होती है चमन की ज़ीनत
ज़िन्दगी हो मेरी परवाने की सूरत या रब
इल्म की शम्अ से हो मुझको मोहब्बत या रब
हो मेरा काम ग़रीबों की हिमायत करना
दर्द-मंदों से ज़इफ़ों से मोहब्बत करना
मेरे अल्लाह बुराई से बचाना मुझको
नेक जो राह हो उस राह पे चलाना मुझको