जौहर अली पार्क बिलरियागंज, आज़मगढ़ में धरने पर बैठी महिलाओं पर तड़के सुबह लाठीचार्ज और आसूं गैस के गोले दागने की घटना के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जिम्मेदार ठहराते हुए रिहाई मंच ने डीएम और कप्तान के खिलाफ करवाई की मांग की. मंच ने कहा कि देर रात से ही डीएम की मौजूदगी में पुलिस बर्बरता कर रही थी.
बिलरियागंज,आज़मगढ़ में पुलिस बल सुबह 3-4 बजे पहुंच कर लाठीचार्ज करती है,महिलाओं के प्रोटेस्ट को खत्म करने के लिए टियर गैस का इस्तेमाल करती है, पार्क में पानी भर दिया जाता है, औरतों और कुछ लोगों को डिटेन किया जाता है। #NoCAANoNRCNoNPR #RejectCAA_NRC_NPR
— Rajeev Yadav (@RajeevKisanNeta) February 5, 2020
कल से ही आज़मगढ के बिलरियागंज के मौलाना जौहर अली पार्क में कुछ महिलाएं नागरिक संशोधन कानून के खिलाफ़ धरने पर बैठ कर लोकतांत्रिक तरीक़े से अपना विरोध दर्ज करा रही थी. शांतिपूर्ण धरना चल रहा था. आधी रात में तीन बस पुलिस आती है और पुलिस पूरे पार्क को घेरकर वहां मौजूद लोगों को खदेड़ देती है. पार्क में सिर्फ़ महिलाएं मौजूद रह जाती हैं. फिर महिलाओं को भी वहां से जाने को कहा जाता है पर महिलाएं संविधान और लोकतंत्र की बात कहती हैं. पुलिस बर्बरता पर उतारू होकर लाठी चार्ज, रबर की गोलियां, वाटर कैनन से लेकर आंसू गैस तक का अंधाधुंध इस्तेमाल करती है. पुलिस की बर्बरता यहीं नहीं रूकती बल्कि जिस पार्क में महिलाएं बैठी थी वहां पानी भर देती है और घरों में घुस-घुसकर जो मिला उसको पकड़ ले गयी. जिनको पकड़ ले गयी उनके मोबाइल तक स्विच ऑफ करवा दिया गया जिस वजह से परिवार से कान्टेक्ट ही नहीं हो पा रहा है. पूरे जिले में भय का माहौल आख़री पायदान पर है.
मौलाना जौहर अली पार्क बिलरियागंज आज़मगढ़ में जहां धरना चल रहा है पुलिस ने मां-बहनों को चारों तरफ से घेर रखा है
Dm भी मौजूद हैं।
#NoCAANoNRCNoNPR #reject_caa_nrc_npr pic.twitter.com/AWtiD8kX3e— Rajeev Yadav (@RajeevKisanNeta) February 4, 2020
#Azamgarh बिलरियागंज में हालात नाज़ुक
रात 3-4 बजे पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया और मौलाना जौहर अली पार्क में पानी भर दिया गयाकाफी तादाद में लोगों को गिरिफ्तार किया गया#NoCAANoNRCNoNPR #RejectCAA_NRC_NPR
— Rajeev Yadav (@RajeevKisanNeta) February 5, 2020
इस पुलिसिया दमन में महिलाओं, बच्चे-बच्चियों और पुरुषों को काफी चोटें आईं हैं. सूचना मिल रही है की रबर की गोली से तीन लोग घायल और एक महिला सरवरी ज़ख्मी हुई हैं. ये पूरी घटना अमानवीय तो है ही लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में जिलाधिकारी की मौजूदगी ने बहुत से सवाल उठा दिये हैं. क्या जिलाधिकारी और पुलिस को महिलाओं के द्वारा संविधान और लोकतंत्र की बातें करना अच्छा नहीं लगा. क्या ये दमन सरकार के इशारे पर किया गया. क्या जिलाधिकारी भी अपनी शपथ भूल गए हैं.
ये घटनाक्रम बहुत शर्मनाक, अमानवीय है. रिहाई मंच इस घटना की कड़ी भर्त्सना करते हुए तत्काल जिन लोगों को पुलिस उठा ले गई है उनकी रिहाई की मांग करता है. पूरे घटनाक्रम की उच्चस्तरीय जांच की मांग करता है.
#Azamgarh पुलिस ने उनका मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया है जिससे कॉन्टेक्ट नहीं हो पा रहा है
गांव में घुसकर जिस को पाया उस को पकड़ लिया
पुलिस लाठी चार्ज में एक औरत शदीद ज़ख़्मी है
रबर की गोली चलने से तीन लोग घायल हैं#NoCAANoNRCNoNPR #RejectCAA_NRC_NPR
— Rajeev Yadav (@RajeevKisanNeta) February 5, 2020
गौरतलब है कि बीते करीब दो महीने से देश के लगभग हर शहर में नागरिकता संशोधन कानून और संभावित एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है और दिल्ली के शाहीन बाग का आंदोलन विश्व विख्यात हो चुका है. शाहीन बाग़ के तर्ज पर रोज देश के किसी न किसी शहर में एक नया प्रदर्शन के शुरू होने का सिलसिला जारी है. दिल्ली में बीजेपी के सांसद और केन्द्रीय मंत्री लगातार इन प्रदर्शनों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देते रहें जिसके परिणामस्वरूप जामिया और शाहीन बाग़ में गोलियां चली.
खुद सरकार ने लोकसभा में बताया है कि अकेले दिल्ली में नागरिकता कानून के खिलाफ 66 प्रदर्शन हुए जिनमें दर्जन भर लोगों की गिरफ़्तारी हुई और कई मामले दर्ज किये गये हैं.
बता दें, कि नागरिकता विरोध प्रदर्शन के दौरान भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में प्रदर्शनकारियों पर सबसे अधिक और भयानक पुलिसिया दमन हुआ और यहां दो दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है. हजारों गिरफ्तारियां हुई है.