‘लॉकडाउन में तड़प-तड़पकर जी रहे हैं’-लिखकर ट्रेन से कट गया बेरोज़गार भानु गुप्ता

कोरोना महामारी के दौरान केंद्र और राज्य सरकार लोगों की मदद के तमाम दावे कर रही है। लेकिन जो घटनाएं सामने आ रही हैं वो इन दावों के उलट हैं। लखीमपुर खीरी से आत्महत्या की ऐसी ही घटना सामने आई है और सामने आया है आत्महत्या करने वाले का सुसाइड नोट। जिसमें मरने से पहले उसने अपना दुख दर्ज किया है। वो दुख जो हम देखना नहीं चाहते। जो दुख कोरोना जैसे संकट के बीच भी उपलब्धियां गिनाने वाले इवेंट के नीच दब जाएगा। दरअसल शुक्रवार को लखीमपुर खीरी के मैगलगंज रेलवे स्टेशन पर 50 वर्षीय भानु गुप्ता नाम के व्यक्ति ने ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या कर ली थी। मृतक भानु गुप्ता मैगलगंज के ही रहने वाले बताये जा रहे हैं। साथ ही बताया जा रहा है कि वो शाहजहांपुर के किसी होटल में काम करते थे। कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के कारण काम ठप्प पड़ गया था। इस कारण उनके हाथ में कोई पैसा नहीं बचा था। अंततः उन्हें आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ा। मृतक भानु के पास पास जो सुसाइड नोट मिला है। जो कोरोना संक्रमण के समय सरकारी तंत्र द्वारा की जा रही उपेक्षा और बेरोजगारी की स्याही से लिखा गया है। नौकरी न होने और शासन-प्रशासन से निराश भानु गुप्ता का सुसाइड नोट पढ़ के ये सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि आख़िरी आदमी तक पहुंचने की बात क्या सिर्फ़ बात ही है ?

भानु गुप्ता का सुसाइड नोट

मैं यह सुसाइड ग़रीबी और बेरोजगारी की वजह से कर रहा हूँ। गेंहू-चावल सरकारी कोटे से मिल जाता है पर चीनी, पत्ती, दूध, दाल, सब्ज़ी, मिर्च, मसाले नहीं, परचून वाला अब उधार भी नहीं देता है। मुझे खांसी, सांस, जोड़ों का दर्द, दौरा, अत्यधिक कमज़ोरी, चलना तो सांस फूलना, चक्कर आना आदि। ऐसी ही मेरी विधवा माँ दो साल से खांसी, बुख़ार से पीड़ित है। तड़प-तड़प कर जी रहे हैं। लॉकडाउन बराबर बढ़ता जा रहा है। नौकरी नहीं मिल रही है। जो कमा के ही ख़र्चा चलाएं व इलाज करवाएं। हमें न तो कोई शासन से सहयोग मिला न प्रशासन ने ही सुध ली। हमारे पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि मरने के बाद क्रिया कर्म ही करा सकें।

धन्यवाद, आप लोगों का

हालांकि लखीमपुर खीरी के डीएम का कहना है कि उनके राशन कार्ड से ये पता चलता कि मृतक भानु को राशन मिल रहा था। बाकि आत्महत्या के कारणों की हम जांच करेंगे। साथ ही प्रशासन उनके परिवार की मदद करेगा।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस मामले में एक ट्वीट किया है। उन्होंने ट्वीट में सुसाइड नोट की फ़ोटो शेयर करते हुए लिखा एक दुखद घटना में यूपी के भानु गुप्ता ने ट्रेन के सामने आकर आत्महत्या कर ली। काम बंद हो चुका था। इस शख्स को अपना और माता जी का इलाज कराना था। सरकार से केवल राशन मिला था लेकिन इनका पत्र कहता है और भी चीज़ें तो ख़रीदने पड़ती हैं। और भी ज़रूरतें होती हैं। ये पत्र शायद आज एक साल के जश्न वाले पत्र की तरह गाजे-बजे के साथ आपके पास न पहुंचे, लेकिन इसको पढ़िए ज़रूर। हिंदुस्तान में बहुत सारे लोग आज भी इसी तरह कष्ट में हैं।

भाजपा सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के प्रथम वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री मोदी की देश के नाम चिट्ठी जारी की है। जिसमें सरकार की उपलब्धियां गिनाई गयी हैं। ज़ाहिर है कि प्रधानमंत्री की चिट्ठी के आगे भानु गुप्ता की चिट्ठी और उसमें लिखी बातें किसी को नहीं दिखाई देगी। मगर सोची जाने वाली बात ये है कि बेरोजगारी के आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं, कंपनियां लोगों को नौकरियों से निकाल रही हैं। मजदूरों के सामने रोजगार और भोजन की समस्या खड़ी हो गयी है। अर्थव्यवस्था सबसे निचले स्तर पर पहुंच गयी है फिर भी उपलब्धियां की गिनती करायी जा रही है।

 



 

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